रानी झांसी फ्लाईओवर उत्तरी दिल्ली नगर निगम के लिए जी का जंजाल बना हुआ है, क्योंकि ये प्रोजेक्ट न जाने कितनी ही बार डेडलाइन देने के बावजूद भी पूरा नहीं हो पाया है. दिलचस्प यह है कि इस फ्लाईओवर को कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 से पहले पूरा किया जाना था, लेकिन आज भी फ्लाईओवर नहीं बन पाया है.
उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने इस संबंध में एक और डेडलाइन दी है. साथ ही कहा गया है कि इस बार अगर डेडलाइन पर काम पूरा नहीं होता है तो फिर एमसीडी एक्शन लेगी. उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने मार्च 2018 तक इसे पूरा करने का अब लक्ष्य रखा है.
इस मसले पर उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अफसरों को चेतावनी दी है कि यदि यह पुल मार्च में नहीं खुला, तो उन पर एक्शन तो होगा ही साथ ही प्रोजेक्ट कंपनी को भी दंडित किया जाएगा. उपराज्यपाल के इस आदेश के चलते संबंधित अफसर एक्टिव हो गए हैं. उन्होंने वहीं डेरा जमा लिया है. इसके लिए वहां दिन-रात काम हो रहा है. पिछले नौ साल से बन रहा यह फ्लाईओवर स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है.
एमसीडी के अधिकारियों का कहना है कि सारी अड़चनें खत्म हो गई हैं और रेलवे से लेकर जल बोर्ड आदि भी इसमें सहयोग कर रहे हैं. एमसीडी के मुताबिक पिछले दस साल से इस काम को किया जा रहा है, लेकिन अब तक बन नही पाई तो वही वहां स्थानीय लोगों को इसकी वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
आपको बता दें कि इस प्रोजेक्ट का प्रस्ताव 1998 में लाया गया है, जिसको बनाने की लागत 70 करोड़ रुपये तय किया गया था, लेकिन इस पर काम 2008 में शुरू किया गया तब तक लागत बढ़कर 200 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है और अब 2017 है तो जाहिर है कीमत भी बढ़ेगी और अब इसको बनाने की कुल लागत 800 करोड़ से ज्यादा हो चुका है.
ये फ्लाईओवर करीब 2 किलोमीटर लंबा होगा जो सेंट स्टीफंस अस्पताल से शुरू होकर रानी झांसी चौराहे तक जाएगा, जिसकी वजह से पुरानी दिल्ली से आसानी से धौलाकुंआ तक जाया जा सकेगा. ये फ्लाईओवर पुसा रोड, अपर रिज रोड और रोहतक रोड के जरिए फिल्मिस्तान सिनेमा, आजाद मार्केट, डीसीएम चौक और रौशनारा रोड से आईएसबीटी तक जाया जा सकेगा, जिससे लोगों को भारी ट्रैफिक जाम से राहत मिल जाएगी.