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दिल्ली नगर निगम ने कूड़े पर घोटाले के आरोप नकारे, ऑडिट रिपोर्ट पर कही ये बात

दिल्ली नगर निगम ने कहा कि जिस ऑडिट रिपोर्ट का दावा किया जा रहा है, असल में वैसी कोई ऑडिट रिपोर्ट नहीं है. निगम का कहना है कि लगाए गए आरोप गलत हैं. उनमें जरा सी भी सच्चाई नहीं है. आरोपों से पता चलता है कि आरोप लगाने वाले को निविदा आमंत्रण प्रक्रिया की समझ नहीं है, जोकि गतिशील है एवं बाजार के माहौल के अनुसार बदलती रहती है.

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दिल्ली नगर निगम (File Photo)
दिल्ली नगर निगम (File Photo)

दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 में ही हैं और इससे पहले सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर चरम पर पहुंच गया है. आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाते हुए निगम में 86 करोड़ रुपए के घोटाले/नुकसान की बात कही तो दिल्ली नगर निगम ने आरडीएफ की ढुलाई से संबंधित आरोपों को आधारहीन बता दिया. 

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नगर निगम ने कहा है कि जिस ऑडिट रिपोर्ट का दावा किया जा रहा है, असल में वैसी कोई ऑडिट रिपोर्ट नहीं है. निगम का कहना है कि लगाए गए आरोप गलत हैं. उनमें जरा सी भी सच्चाई नहीं है. आरोपों से पता चलता है कि आरोप लगाने वाले को निविदा आमंत्रण प्रक्रिया की समझ नहीं है, जोकि गतिशील है एवं बाजार के माहौल के अनुसार बदलती रहती है. 

निगम ने बताया कि निगम उचित मूल्य प्राप्ति के लिए लगातार निविदा आमंत्रित करता है. इसका उद्देश्य सिर्फ श्रेष्ठ दर प्राप्त करना है. दिल्ली नगर निगम उन झूठे आरोपों को सिरे से नकारता है, जिसमे कहा गया है कि लैंडफिल साइट से आरडीएफ की ढुलाई की मद में निजी कंपनी को फरवरी 2020 में निगम ने 3,250 रुपए प्रति मीट्रिक टन की दर से भुगतान करके 86 करोड़ रुपए का घोटाला किया है.

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निगम ने यह भी कहा है कि इस संदर्भ में ऐसी कोई भी ऑडिट आपत्ति नहीं जताई गई है न ही कोई ऑडिट रिपोर्ट है. यह झूठे आरोप निगम की छवि को धूमिल करने की असफल कोशिश हैं. निगम ने फरवरी 2020 से लेकर अगस्त 2022 तक ढुलाई की मद में 3250 रुपए प्रति मीट्रिक टन की दर से भुगतान नहीं किया है. लेकिन ऐसा दर्शाने की कोशिश की जा रही है. निगम ढुलाई की मद में होने वाले खर्च को तत्परता से कम करने में लगा रहा है, निगम को इसमें सफलता भी मिली है. घोटाले के आरोप आधे-अधूरे तथ्यों के आधार पर लगाए गए हैं, जिन्हे निगम सिरे से नकारता है. 

निगम ने बताया कैसे हो रहे खर्चे कम 

निगम लगातार प्रयास करके लैंडफिल साइटों से कचरे की ढुलाई की मद में होने वाले खर्चे को कम कर रहा है. इसके साथ ही निविदा की संपूर्ण प्रक्रिया पूर्णत पारदर्शी एवं सबके लिए खुली थी. लैंडफिल साइटों से कचरे की ढुलाई का कार्य किसी भी हालत में स्थगित या टाला नहीं जा सकता. फरवरी 2020 में ढुलाई के लिए 3250 रुपए प्रति मीट्रिक टन की सबसे कम बोली लगाने वाले को यह ठेका दिया गया था.

ठेका तीन महीने कोरोना संबंधी लॉकडाउन की अवधि तक ही सीमित रहा. मई 2020 में लॉकडाउन के नियमों में छूट मिलते ही निगम ने ढुलाई का ठेका नया टेंडर कर नई एजेंसी को 1807.74 रुपए प्रति मीट्रिक टन में आवंटित किया गया. इसके साथ ही निगम ने ढुलाई की दरों में कमी के लिए अपने प्रयास लगातार जारी रखे तथा दिसंबर 2021 में इन्हें 1746 रुपए प्रति मीट्रिक टन की दर से आवंटित किया गया था. मई 2022 में एक और निविदा आमंत्रित की गई थी, जिसमें 810 रुपए प्रति मीट्रिक टन की बोली प्राप्त हुई थी लेकिन और बेहतर दरें प्राप्त करने के लिए निगम ने इसे रद्द कर दिया था. 

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ऐसे हुआ सब्सिडी का निर्धारण

निगम ने अगस्त 2022 से ढुलाई की मद में दी जाने वाली सब्सिडी 300 रुपए प्रति मीट्रिक टन निर्धारित की है (अगर उठाए जाने वाले कूड़े की मात्रा प्रति माह 5000 मीट्रिक टन से कम है). वहीं, 400 रुपए प्रति मीट्रिक टन (अगर उठाए जाने वाले कूड़े की मात्रा 5,000 से 7500 मीट्रिक टन प्रति माह है ) 450 रुपए प्रति मीट्रिक टन (अगर उठाए जाने वाले कूड़े की मात्रा 7500 से 10000 मीट्रिक टन प्रति माह है), 500 रुपए प्रति मीट्रिक टन (अगर उठाए जाने वाले कूड़े की मात्रा 10000 मीट्रिक टन प्रति माह से अधिक है). 

दिल्ली नगर निगम इस बात को मजबूती से रखना चाहता है कि निगम लैंडफिल साइटों पर जमा निर्माण एवं विध्वंस कचरे एवं आरडीएफ के निस्तारण में तत्परता से लगा हुआ है, जिससे कि उन्हें समतल किया जा सके. इसी दिशा में कार्य करते हुए निगम ने 77 लाख मीट्रिक टन लेगेसी कचरे का निस्तारण कर दिया. 

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