दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की बिगड़ती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने महत्वपूर्ण आपातकालीन बैठक की है. इसमें राज्यों और संबंधित एजेंसियों को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत सूचीबद्ध 'आपातकालीन उपायों' को लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने के लिए कहा गया है.
की गई प्रदूषण के 5 कारणों की पहचान
ये कमीशन दिल्ली-एनसीआर की मौजूदा प्रतिकूल वायु गुणवत्ता में योगदान देने वाले 5 विभिन्न क्षेत्रों की पहचान करता है. दिल्ली-एनसीआर में वर्तमान प्रतिकूल वायु गुणवत्ता परिदृश्य, थार रेगिस्तान की दक्षिण-पश्चिमी दिशाओं से आने वाली धूल भरी आंधी से बहुत अधिक प्रभावित हुई, जिससे भारी मात्रा में धूल आ गई, जिसने पीएम 2.5 / पीएम- 10 के स्तर को काफी बढ़ा दिया है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की बिगड़ती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर आज आकस्मिक आधार पर एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है.
इसलिए दिल्ली एनसीआर की हवा बदहाल
धान की पराली जलाने, वाहनों से होने वाले प्रदूषण, दिवाली के बाद के प्रदूषण, तापमान में गिरावट और अन्य स्थानीय फैक्टर्स के चलते दिल्ली-एनसीआर की हवा बदहाल है. इसने PM2.5/ PM10 के स्तर को और अधिक बढ़ा दिया. वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के सभी विभिन्न पहलुओं पर विचार करते हुए, आयोग ने बैठक के दौरान दोहराया कि उप-समिति के आदेशों द्वारा अनुशंसित कार्यों को राज्यों द्वारा सख्ती से लागू किया जाएगा.
आयोग ने दिल्ली-एनसीआर की खराब वायु गुणवत्ता में योगदान देने वाले 5 अलग-अलग क्षेत्रों की भी पहचान की है, जिन पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और जीएनसीटीडी की राज्य सरकारों की संबंधित एजेंसियों द्वारा गहन प्रयासों के साथ बेहतर ध्यान देने की आवश्यकता है. इनमें- धान की पराली जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण, निर्माण और विध्वंस (सी एंड डी) गतिविधियों से धूल का नियंत्रण, सड़कों और खुले क्षेत्रों से धूल का नियंत्रण, वाहन प्रदूषण और औद्योगिक प्रदूषण शामिल हैं.