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प्रदर्शनकारियों के लिए खुशखबरी! अब कम दर्द पहुंचाएंगे दिल्ली पुलिस के डंडे

भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस द्वारा लाठीचार्ज की घटना अब इतिहास की बात रह जाएगी. दिल्ली पुलिस को अब उसके बांस की लाठी की जगह हल्की एवं सुविधाजनक तरीके से उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिक के डंडे दिए जाएंगे.

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भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस द्वारा लाठीचार्ज की घटना अब इतिहास की बात रह जाएगी. दिल्ली पुलिस को अब उसके बांस की लाठी की जगह हल्की एवं सुविधाजनक तरीके से उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिक के डंडे दिए जाएंगे.

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प्लास्टिक के डंडे मानव शरीर पर पड़ने पर लाठी की अपेक्षा कम दर्द पहुंचाते हैं.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया, 'पॉलीकॉर्बोनेट से बनी, पारदर्शी, ठोस तथा लगभग न टूटने वाले पदार्थ की इस नई छड़ी का हल्का होने के कारण उपयोग करना आसान है तथा इससे चोट भी कम लगती है.'

नाम उजागर न करने की शर्त पर अधिकारी ने बताया, 'चूंकि ऐसे डंडों का वजन कम है इसलिए उनसे किसी व्यक्ति को कम नुकसान पहुंचेगा तथा गंभीर चोट लगने की संभावना नहीं रहेगी.'

याद रहे कि दिल्ली के रामलीला मैदान में जून 2011 में योगगुरु बाबा रामदेव की समर्थक एक 51 वर्षीय महिला के पुलिस की लाठी से घायल होकर मरने की घटना के बाद दिल्ली पुलिस को काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी.

भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान मृतका राजबाला के अलावा रामदेव के अनेक समर्थकों को पुलिस की कार्रवाई का शिकार होना पड़ा था.

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इसके अलावा पिछले वर्ष दिसंबर में दुष्कर्म के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर अतिरिक्त बल प्रयोग करने के कारण भी पुलिस को आलोचना झेलनी पड़ी थी. न्यायालय ने भी पुलिस को लाठी चलाने पर लताड़ लगाई थी.

अधिकारी ने बताया, 'उम्मीद है कि अब ऐसी घटनाओं को रोका जा सकेगा.'

पुलिस के एक अन्य अधिकारी ने बताया, 'प्लास्टिक डंडे सबसे पहले दिल्ली सशस्त्र पुलिस बटालियन को दिए गए हैं तथा नई दिल्ली के कुछ प्रमुख इलाकों में जहां अधिकतर प्रदर्शन होते हैं, वहां पुलिसकर्मियों को प्लास्टिक डंडे का प्रयोग करने का निर्देश दिया गया है.'

दिल्ली के पुलिस उपायुक्त एस.बी.एस. त्यागी के अनुसार, नई किस्म के डंडों का उपयोग ज्यादातर अशांत एवं अनियंत्रित भीड़ को नियंत्रित करने के लिए किया जाएगा.

त्यागी ने कहा, 'जंतर-मंतर तथा संसद भवन को जाने वाले मार्ग पर अमूमन ज्यादा प्रदर्शन होते हैं. कई बार वे नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं और हमें लाठीचार्ज के लिए बाध्य होना पड़ता है.'

एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि यूरोप के अधिकांश देशों में इस तरह के हल्के डंडों का उपयोग होने लगा है. यह एक सराहनीय प्रयास है.

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