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अक्टूबर से मार्च तक दिल्ली में सांस लेना मना, हो जाएंगे बीमार!

CSE ( सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट) में सीनियर रिसर्चर पलाश मुखर्जी ने बताया कि जैसे जैसे तापमान में गिरावट शुरू होती है, हवा की रफ्तार में कमी आती हैं जिसकी वजह से धूल के कण और धुआं हवा में ही रहता है और हवा प्रदूषण बनकर हमारी सांसों में घुलती मिलती हैं.

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दिल्ली की हवा लगातार खराब होती जा रही है.
दिल्ली की हवा लगातार खराब होती जा रही है.

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दिन-रात बिगड़ती राजधानी की आबोहवा सामान्य तौर पर सांस लेने लिए बिल्कुल भी अनुकूल नहीं है, लेकिन मजबूरी का आलम ये हैं कि राजधानी में दीवाली के बाद से शुरू हुआ प्रदूषित हवा का सिलसिला फरवरी मार्च तक चलता हैं.

CSE ( सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट) में सीनियर रिसर्चर पलाश मुखर्जी ने बताया कि जैसे जैसे तापमान में गिरावट शुरू होती है, हवा की रफ्तार में कमी आती हैं जिसकी वजह से धूल के कण और धुआं हवा में ही रहता है और हवा प्रदूषण बनकर हमारी सांसों में घुलती मिलती हैं.

पलाश आगे बताते हैं कि राजधानी में दीवाली पर पटाखों से प्रदूषण शुरू होता हैं, उसके बाद पंजाब-हरियाणा में जलने वाली फसलों का धुआं दिल्ली की हवा को प्रदूषित बनाते हैं. इसके बाद वाहनों का धुआं और प्रदूषण में सबसे बड़ी भागीदारी कंस्ट्रक्शन साइट से उड़ने वाली धूल का भी होता है. इस तरह से अलग-अलग सोर्सेज की वजह से दिल्ली की हवा प्रदूषित होती चली जाती है.

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CSE की माने तो दिल्ली की हवा में 20 से 25 प्रतिशत गाड़ियों का प्रदूषण, 10 से 15 प्रतिशत पंजाब-हरियाणा की फसलों को जलाने का प्रदूषण और 40 प्रतिशत कंस्ट्रक्शन साइट पर उड़ती धूल से हुआ प्रदूषण शामिल है. आंकड़ों की माने तो इस प्रदूषित हवा की वजह से लगभग 25 लाख लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. इसके अलावा बच्चों के लिए बेहद खतरनाक ये हवा उन्हें लगातार बीमारियों की चपेट में ले रही है.

प्रदूषण से निपटने के लिए सख्ती की जरूरत है. सरकार और एजेंसियों के नियम प्रदूषण के लिए बने तो हैं, लेकिन उनका इम्प्लीमेंटेशन में कमी हैं. कूड़ा जलाने पर 5000 रुपये तक का जुर्माना हैं, लेकिन फिर भी किसी में जुर्माने का डर नहीं है.

दिल्ली में कंस्ट्रक्शन पर चारों तरफ घेराबंदी का नियम है. लेकिन, लोगों में जागरूकता की कमी है. कुल मिलाकर तापमान गिरते ही दिल्ली की हवा में घुलता मिलता ये प्रदूषण दिन ब दिन खरनाक होता जा रहा हैं और दिल्लीवासी इसी हवा में सांस लेने के लिए मजबूर हैं.

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