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दिल्ली में कोरोना काल से पहले के मुकाबले 20 प्रतिशत कम हुआ प्रदूषण: रिपोर्ट

सीएसई की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस इस साल भी सर्दियों के सीजन की शुरुआत में ही मनाई जा रही है. अभी तापमान में गर्मी और हवा के कारण पटाखों से होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी.

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CSE की रिपोर्ट में आंकड़े सामने आए हैं (File Photo)
CSE की रिपोर्ट में आंकड़े सामने आए हैं (File Photo)

अक्टूबर का महीना लगभग बीतने को है और इसी के साथ सर्दियों ने भी दस्तक दे दी है. इस बीच दिल्ली-एनसीआर में एक बार फिर प्रदूषण का मुद्दा उठने लगा है. कारण, सर्दियां बढ़ने के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण एक बड़ी चुनौती बन जाता है. इस बीच सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) द्वारा गुरुवार को जारी एक नई रिपोर्ट में राहतभरी जानकारी सामने आई है. कारण, इस रिपोर्ट के अनुसार सर्दियों के दिल्ली की हवा में औसत पीएम 2.5 प्रदूषण कोरोना काल से पहले की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत कम दर्ज किया गया है. 

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सीएसई की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस इस साल भी सर्दियों के सीजन की शुरुआत में ही मनाई जा रही है. अभी तापमान में गर्मी और हवा के कारण पटाखों से होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी. हालांकि लंबे समय तक बारिश (सितंबर के अंत और अक्टूबर में) के कारण खेतों में पड़ी पराली जलाने से समस्या बढ़ सकती है.

दिल्ली और एनसीआर में 1 जनवरी 2015 से शुरू होने वाली लगातार सात सर्दियों और पूर्व-शीतकालीन रुझानों के आधार पर ये मूल्यांकन किया गया है. यह क्षेत्र के 81 एयर क्वालिटी मॉनिट्रिंग स्टेशनों से उपलब्ध रियल टाइम आंकड़ों पर आधारित है.

हवा में PM 2.5 की एकाग्रता घटी

रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल से पहले 1 अक्टूबर से 28 फरवरी तक PM 2.5 की एकाग्रता 180-190 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के आसपास रहती थी. तब से यह घटकर 150-160 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गई है. सीएसई की रिसर्च एक्सीक्यूटिव डायरेक्टर अनुमिता रॉय चौधरी ने बताया कि रिपोर्ट का उद्देश्य ट्रेंड और इस क्षेत्र में सर्दियों में प्रदूषण व उससे पहली प्रदूषण के स्तर को समझना है.

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सीएसई ने कहा कि PM 2.5 औसतन अभी भी 150 प्रतिशत (60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) अधिक है और वार्षिक मानक (40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) से लगभग चार गुना अधिक है. वहीं जब प्रदूषण चरम पर हो तो  ने मौसमी औसत के समान ही रुझान दिखाया. यह अलग-अलग स्टेशनों पर 800 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर को पार कर जाता था. यह पिछली तीन सर्दियों के दौरान 700-800 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रेंज में दर्ज किया गया है."

'आंकड़े को वास्तविक स्तर का अनुमान नहीं कहा जा सकता'

हालांकि, सीएसई ने यह भी कहा कि इस आंकड़े को वास्तविक स्तर का अनुमान नहीं कहा जा सकता क्योंकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 2016-17 में इसे 1,000 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर इसे दर्ज किया था. शोधकर्ताओं ने कहा कि अधिकांश एनसीआर शहरों के लिए 2020-21 की तुलना में 2021-22 की सर्दी कम प्रदूषित थी.

उन्होंने कहा कि गाजियाबाद में 30 प्रतिशत सुधार दर्ज किया गया, जो सभी प्रमुख शहरों में सबसे अधिक है, लेकिन इसका पीएम2.5 स्तर अभी भी 24 घंटे के मानक से लगभग 2.5 गुना अधिक है.

गुरुग्राम की स्थिति ज्यादा खराब

रिपोर्ट में कहा गया है, "ग्रेटर नोएडा (28 फीसदी), नोएडा (23 फीसदी) और फरीदाबाद (16 फीसदी) में भी दिल्ली (12 फीसदी) से अधिक सुधार दर्ज किया गया है. वहीं 11 फीसदी सुधार के साथ गुरुग्राम में एनसीआर के प्रमुख शहरों में PM 2.5 की मात्र अधिक है. हालांकि ऐसा ही चलता रहा तो पिछले वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो दिवाली की रात दिल्ली की हवा में 300-600 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर PM2.5 बढ़ सकता है."

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