राजधानी दिल्ली जिस समय डेंगू और चिकनगुनिया की जबरदस्त चपेट में है, ऐसे में दिल्ली के करीब 40 सरकारी अस्पतालों की 50 हजार नर्स हड़ताल पर चली गई हैं. उनकी मांग है कि सातवें वेतन आयोग की तर्ज पर उनकी भी सैलरी बढ़ाई जानी चाहिए. नर्सों की ये हड़ताल दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले अस्पतालों के आलावा, MCD और NDMC के अस्पताल, रेलवे के अस्पतालों में भी है.
दिल्ली सरकार ने लागू किया ESMA
दिल्ली में फैल रहे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया को देखते हुए दिल्ली सरकार ने असेंशियल सर्विस मैन्टेनेंस एक्ट (ESMA) लागू कर दिया है. इस बाबत गुरुवार को ही प्रस्ताव भेज दिया गया था. स्वास्थ्य सेवाओं में बाधा डालने पर नर्सों के खिलाफ कार्रवाई भी जा सकती है.
हिरासत में ली गईं कई नर्सें
ये हड़ताल अनिश्चितकालीन है, इसलिए अगर सरकार ने तुरंत इसे खत्म करने का रास्ता नहीं निकला तो सरकारी अस्पतालों में आने वाले गरीब आम लोगों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है. इस बीच कुछ अस्पतालों की यूनियन की नर्सों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया है.
सरकार की नीयत खराब, इसलिए की हड़ताल
सफदरजंग अस्पताल की नर्स यूनियन की प्रेसिडेंट प्रेम रोज का कहना है कि नर्सें हड़ताल नहीं चाहती थी लेकिन सरकार ने लगातार हमारी मांगो को नजरअंदाज कर दिया. अप्रैल में स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने भी कहा कि हमारा ग्रेड और एलाउन्स बढ़ाकर बदला जाएगा. 10 साल से जब स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुछ नहीं किया और न ही सरकार की नीयत कुछ देने की है तो हमें हड़ताल करनी पड़ी. ये हड़ताल मार्च में होती थी लेकिन 5 महीने बीतने के बाद भी जब कुछ नहीं किया गया तो हमें ये कदम उठाना पड़ा.
डेंगू और चिकनगुनिया से हालात बदतर
दिल्ली के 40 अस्पतालों में करीब 50 हजार नर्सें हड़ताल पर हैं. फिलहाल ये हड़ताल इसलिए भी जानलेवा हो सकती है क्योंकि बरसात के इस मौसम में डेंगू और चिकनगुनिया तेजी से फैल रहा है. नर्स सिर्फ आश्वासन पर हड़ताल खत्म करने को तैयार नहीं है. ऐसे हालात में मरीज क्या करें और हड़ताल कब खत्म होगी, इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं.