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दिल्ली की नई शराब नीति ने बढ़ाई टेंशन, कारोबारियों को CBI जांच का डर!

दिल्ली में शराब की दुकान चलाने वाले लाइसेंस धारी बड़ी टेंशन में हैं क्योंकि नई शराब नीति पर दिल्ली के उप राज्यपाल द्वारा सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद बेहद डर गए हैं. दूसरी बड़ी वजह ये है कि नई पॉलिसी को आगे बढ़ाया जाएगा या नहीं? धंधे से जुड़े वेंडर ने नाम ना छापने शर्त पर बताया कि मियाद खत्म होने के 10 दिन पहले ही रिनीवल को लेकर काम शुरू करना होता है, लेकिन अब तक कोई भी रिस्पांस नहीं मिला है. 

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

दिल्ली में नई शराब नीति से शराब कारोबारी टेंशन में हैं. साल 2001 से 2021 तक देश की राजधानी में शराब का कारोबार कभी मुद्दा नहीं रहा, लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है जब नई शराब नीति न केवल राजनीतिक मुद्दा बन चुकी है बल्कि सीबीआई के घेरे में भी होगी.  

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दिल्ली में शराब की दुकान चलाने वाले लाइसेंस धारी बड़ी टेंशन में हैं क्योंकि नई शराब नीति पर दिल्ली के उप राज्यपाल द्वारा सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद बेहद डर गए हैं. दूसरी बड़ी वजह ये है कि नई पॉलिसी को आगे बढ़ाया जाएगा या नहीं? धंधे से जुड़े वेंडर ने नाम ना छापने शर्त पर बताया कि मियाद खत्म होने के 10 दिन पहले ही रिनीवल को लेकर काम शुरू करना होता है, लेकिन अब तक कोई भी रिस्पांस नहीं मिला है. 

दिल्ली के मास्टर प्लान के मुताबिक, डीडीए अप्रूव्ड मार्केट, शॉपिंग मॉल्स में ही शराब दुकानें खोली जा सकती हैं लेकिन नई लिकर पॉलिसी के तहत बहुत सारी दुकानें नॉन-कंफर्मिंग ज़ोन में खुली, जिसका राजनीतिक तौर पर मुद्दा बना और लोकल आरडब्लूए और एमसीडी ने आपत्ति जता दी है. लिहाजा इस पर भी कोई नीति एक्साइज विभाग की तरफ से नहीं जारी की गई. 

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दिल्ली की नई शराब नीति को लेकर शराब के धंधे से जुड़े वेंडर, बिजनेसमैन और व्यापारी असमंजस की स्थिति में हैं. कंफेडरेशन ऑफ एल्कोहलिक बीवरेजेस कंपनीज (CIABC) के डायरेक्टर जनरल विनोद गिरी ने कहा कि एक्साइज पॉलिसी को लेकर अनिश्चितता के माहौल में राजधानी के पॉश इलाकों जैसे साकेत, महिपालपुर, ग्रीन पार्क में शराब की किल्लत हो गई है. हम इसका जल्द हल चाहते हैं. शराब उपलब्ध हो, सप्लाई प्रभावित न हो और धंधे को ठीक तरह से चला सकें. इन्हीं वजहों से लाइसेंसधारियों ने लाइसेंस ही सरेंडर करना शुरू कर दिया है.  

21 जून 2022 तक 466 दुकानें एक्टिव

एक्साइज विभाग की वेबसाइट पर अपलोड आंकड़ा कहता है कि 21 जून 2022 तक सिर्फ 466 दुकानें ही एक्टिव रहीं. एक्साइज विभाग के सूत्रों का कहना है कि मियाद खत्म होने से पहले अगर इसी तरह लाइसेंस सरेंडर होते रहे तो दुकानों की संख्या 350 के करीब भी जा सकती है. दिल्ली लिकर ट्रेड एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अनिल गोयल का कहना है कि 'नई शराब नीति के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं और उनकी याचिका पर 18 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई है. उनका दावा है कि नई शराब नीति संविधान में दिये गये टैक्स के प्रावधानों का उल्लंघन है.' दिल्ली में हौजखास, मॉडल टाउन,महिपालपुर, साकेत, गोविंदपुरी, कालकाजी, कमला नगर, राजेंद्र नगर आदि इलाकों में शराब की किल्लत है.  

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32 जोन में बांटी गई थी दिल्ली

दिल्ली की नई शराब नीति (2021-2022) के तहत पूरी दिल्ली को 32 लिकर जोन में बांटा गया. 9 जोन ने पहले ही लाइसेंस सरेंडर कर दिया है. इसके तहत 849 दुकानें खुली. 31 जोन में 27 दुकानें मिलीं. एयरपोर्ट जोन को 10 दुकानें मिलीं. 639 दुकानें 9 मई को और 464 दुकानें 2 जून को खोली गई. जबकि इस शराब पॉलिसी 17 नवंबर 2021 को लागू होने से पहले दिल्ली में शराब की कुल 864 दुकानें थी. 475 दुकानें सरकार चला रही थी जबकि 389 दुकानें प्राइवेट थीं. 

नई शराब नीति का खास मकसद   

शराब पीने की उम्र 25 से घटकर 21 हो गई. इस नीति के बाद ड्राइ डे भी घट गए. शराब माफिया को खत्म करने और शराब के समान वितरण का सरकार का लक्ष्य है. दिल्ली पहली सरकार बनी जिसने शराब व्यवसाय से खुद को अलग कर लिया. पब्लिक प्लेस में स्टोर के आगे कोई शराब पीता है तो पुलिस नहीं बल्कि स्टोर वाला जिम्मेदार होगा. लोगों को स्टैंडर्ड लेवल की शराब पीने को मिलेगी.  

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