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'आज तक' की खबर का असर, खून के सौदागर को पुलिस ने AIIMS से धरा

डेंगू का डर पूरी दिल्ली में दहशत की वजह बना हुआ है. अस्पतालों में मरीजों की भीड़ उमड़ रही है ऐसे में खून का कालाबाजारी करने वालें दलालों की चांदी हो गई है.

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खून बेचने आए एक शख्स को पुलिस ने पकड़ा
खून बेचने आए एक शख्स को पुलिस ने पकड़ा

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डेंगू का डर पूरी दिल्ली में दहशत की वजह बना हुआ है. अस्पतालों में मरीजों की भीड़ उमड़ रही है ऐसे में खून का कालाबाजारी करने वालें दलालों की चांदी हो गई है. डर और दहशत की आड़ में दलाल अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं और इसी का खुलासा हमने किया था, जितना ज्यादा बुखार का खौफ उतनी ही जल्दी मरीज और उनके रिश्तेदार इन खून के सौदागरों की गिरफ्त में फंस रहे हैं. इन्हीं को बेनकाब करने के लिए 'आजतक' की स्पेशल जांच टीम ने दिल्ली के चार बड़े अस्पतालों- लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल (एलएनजेपी), ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंज अस्पताल(एम्स), गुरु तेग बहादुर अस्पताल (जीटीबी) और राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) में चल रहे खून माफिया का भंडाफोड़ किया था.

खून बेचने आए एक शख्स को पुलिस ने पकड़ा
खबर चलने के बाद सरकारी अमला में हड़कंप मच गया, अस्पताल प्रशासन की आंख खूली और अस्पतालों में सख्ती बढ़ गई. दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में खून बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश करने के लिए कई टीमें बनाई गई. इसी के तहत दिल्ली पुलिस को एक बड़ी कामयाबी एम्स में मिली, यहां एम्स प्रशासन की शिकायत पर एम्स के ब्लड बैंक से एक शख्स को हिरासत में लिया गया. आरोपी ब्लड बैंक में खून देने आया था, हिरासत में लेने के बाद मालूम पड़ा कि खून बेचना उसका पेशा है और इससे पहले भी खून डोनेट करने के नाम पर वो खून बेचता रहा है. अब दिल्ली पुलिस आरोपी से पूछताछ करके उस गिरोह तक पहुंचने में लगी है जो खून के कालाबाजी में सालों से लगे हुए हैं. आरोपी ने फिलहाल पुलिस को बताया है कि उसकी पत्नी बीमार है और उसके इलाज के लिए पैसे जुटाने के लिए वो ख़ून बेचने आया था.

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बीजेपी के राष्ट्रीय मंत्री आरपी सिंह ने पुलिस कमिश्नर को लिखी चिट्ठी
इस मामले को लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय मंत्री आरपी सिंह ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर आलोक कुमार को चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने ये मांग की है कि दिल्ली पुलिस इस मसले पर संज्ञान लेकर तुरंत कार्रवाई करे, क्योंकि ये ड्रग एंड कोस्मेटिक एक्ट 1940 का उल्लंघन है.

मरीज परेशान और खून माफिया काट रहे हैं चांदी
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंज अस्पताल(एम्स) में महेश पंजाबी नाम के दलाल ने अंडर कवर रिपोर्टर से कहा कि 5 हो 10 हो या 15 यूनिट, जितना मर्जी चाहो खून मिल जाएगा. जब दलाल से पूछा गया कि डोनर कहां से जुटाओगे तो उसने कहा कि कॉलेज से लड़के मंगवाएंगे जो खून देने का पैसा लेंगे. फिर हमे उसने कॉलेज के लड़के मुहैया कराने वाले दो और दलाल से मिलवाया. एक यूनिट खून के लिए दलाल ने कहा कि तीन हजार रुपये यूनिट लेते हैं, लेकिन आप से 2800 रुपये ले लेंगे. इस दलाल से जब O पॉजीटिव ग्रुप के मरीज के लिए प्लेटलेट्स मुहैया कराने के लिए कहा गया तो उसने इसके लिए 6000 रुपये यूनिट के हिसाब से मांग की.

लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल (एलएनजेपी) में भी खून की कालाबाजारी करने वाले दलाल धड़ल्ले से अपना काम करते दिखे. यहां एक थैली खून की कीमत 3,500 रुपये तक की मांग करते देखा गया. डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट्स मुहैया कराने के लिए 12,000 रुपये यूनिट के हिसाब से मांगे जा रहे थे, यहां अस्पताल कर्मचारियों की मिलीभगत से दलालों का ये धंधा फलफूल रहा है. इन दलालों से हमने 8 यूनिट ब्लड की मांग की, तो दलाल ने उसके लिए 28000 रुपये मांगे और कहां कि वो 12 साल से इसी धंधे में लगे हुए हैं, और इतने बड़े पैमाने पर ब्लड मुहैया करना उनके लिए बाएं हाथ का खेल है. दलालों ने तीन यूनिट प्लेटलेट्स के लिए 36 हजार रुपये की मांग की.

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'आज तक' ने दिखाया की आरएमएल में खून के इस काले कारोबार में ब्लड बैंक का कर्मचारी सचिन सक्रिय है. जब अंडर कवर रिपोर्टर ने यहां ब्लड बैंक कर्मचारी सचिन से खून की जरूरत जताते हुए संपर्क किया तो उसने एक यूनिट ब्लड के लिए 10 हजार रुपये की मांग की और 2 यूनिट प्लेटलेट्स के लिए 30 हजार रुपये की मांग की. दलाल सचिन ने अंडर कवर रिपोर्टर को बताया कि उसकी सेटिंग आरएमएल के ब्लड बैंक से लेकर रेड क्रॉस तक है इसलिए प्लेटलेट्स भी मिल जाएगा.

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