scorecardresearch
 

जानिए ऑक्सीजन संकट पर क्या कहती है ऑडिट रिपोर्ट, जिसे लेकर भिड़ गए BJP और केजरीवाल सरकार

दिल्ली में ऑक्सीजन संकट से जुड़ी एक रिपोर्ट पर जारी दंगल के बीच कई बातें सामने आई हैं. आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच इस रिपोर्ट को लेकर आर पार की जंग छिड़ गई है.

Advertisement
X
ऑक्सीजन संकट पर आई रिपोर्ट पर बवाल (फाइल फोटो: PTI)
ऑक्सीजन संकट पर आई रिपोर्ट पर बवाल (फाइल फोटो: PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली में ऑक्सीजन संकट पर सामने आई रिपोर्ट पर दंगल
  • आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच जंग

दिल्ली में ऑक्सीजन संकट से जुड़ी एक रिपोर्ट पर जारी दंगल के बीच कई बातें सामने आई हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल की प्रारंभिक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है. 

इसी रिपोर्ट में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली में हुए ऑक्सीजन संकट और तुरंत बढ़ी डिमांड को लेकर कई कमियां उजागर की गई हैं. 22 जून को स्वास्थ्य मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी द्वारा दाखिल हलफनामे में ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर आई कमियां सामने रखी गई हैं.  

हलफनामे के मुताबिक, 13 मई को टास्क फोर्स ने पाया कि दिल्ली में ऑक्सीजन की खपत से चार गुना ज्यादा डिमांड की गई है. जब रिपोर्ट में देखा गया कि अस्पतालों द्वारा गलत दावे किए गए हैं, तब आंकड़ों को ठीक किया गया.

Advertisement

क्लिक करें: रिपोर्ट पर बवाल पर केजरीवाल का ट्वीट- जब आप रैली कर रहे थे, मैं ऑक्सीजन के लिए गिड़गिड़ाया

कमेटी के पास दस मई से डाटा उपलब्ध था, जबकि दिल्ली में दो मई से पीक शुरू हुआ. हालांकि, 29 अप्रैल तक का डाटा उपलब्ध करवाया गया. रिपोर्ट में पाया गया है कि दिल्ली सरकार को पोर्टल में पहले दिन से ही गड़बड़ी थी. 

क्लिक करें: 'ऐसी कोई रिपोर्ट आई ही नहीं', ऑक्सीजन रिपोर्ट पर Manish Sisodia ने BJP को दिया जवाब

ऑक्सीजन की डिमांड में अंतर नहीं कर पाए अस्पताल
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा इसलिए हुआ कुछ अस्पताल किलो लीटर और मीट्रिक टन में अंतर नहीं कर पाए, जब डिमांड 700 एमटी कही गई तब इसकी जांच नहीं हुई. इतना ही नहीं, ये भी सामने आया है कि बड़े अस्पतालों का डाटा, छोटे अस्पतालों का सिलेंडर डाटा, रिफिलर स्टेशन के डाटा काफी हदतक गायब हैं.

ऑक्सीजन को लेकर दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार के फॉर्मूले से अलग की राह पकड़ी, केंद्र का फॉर्मूला कहता है कि 92-94 फीसदी ऑक्सीजन सेचुरेशन के लिए 50 फीसदी नॉन आईसीयू बेड्स की गिनती होनी चाहिए. लेकिन दिल्ली सरकार का फॉर्मूला 100 फीसदी बेड्स की गिनती करता है. 

रिपोर्ट में दिल्ली में टैंकर ऑक्सीजन सप्लाई पर सवाल खड़े किए गए हैं, साथ ही ऑक्सीजन के ट्रांसपोर्ट, अपलोडिंग और स्टोरेज को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं. टास्क फोर्स के अनुसार, 13 मई को दिल्ली में 290-400 एमटी ऑक्सीजन की जरूरत थी, जिसमें 100 एमटी इमरजेंसी के लिए रिजर्व था.  अभी ये टास्क फोर्स की प्रारंभिक रिपोर्ट है, कमेटी द्वारा आगे के डेटा को जांचा जा रहा है. लेकिन अभी से ही इसपर राजनीतिक जंग शुरू हो गई है. 

Advertisement

आम आदमी पार्टी और भाजपा में शुरू हुई जंग
राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन संकट को लेकर सामने आई इस रिपोर्ट पर घमासान मच गया है. भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल की रिपोर्ट में अरविंद केजरीवाल सरकार की कमियों को उजागर किया गया है. दूसरी ओर मनीष सिसोदिया का कहना है कि ऐसी कोई रिपोर्ट आई ही नहीं है. 
 

अब बीजेपी की ओर से एक और दावा किया गया है. भाजपा नेताओं की ओर से ट्वीट किया गया है कि जिसमें दावा किया गया है कि दिल्ली सरकार को तीन दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल की रिपोर्ट मिल चुकी है, फिर भी वह सच स्वीकार नहीं कर रहे हैं. 

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर लिखा कि दिल्ली सरकार को ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट तीन दिन पहले ही मिल गई थी. लेकिन मनीष सिसोदिया तुरंत आए और इस रिपोर्ट को नकार दिया. अमित मालवीय के अलावा संबित पात्रा की ओर से भी ट्वीट कर यही आरोप लगाए गए हैं. संबित पात्रा ने ही पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिल्ली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे. 

 

 

Advertisement

 

  • क्या ऑक्सीजन संकट को लेकर लग रहे आरोपों की जांच होनी चाहिए?

Advertisement
Advertisement