दिल्ली के कई इलाकों में मंगलवार को प्रदूषण खतरनाक स्थिति में पहुंच गया. हालांकि इस प्रदूषण में पराली का योगदान कम रहा है. केंद्र सरकार के SAFAR डेटा के मुताबिक 1 नवंबर को AQI में पराली के केसों की कमी के कारण 14 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली. वहीं खेतों में आग लगाने की करीब 1900 घटनाएं ही सामने आईं जबकि पिछले साल इस दिन पराली जलाने के 4,000 से ज्यादा मामले सामने आए थे. 30 अक्टूबर को वायु गुणवत्ता सूचकांक और प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 26% था.
जानकारी के मुताबिक 2 नवंबर से अगले 6 दिनों तक हवा की गुणवत्ता काफी हद तक गंभीर से बहुत खराब श्रेणी में रहने की आशंका है. धान की फसलों की कटाई नवंबर में अधिक होती है, ऐसे में पराली जलाने के मामले बढ़ने से दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है.
दिल्ली में AQI 571 तक पहुंचा
दिल्ली के कई इलाकों में मंगलवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार पहुंच गई. नरेला में प्रदूषण खतरनाक स्थिति में है. यहां AQI 571 दर्ज किया गया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, सुबह करीब 8:30 बजे राजधानी के अधिकतर इलाकों का वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के पार दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी में आता है. जिन 52 स्टेशनों में प्रदूषण का डेटा जुटाया गया है, उनमें से 33 जगहों की एयर क्वालिटी गंभीर श्रेणी में जबकि 18 इलाकों की बहुत खराब श्रेणी में हैं. इसके अलावा शेष 1 जगह खराब कैटेगरी में है.
पराली जलाने की 90% घटनाएं पंजाब में हुईं
जानकारी के मुताबिक उत्तर भारत में सोमवार को पराली जलाने की घटनाओं में से करीब 90 प्रतिशत पंजाब में हुईं. इस सीजन में खोतों में आग लगाने के अब तक लगभग 16,000 मामले सामने आ चुके हैं. पराली जलाने के मामलों में पंजाब दूसरे राज्यों से आगे है.
वहीं इससे पहले इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट (IARI) के मुताबिक, पंजाब में रविवार को पराली जलाने की 1,761 घटनाएं , शनिवार को 1,898 और शुक्रवार को 2,067 घटनाएं हुई थीं. हरियाणा में रविवार को 112 और उत्तर प्रदेश में 43 मामले सामने आए थे.
कमिशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने गुरुवार को कहा था कि पंजाब में पराली जलाने की बढ़ती घटनाएं 'गंभीर चिंता का विषय' है.
रविवार को दिल्ली के PM2.5 में पराली जलाने की हिस्सेदारी 26% थी, जो इस साल अब तक सबसे ज्यादा है. PM2.5 सबसे खतरनाक होता है, क्योंकि ये हमारे बालों से भी 100 गुना छोटा होता है. PM2.5 का मतलब है 2.5 माइक्रॉन का कण. माइक्रॉन यानी 1 मीटर का 10 लाखवां हिस्सा. हवा में जब इन कणों की मात्रा बढ़ जाती है तो विजिबिलिटी प्रभावित होती है. ये इतने छोटे होते हैं कि हमारे शरीर में जाकर खून में घुल जाते हैं. इससे अस्थमा और सांस लेने में दिक्कत होती है.
प्रदूषण दूर करने के लिए सरकार ये प्रयास कर रही
दिल्ली सरकार प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए पानी छिड़कने वालीं 521 मशीनें और 223 एंटी-स्मॉग गन और 150 मोबाइल एंटी-स्मॉग गन को लगाया है.
इसके अलावा, ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) की तीसरी स्टेज को लागू कर दिया गया है. इसके तहत दिल्ली में कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन एक्टिविटी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. हालांकि, जरूरी प्रोजेक्ट्स पर ये रोक नहीं है.साथ ही स्वच्छ ईंधन पर काम न करने वाले ईंट भट्टियों, हॉट मिक्स प्लांट और स्टोन क्रशर में खनन गतिविधियों पर भी रोक लगा दी गई है. जिन औद्योगिक इलाकों में PNG इन्फ्रास्ट्रक्चर और आपूर्ति की सुविधा नहीं है, वहां हफ्ते में सिर्फ 5 दिन ही काम करने की अनुमति है.