दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों और हेल्थ वर्कर्स की सैलरी पर फंड की वजह से संकट मंडराता रहता है. जिसे लेकर लगातार राजनीति होती रहती है. कांग्रेस नेता अभिषेक दत्त ने दिल्ली हाईकोर्ट में तीनों दिल्ली नगर निगमों के फंड आवांटन को लेकर एक जनहित याचिका दाखिल की है. इतना ही नहीं उन्होंने इस मामले में ऑडिटर जनरल के हस्तक्षेप और फॉरेंसिक के साथ-साथ ऑडिट की भी मांग की है.
कांग्रेस नेता अभिषक दत्त का कहना है कि पीआईएल में कहा गया है कि भारतीय संविधान की धारा 243-आई और 243-वाई के अतंर्गत उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली वित्त आयोग का गठन दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के बीच अर्जित टैक्सों, टोल, ड्यूटी के वितरण के लिए किया गया था. पांचवे वित्त आयोग 2016-2021 के लिए अक्टूबर 2017 में रिपोर्ट जारी हुई थी. लेकिन दिल्ली सरकार ने निगमों को पांचवे वित्त आयोग के मुताबिक राशि जारी नहीं की है. जबकि चौथे वित्त आयोग के अनुसार दी जाने वाली राशि भी बकाया है.
उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद चौथे वित्त आयोग में 12.5 प्रतिशत की सिफारिश होने के बावजूद भी 10.5 प्रतिशत की राशि देना तय हुआ, परंतु केजरीवाल सरकार ने कभी भी निगमों को यह राशि नहीं दी. दिल्ली सरकार ने निगमों को कितना पैसा जारी किया. यदि तीनों निगमों को यह राशि मिली तो उन्होंने किन-किन मदों में उसका व्यय किया और जीरो पारदर्शिता के तहत तीनों निगमों को दी जाने वाली राशि के उपयोग किन मदों में हुआ, इसकी जांच कम्पट्रोलर ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (सीएजी) द्वारा की जानी चाहिए.
कांग्रेस नेता अभिषेक दत्त ने कहा दिल्लीवासियों को गुमराह करने के लिए निगमों को 13000 करोड़ रुपये जारी करने के लिए बीजेपी नेता केजरीवाल के खिलाफ धरने दे रहे हैं और आम आदमी पार्टी बीजेपी शासित निगमों पर 2500 करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है.
अभिषेक दत्त के मुताबिक पीआईएल दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वीकार कर ली है, साथ ही इसे रिप्रेजेंटेशन के तौर पर नगर निगम और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो इस बाबत जवाब दें? साथ ही असंतुष्ट होने की स्थिति में याची को दोबारा कोर्ट का रुख करने की बात अभिषेक दत्त ने दिल्ली हाईकोर्ट के हवाले से कही है.