दीवाली के बाद से प्रदूषण से बेहाल राजधानी धुंआ धुंआ हो गई है और राजधानी इसी धुएं में सांस लेने पर मजबूर है. सरकार भी प्रदूषण पर सिर्फ चिंता जता रही है. सरकार ने सड़को की वैक्युम क्लीनिंग की बात कही है लेकिन इन सारी कवायद के लिए सरकार ने 2 हफ्ते का समय मांगा है. सवाल ये है कि आखिर प्रदूषण के इस भयानक हालात में भी सरकार को समाधान के लिए समय चाहिए.
अगर विशेषज्ञों की माने तो प्रदूषण के इस चरण पर ये सारी कवायद कारगर साबित नहीं हो सकती. अलग अलग इलाकों में नापे गए प्रदूषण लेवल सामान्य से बहुत ज्यादा हैं. अब ऐसे में हालात सुधरने के बजाए और बिगड़ते चले जा रहे हैं. आनंद विहार में पीएम 10 1488 दर्ज़ किया गया जो सामान्य से 15 गुना ज्यादा है. पंजाबी बाग में पीएम 10, 9 गुना ज्यादा और पीएम 2.5, 13 गुना ज्यादा दर्ज किया गया. आर के पुरम में भी पीएम10, 10 गुना ज्यादा और पीएम 2.5, 11 गुना ज्यादा दर्ज किया गया.
प्रदूषण की एक बहुत बड़ी चिंता है. दो बार इवन ओड के प्रयोग के बाद सरकार को भी पता चल गया कि ये इसका हल नही है. लेकिन अगर ये समाधान नही हैं तो आखिर समाधान कहां हैं और सरकार गाड़ियों और धूएं से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए कोई पुख्ता इंतज़ाम क्यों नहीं कर पा रही है. हवा का प्रदूषण और इसमें सांस लेने को मजबूर आवाम सिर्फ भुग्तभोगी बनी हुई है.