दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आखिर किस नीति के तहत राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर ई रिक्शा चल रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि इसको लेकर दिल्ली सरकार और नगर निगमों की स्पष्ट राय नहीं है.
न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम से सवाल किया था कि किस नीति के तहत बैटरी चालित ई रिक्शा सड़कों पर चल रहे हैं. जब दोनों इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए तो अदालत ने उक्त टिप्पणी की.
पीठ ने कहा कि ई रिक्शा के चलने पर दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के मन में अस्पष्टता है. इस बात का कोई जवाब नहीं है कि किस नीति के तहत ई रिक्शा चल रहे हैं. कोर्ट ने यह टिप्पणी बैटरी चालित रिक्शा ऑपरेटरों के एसोसिएशनों की याचिका को मंजूर करते हुए की.
वे चाहते थे कि उस जनहित याचिका में उन्हें भी पक्षकार बनाया जाए, जिसमें इन वाहनों पर इस आधार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है कि वे बिना लाइसेंस या नंबर प्लेट के चल रहे हैं. अदालत ने दिल्ली सरकार और नगर निगम से चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर कर उस नीति के बारे में बताने को कहा, जिसके तहत ये वाहन चलाए जा रहे हैं.
मामले की अगली सुनवाई की तारीख 21 मई निर्धारित कर दी है.