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आधी आबादी की ताकत! मदद के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं दिल्ली पुलिस की ये महिला जवान

लॉकडाउन के दौरान पूरी दिल्ली से तकरीबन 950 से ज्यादा प्रेग्नेंट वूमेन को इन्हीं PCR वैन के जरिए अस्पताल तक पहुंचाया गया और आपको जानकर हैरानी होगी कि 9 बच्चों ने तो इन्हीं PCR वैन में जन्म लिया और दुनिया के सामने आंखें खोलीं और सभी पूरी तरह से सुरक्षित हैं.

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दिल्ली पुलिस की महिला जवान. (फोटो-आजतक)
दिल्ली पुलिस की महिला जवान. (फोटो-आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना काल में लोगों की मदद का उठाया बीड़ा
  • बदमाशों से लोहा लेने के लिए आधुनिक हथियारों से लैस
  • घर के साथ-साथ ड्यूटी का फर्ज निभा कायम कर रहीं मिसाल

देश की आधी आबादी की बढ़ती ताकत का उम्दा नजारा अगर आपको देखना है तो आप दिल्ली पुलिस की महिला जवानों से मिल सकते हैं. दिल्ली पुलिस की फर्स्ट रिस्पांडर टीम किसी भी विषम परिस्थिति में मदद के लिए हमेशा खड़ी रहती हैं. दिल्ली पुलिस की महिला पुलिसकर्मियों से संचालित होने वाली दिल्ली पुलिस की PCR वैन की कहानी कुछ ऐसी ही है. कोरोना संकट के दौरान  दिल्ली पुलिस की PCR वैन और खासतौर पर महिलाओं द्वारा ऑपरेट होने वाली PCR वैन ने दिल्लीवासियों की जो सेवा की है वो अपने आप में एक नजीर है.

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लॉकडाउन के दौरान पूरी दिल्ली से तकरीबन 950 से ज्यादा प्रेग्नेंट वूमेन को इन्हीं PCR वैन के जरिए अस्पताल तक पहुंचाया गया और आपको जानकर हैरानी होगी कि 9 बच्चों ने तो इन्हीं PCR वैन में जन्म लिया और दुनिया के सामने आंखें खोलीं और सभी पूरी तरह से सुरक्षित हैं.

दिल्ली पुलिस की All women PCR में सभी स्टाफ महिलाएं होती हैं. दिल्ली के अलग-अलग जगहों पर दिल्ली पुलिस की 15 वूमेन डेडिकेटेड PCR वैन तैनात की गई हैं. ऐसे ही महिलाओं से संचालित दिल्ली पुलिस की PCR वैन के स्टाफ ने बातचीत में बताया कि ये लोग कैसे लोगों की मदद करती हैं और चुनौतियों से पार पाती हैं.

नगालैंड की रहने वाली वेक्रेलू PCR की ड्राइवर हैं. नॉर्थ ईस्ट की महिलाओं को इन PCR वैन में तैनात करने की एक वजह ये भी है कि कोई पीड़ित अगर नॉर्थ ईस्ट की है तो ये महिला पुलिसकर्मी उनकी भाषा समझ कर आसानी से उन्हें हेल्प दे सकें. दिल्ली पुलिस के हेल्पलाइन 102 पर कोई भी कॉल आती है उसे सीधा इन्हीं PCR पर ट्रांसफर किया जाता है और फिर PCR में मौजूद सभी स्टाफ को कम समय में मौके पर पहुंचना होता है ऐसे में ड्राइवर का तेज तर्रार होना जरूरी होता और इसी भूमिका को बखूबी निभाती हैं नगालैंड की रहने वाली ये पुलिसकर्मी.

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दूसरे PCR वैन की ड्राइवर हरियाणा की रहने वाली कॉन्स्टेबल मीनाक्षी बताती हैं कि हर तरह की कॉल आती है हमारे पास. स्नेचिंग, रॉबरी, महिलाओं से सम्बंधित कॉल भी आती है. वह कहती हैं कि उनके लिए लोगों की सेवा करना और दिल्ली पुलिस का हिस्सा होना गर्व की बात है.

PCR वैन में बदमाशों से लोहा लेने के लिए MP-5 जैसे अत्याधुनिक हथियारों से लैस हरियाणा की रहने वाली संगीता भी ड्यूटी पर हमेशा लोगों की सुरक्षा के लिए मुस्तैद रहती हैं. वह हथियार दिखाते हुए कहती हैं. जरूरत पड़ने पर हमें इसे चला भी सकते हैं. हमें इसकी ट्रेनिंग दी गई है. दिल्ली के बेहद संवेदनशील इलाके संसद भवन और इंडियागेट के पास सुरक्षा जांच के लिए PCR वैन से पैट्रोलिंग करती ये महिला पुलिसकर्मी देश की नारी शक्ति का एहसास कराती हैं..

इन PCR वैन को कॉलेज के सामने भी तैनात किया गया है. दिल्ली के लोधी कालोनी में तैनात all women PCR की  कॉन्स्टेबल डिम्पल  के बच्चे हैं, परिवार है लेकिन बात फर्ज की आती है तो उसमें बढ़-चढ़ कर आगे आती हैं. हाल ही में सड़क पर तड़पती एक महिला की इस टीम ने रेस्क्यू भी किया था.

दिल्ली पुलिस के इन  महिला जवानों को खासतौर पर महिलाओं से सम्बंधित अपराध की सूचना देकर मौके पर जाने को कहा जाता है कई बार मौके पर बदमाशों से सामना भी होता है जिसके लिए ये पूरी तरह हथियारों से लैश होती हैं और बदमाशों का मुकाबला भी करती हैं. लॉकडाउन के दौरान दिल्ली पुलिस की PCR वैन 24 घंटे लगातार लोगों तक उन्हें जरूरत का सामान या फिर जरुरतमंदों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने का यहां तक कि कोरोना से पीड़ित मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने का जिम्मा उठाया था.

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 पीसीआर वैन में जन्म देने वाली 9 महिलाएं भी सम्मानित 

कोरोना काल के दौरान दिल्ली पुलिस ने करीब 997 प्रेग्नेंट महिलाओं को अस्पताल पहुंचाया इनमें से 9 महिलाएं ऐसी थी जिनकी डिलीवरी पीसीआर वैन के अंदर ही हुई. लॉकडाउन की विषम परिस्थितियों में दिल्ली पुलिस के पीसीआर कर्मियों ने पीसीआर वैन में बच्चों को जन्म देने में गर्भवती महिलाओं की मदद की थी. सम्मानित की गई इन महिलाओं का कहना है पुलिस इनके लिए भगवान बन कर आई.  करोना कॉल के दौरान प्रसव पीड़ित संगीता ने भी दिल्ली पुलिस पीसीआर को कॉल किया था. कोरोना वायरस संकट के दौरान ना कोई गाड़ी थी ना कुछ था. उनके रिश्तेदार भी नहीं थे. 100 नंबर की गाड़ी को फोन करने पर पुलिस ने मदद की थी.

पीसीआर पर तैनात पुलिसकर्मियों ने आजतक से बातचीत में कहा कि उनके लिए यह बहुत मुश्किल दौर था कि जब किसी महिला को प्रसव पीड़ा हुई और उसको पीसीआर वैन के अंदर बच्चे को जन्म देना पड़ा लेकिन पुलिसकर्मियों ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने पीसीआर में बच्चे का जन्म करवाया.  ईशा पांडे, डीसीपी,पीसीआर ने बताया कि लॉकडाउन के समय मे जहाँ लोगों को टैक्सी ऑटो मिलना मुश्किल होता था इसलिए पीसीआर ने बहुत उल्लेखनीय कार्य किया. 997 प्रेग्नेंट लेडीज को हॉस्पिटल पहुंचाने का काम किया उनमें से 9 महिलाओं की डिलीवरी पीसीआर में ही हुई.
 

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