पुलिस के साथ बढ़े तनाव के बीच बुधवार को वकीलों ने कामकाज बंद कर चौथे दिन भी दिल्ली में जमकर विरोध-प्रदर्शन किया. साकेत जिला अदालत लगातार तीसरे दिन भी बंद रही, जिससे लोगों को काफी परेशानी हुई. इस बीच दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने पुलिसकर्मियों को खत लिखा है, जिसमें उन्होंने अनुशासन कायम रखने के लिए कहा है. उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि पुलिसकर्मियों ने सबसे महत्वपूर्ण भावना को समझा और अपनी-अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद हो गए.
खत में पुलिस आयुक्त ने लिखा, मैंने कल आपसे अपील की थी कि हमारी चिंता के लिए नागरिकों में सहानुभूति की भावना है और उसे ध्यान में रखते हुए हमें अनुशासन कायम रखना चाहिए. मुझे गर्व और खुशी है कि आप सबने इस जरूरी भावना को समझा और अपनी-अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद हो गए. पुनर्विचार याचिका के जरिए हमने हाई कोर्ट में जो मुद्दा उठाया था, उसमें भी हमें न्यायोचित राहत मिली है और इस विषय में हम मुनासिब कोशिशें जारी रखेंगे.
पुलिस आयुक्त का खत
उन्होंने आगे लिखा, 'इस मौके पर मैं आपसे फिर अपील करना चाहता हूं कि हर तरह के प्रोवेकेशन को दर किनार कर दिल्ली पुलिस की गरिमा को बनाए रखें और कामकाज पर मुस्तैद रहें. हम देश की एक श्रेष्ठ और प्रतिष्ठित पुलिस बल से प्रमुख हिस्से हैं. इसलिए हम अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को समझकर दिल्ली पुलिस की प्रतिष्ठा में योगदान दें.'
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दिल्ली HC में हुई सुनवाई
गौरतलब है कि तीस हजारी हिंसा मामले में बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सलाह दी कि वे साथ बैठकर आपसी झगड़े को सुलझाएं. कोर्ट ने कहा कि वकीलों और पुलिस के जिम्मेदार प्रतिनिधियों के बीच संयुक्त बैठक होनी चाहिए, ताकि विवाद को सुलझाने की कोशिशें हो सकें.
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'पुलिस-वकील कानून की रक्षा के लिए'
कोर्ट ने हालांकि दोनों पक्षों को आईना भी दिखाया. कोर्ट ने कहा, बार काउंसिल और पुलिस प्रशासन दोनों कानून की रक्षा के लिए हैं. न्याय के सिक्के के ये दो पहलू हैं और कानून के लिए इन दोनों को करीबी और सद्भाव के साथ काम करना चाहिए. उनके बीच कोई भी असंगति या टकराव शांति और सद्भाव के लिए निंदनीय है. साथ ही भविष्य के लिए लोकहित के लिए भी खतरनाक है.
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पुलिस को हाई कोर्ट से झटका
वहीं इस मामले में कोर्ट ने गृह मंत्रालय की उस याचिका का निपटारा कर दिया है, जिसमें कोर्ट के आदेश का स्पष्टीकरण मांगा गया था. कोर्ट ने कहा कि उसके द्वारा बनाई गई कमेटी ही मामले की जांच करेगी. मीडिया रिपोर्टिंग पर कोई बैन नहीं है. कोर्ट ने कहा, उस दिन जो दो एफआईआर दर्ज हुई थीं, उसको लेकर कोई कार्रवाई नहीं होगी.
अगर बाद में कोई प्राथमिकी दर्ज हुई है तो दिल्ली पुलिस एक्शन ले सकती है. इसके अलावा दिल्ली हाई कोर्ट ने साकेत जिला अदालत मामले में पुलिस की अर्जी को खारिज कर दिया है. पुलिस ने वकीलों पर एफआईआर दर्ज कराने की इजाजत मांगी थी.