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दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीख का फिलहाल ऐलान नहीं

दिल्ली में चुनाव आयोग की बैठक शुरू खत्म हो चुकी है. पहले खबरें आ रही थीं कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीख का आज ऐलान हो सकता है. लेकिन चुनाव आयोग ने बैठक के बाद कहा कि फिलहाल तारीख का ऐलान नहीं किया जा रहा है.

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दिल्ली में चुनाव आयोग की बैठक शुरू खत्म हो चुकी है. पहले खबरें आ रही थीं कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीख का आज ऐलान हो सकता है. लेकिन चुनाव आयोग ने बैठक के बाद कहा कि फिलहाल तारीख का ऐलान नहीं किया जा रहा है.

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बैठक के बाद चुनाव आयोग ने कहा कि कोई जल्दबाजी नहीं है, एक दो दिन में देखेंगे, आज कुछ नहीं.

मुकाबला बीजेपी बनाम AAP
दिल्ली चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच माना जा रहा है. 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में दिल्ली में आप ने 28 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी 31 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. इसके बाद अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में कांग्रेस के समर्थन से आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी. हालांकि लोकपाल के मुद्दे पर मतभेद के कारण केजरीवाल ने सिर्फ 49 दिनों के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद मई 2014 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो इसमें बीजेपी ने सभी पार्टियों का सूपड़ा साफ कर दिया. पार्टी ने क्लीन स्वीप कर सभी सात लोकसभा सीटें जीत ली थीं.

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बीजेपी के छह नेता लड़ेंगे AAP के टिकट पर
दिल्ली बीजेपी के ऐसे छह नेता जिन्होंने पिछले साल पार्टी का दामन छोड़ दिया था वो अह आम आदमी पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ेंगे. इन छह नेताओं में दो पूर्व विधायक भी शामिल हैं जबकि तीन काउंसलर हैं. इसके अलावा दो ऐसे नेताओं को भी AAP ने टिकट दिया है जो बीएसपी और कांग्रेस पार्टी छोड़कर आए हैं. बीजेपी के पूर्व विधायक राम निवास गोयल शाहदरा से AAP उम्मीदवार हैं. उन्होंने पिछले साल फरवरी में बीजेपी छोड़कर AAP का दामन थामा था. दो बार बीजेपी काउंसलर रह चुके रघुवेंद्र शौकीन नांगलोई से AAP उम्मीदवार हैं. इसके अलावा वेद प्रकाश, करतार सिंह तंवर, नरेश बलयान और फतेह सिंह ने भी 2014 में लोकसभा चुनाव के बाद AAP से जुड़ गए थे. प्रकाश को नॉर्थवेस्ट दिल्ली से, तंवर को छतरपुर से, बलयान को उत्तम नगर से और फतेह सिंह को गोकुलपुरी से टिकट मिला है.

पार्टियों के बीच शुरू हुई जुबानी जंग
इस बीच चुनाव के ऐलान से पहले दिल्ली में नए सियासी समीकरण बनने के संकेत मिल रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने संकेत दिए कि अगले चुनाव में किसी को भी बहुमत नहीं मिलने पर पार्टी आम आदमी पार्टी को समर्थन देने पर विचार कर सकती है. हालांकि, अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके कटाक्ष किया है कि शीला दीक्षित के बयान का मतलब ये है कि कांग्रेस पहले से ही हार मान चुकी है. शीला दीक्षित ने कहा, 'तर्क तो यही कहता है कि हम स्थिर सरकार ही चाहेंगे. इसलिए अगर जरूरत पड़ी तो सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता से दूर रखने के लिए हम AAP को तरजीह देंगे.'

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एक भी सीट नहीं जीतेगी कांग्रेस: AAP
हालांकि आम आदमी पार्टी ने शीला दीक्षित की इस सांकेतिक पेशकश को सिरे से नामंजूर कर दिया. AAP नेता मनीष सिसोदिया ने कहा, 'मुझे लगता है कि कांग्रेस 70 में से एक भी सीट नहीं जीतने वाली. हमें अपने दम पर सत्ता में आने का विश्वास है.' एक टीवी चैनल से बातचीत में AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि क्या कांग्रेस चुनाव से पहले ही हार मान चुकी है, जो हमें समर्थन पेश कर रही है? उन्होंने कहा कि मैं लोगों से अपील करता हूं कि वे कांग्रेस को हरगिज वोट न करें क्योंकि यह वोट खराब करने के बराबर है.

हालांकि शीला दीक्षित का बयान कांग्रेस का औपचारिक बयान नहीं माना जा सकता. क्योंकि वह इन दिनों राजनीतिक रूप से हाशिये पर हैं. न ही वह पार्टी का चेहरा हैं और न ही चुनावों की रणनीति और अन्य प्रक्रियाओं में सक्रिय रूप से शामिल हैं.

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