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दिल्ली में मॉनसून पर ढीली तैयारी, रिपोर्ट में कितनी सियासत कितनी हक़ीक़त

दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति की रिपोर्ट ने दिल्लीमें मॉनसून की तैयारियों को लेकर एक रिपोर्ट सौंपी है. मजेदार बातहै कि छठी विधानसभा के गठन के ढाई साल बाद इस कमेटी ने अपनी पहली रिपोर्ट सदन मेंरखी है, और वो भी याचिका दायर होने के महज महीने भर के भीतर. ग्रेटरकैलाश से विधायक सौरभ भारद्वाज की अध्यक्षता वाली इस कमेटी के सदस्यों में उनकेअलावा 8 सदस्य हैं, जिनमें विपक्ष का कोई भी सदस्य नहीं है.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

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दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति की रिपोर्ट ने दिल्ली में मॉनसून की तैयारियों को लेकर एक रिपोर्ट सौंपी है. मजेदार बातहै कि छठी विधानसभा के गठन के ढाई साल बाद इस कमेटी ने अपनी पहली रिपोर्ट सदन मेंरखी है, और वो भी याचिका दायर होने के महज महीने भर के भीतर. ग्रेटर कैलाश से विधायक सौरभ भारद्वाज की अध्यक्षता वाली इस कमेटी के सदस्यों में उनकेअलावा 8 सदस्य हैं, जिनमें विपक्ष का कोई भी सदस्य नहीं है.

दरअसल याचिका समिति की इस रिपोर्ट की कहानी इस साल 29 मई को शुरु होती है. पांडव नगर के निवासी नीरज कुमार की याचिका जिसमें ये आरोप लगाया गया था कि पीडब्ल्यूडी और एमसीडी ने नालों की सफाई में कोताही बरती हैको विधानसभा अध्यक्ष ने जांच के लिए समिति के पास भेजा.

समिति की सुनवाई 1 जून को शुरु भी हो गई, रोचक पहलू ये है कि इस सुनवाई से कुछ दिनों पहले ही यानि 25 मई को दिल्ली के मुख्यमंत्री ने एक सर्कुलर निकाल कर पीडब्ल्यूडी विभाग, एमसीडी और बाकी एजेंसियों के काम काज में कमी के लिए जिम्मेदारी सीधे पीडब्ल्यूडी के मुख्य सचिव को दे दी थी. इस कमेटी ने 1 जून और 22 जून के बीच 4 बैठकें भी कीं, साथ ही साथ तीन दिनों का फील्ड विजिट भी किया.

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कमेटी ने जो कुछ पाया

पीडीब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव की रिपोर्ट गलत तथ्यों पर आधारित और झूठी है. साफ किए गए नालों में भी सफाई नहीं पाई गई. एमसीडी की रिपोर्ट को भी कमेटी ने गलत पाया. गलत रिपोर्ट पेश करने को समिति ने विधान सभा ने सदन कीअवमानना पाया. समिति ने कहा कि तीन दिनों में दो दिन ही पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव उनके साथ फील्ड विजिट पर गए, जिस पर कमेटी नेनाराजगी जताई. कमेटी ने ये भी पाया कि सफाई के लिए व्हाट्सएप नंबर कोलेकर भी पीडब्ल्यूडी सचिव उत्साहित नहीं थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि ऐसा करने से कई और किस्म की जानकारियां भी आएंगी. कमेटी नेपाया के दावों के बावजूद पीडब्ल्यूडी मॉनसून के लिए तैयार नहीं है. कमेटी नेये भी पाया कि कोर्ट, एलजी, सीएम और मंत्री के कहने के बावजूद विभाग ने काम नहीं किया. कमेटी ने विभाग के प्रधान सचिव अश्विनी कुमार को विभाग का नेतृत्व सही तरीके से नहीं करने का दोषी पाया.

कमेटी ने दिए ये सुझाव

मुख्य सचिव ये सुनिश्चत करें कि मुख्यमंत्री ने 26 मई कोजो आदेश दिए उनका पालन हो. मुख्य सचिव ग़लत रिपोर्ट के मामले में खुद जांच करें. मुख्य सचिवनालों की साफ-सफाई के लिए आधुनिक व्यवस्था सुनिश्चित करें. मुख्य सचिव उन ठेकों की जांच करें जो नालों की सफाई के लिए दिए गए. मुख्य सचिव ग़लत रिपोर्ट देने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करें. चूंकि पीडब्ल्यूडी और विजिलेंस विभाग के सचिव अश्विनी कुमार ही हैं, इसलिए जांच पूरा होने तक उन्हें इन दोनों पदों से हटाया जाए, ताकि जांच निष्पक्ष हो. एक महीने के भीतर मुख्य सचिव जांच रिपोर्ट विधानसभा में रखें.  

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