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दिल्ली: अस्पताल बोले- ऑक्सीजन रिपोर्ट गलत, लिस्ट में नॉन कोविड हॉस्पिटल का भी नाम

'आजतक' की टीम ने साउथ वेस्ट दिल्ली के पालम कॉलोनी में स्थित सिंघल हॉस्पिटल से रिपोर्ट में दर्ज बातों को लेकर पक्ष जानना चाहा तो काफी हैरान करने वाला बयान सामने आया. सिंघल हॉस्पिटल के मैनेजर रवि वार्ष्णेय ने ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी की रिपोर्ट को गलत बताया है. हॉस्पिटल मैनेजर ने कहा कि सिंघल अस्पताल में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन टैंक की कोई व्यवस्था ही नहीं है और न ही कोई ऑक्सीजन प्लांट है.

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ऑक्सीजन संकट मामला
ऑक्सीजन संकट मामला
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली में ऑक्सीजन मामले में बवाल जारी
  • कई अस्पतालों ने अंतरिम रिपोर्ट को बताया गलत
  • कमेटी की बैठक में शामिल नहीं हुए थे दो मेंबर

जब दिल्ली कोरोना की दूसरी लहर के खिलाफ युद्ध लड़ रही थी, तब ऑक्सीजन की मांग और कमी ने संकट पैदा कर दिया था. अब जब कोरोना लहर थम गई है तो ऑक्सीजन संकट पर राजनीतिक लहर ने जोर पकड़ लिया है. सुप्रीम कोर्ट में दावा किया गया है कि दिल्ली सरकार ने जरूरत से कई गुना ज्यादा ऑक्सीजन की मांग की, जबकि दिल्ली सरकार ने कहा है कि रिपोर्ट को समिति के सदस्यों से कोई आधिकारिक मंजूरी नहीं मिली है. रिपोर्ट में कुछ अस्पतालों पर जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन की डिमांड करने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. रिपोर्ट में लाइफरेज हॉस्पिटल तु्गलकाबाद, सिंघल हॉस्पिटल पालम, अरुणा आसिफ अली हॉस्पिटल सिविल लाइन्स, ईएसआईसी मॉडल हॉस्पिटल रोहिणी का नाम शामिल है. 

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'आजतक' की टीम ने साउथ वेस्ट दिल्ली के पालम कॉलोनी में स्थित सिंघल हॉस्पिटल से रिपोर्ट में दर्ज बातों को लेकर पक्ष जानना चाहा तो काफी हैरान करने वाला बयान सामने आया. सिंघल हॉस्पिटल के मैनेजर रवि वार्ष्णेय ने ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी की रिपोर्ट को गलत बताया है. हॉस्पिटल मैनेजर ने कहा कि सिंघल अस्पताल में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन टैंक की कोई व्यवस्था ही नहीं है और न ही कोई ऑक्सीजन प्लांट है.

अप्रैल और मई कर महीने में ऑक्सीजन की किल्लत को याद करते हुए अस्पताल प्रशासन ने दावा किया कि हॉस्पिटल स्टाफ खुद जाकर ऑक्सीजन प्लांट से सिलेंडर लेकर आ रहा था. पहले अस्पताल को 2 या 3 सिलेंडर ही मिलते थे क्योंकि कोविड हॉस्पिटल पोर्टल में सिंघल हॉस्पिटल का नाम नहीं था. हालांकि 1 मई 2021 को पोर्टल में अस्पताल का नाम दर्ज हुआ था. अप्रैल में सिंघल अस्पताल में 12 से 13 मरीज़ एडमिट थे, इनमें से 5 से 7 मरीज़ हाई फ्लो ऑक्सीजन पर इलाजरत थे.  जिसके चलते ऑक्सीजन की डिमांड ज़्यादा थी. तब 1 या 2 सिलेंडर से हमारा अस्पताल में स्थिति मैनेज नहीं हो पा रही थी जबकि मरीज़ों के परिजन ख़ुद अपना ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर आ रहे थे.

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इसके बाद 'आजतक' की टीम ने सेंट्रल दिल्ली के अरुणा आसफ अली अस्पताल से संपर्क किया. अस्पताल की मेडिकल सुप्रीटेंडेंट सुनीता मीणा का कहना था कि अरुणा आसिफ अली अस्पताल एक नॉन कोविड अस्पताल है. यानी इस अस्पताल में अप्रैल और मई के महीने में कोरोना मरीज़ों का इलाज हुआ ही नहीं. अस्पताल प्रशासन के मुताबिक कमिटी की रिपोर्ट में जिस लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का ज़िक्र किया गया है वो सिस्टम अस्पताल में मौजूद ही नहीं है.

सुनीता मीणा ने कमिटी की रिपोर्ट में अस्पताल के नाम शामिल होने को गलत ठहराया है. उन्होंने कहा कि अरुणा आसिफ अली अस्पताल नॉन-कोविड है. यहां सिर्फ आम मरीज भर्ती होते हैं और उनके लिए ही ऑक्सीजन की डिमांड थी. रिपोर्ट में अरुणा आसफ अली अस्पताल का नाम होना भी आश्चर्य की बात है. मुझे नहीं पता कि इसका आधार क्या है. इसलिए हम इस पर अभी कुछ नहीं कहना चाहते.

इस रिपोर्ट में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की बात कही गई है और जिस पर ये सारा मुद्दा आधारित है. दरअसल, LMO सिस्टम अरुणा आसफ अली अस्पताल में नहीं है. साथ ही अस्पताल न कोई ऑक्सीजन प्लांट है न कोई स्टोरेज है. हमें नहीं पता कि अरुणा आसफ अली अस्पताल का नाम रिपोर्ट में कैसे आ गया क्योंकि अस्पताल प्रशासन ने ऑक्सीजन की डिमांड नहीं की"

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कमेटी के दो सदस्य नहीं हुए थे बैठक में शामिल

वहीं, ऑक्सीजन पर टास्क फोर्स की अंतरिम रिपोर्ट में साफ तरीके से कहा गया है कि डॉ. संदीप बुद्धिराजा और दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिव भूपिंदर भल्ला 18 मई को बैठक में शामिल नहीं हुए. भल्ला 21 मई की बैठक में भी मौजूद नहीं थे. इसके अलावा, दिल्ली सरकार के गृह सचिव ने 30 मई को कमेटी को एक विस्तृत लेटर भी भेजा था, जिसमें आपत्तियां उठाई गईं और अंतरिम रिपोर्ट के मसौदे में सुधार का सुझाव दिया गया. यह अंतरिम रिपोर्ट दिल्ली सरकार के स्पष्टीकरण के बिना ही सर्वोच्च न्यायालय को प्रस्तुत की गई थी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 18 मई को हुई बैठक के बारे में सभी सदस्यों को जानकारी दी गई थी, लेकिन डॉ. संदीप और भूपेंद्र भल्ला बैठक में शामिल नहीं हुए. बैठक के दौरान इस बात पर सहमति जताई गई कि कोरोना के दैनिक मामले और पॉजिटिविटी रेट लगातार कम हो रहा है और दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स और प्लांट्स लगाए जाने की वजह से ऑक्सीजन की रोजाना खपत कम होकर लगभग 400 मीट्रिक टन हो गई है. ऐसे में बाकी बची हुई ऑक्सीजन को ऐसे इलाकों में डायवर्ट कर दिया जाना चाहिए, जहां पर उसकी शॉर्टेज हो रही है.

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