दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है. इस मामले में दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सिर्फ दोषारोपण जारी है, पंजाब में अब भी पराली जल रही है. यह कोई राजनीतिक मामला नहीं है.
पीठ की अगुवाई कर रहे जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि दिल्ली में साल दर साल ये नहीं हो सकता. सब कुछ पेपर पर ही चल रहा है. वहीं इसको लेकर एमाइकस ने कहा कि प्रदूषण को रोकने के लिये सभी राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही आदेश जारी कर रखा है, लिहाजा आज कोई राज्य ये नहीं कह सकता है कि उनके पास आदेश नहीं है. सबसे ज्यादा जरूरी है कि राज्य सरकार द्वारा प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए नियमों को सख्ती से लागू करना और उसका पालन होते हुए दिखना चाहिए.
जस्टिस संजय किशन कौल ने कि उन्होंने खुद देखा है कि पंजाब में सड़क के दोनों तरफ पराली जलाई जा रही है. पिछले हफ्ते मैं पंजाब की ओर गया था. वहां सड़क के दोनों ओर पराली जलने का धुआं था.
ये लड़ाई का मैदान नहीं है: सुप्रीम कोर्ट
एमाइकस वकील अपराजिता सिंह ने कहा CAQM कह रहा था कि वह जनवरी से पराली को लेकर निगरानी कर रहा है कि पराली ना जलाई जाए, उसके बाद भी बड़ी तादाद में पराली जलाई जा रही है यानी अभी भी मुख्य मुद्दा चीजों को ज़मीन पर उतारने का है. सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ये राजनीतिक लडाई का मैदान नहीं है.
यहां राजनैतिक ब्लेम गेम को रोकें, ये लोगों की हेल्थ की हत्या के समान है. आप इस मामले को दूसरों पर नहीं थोप सकते, आप पराली जलाने को क्यों नहीं रोक पाते? दरअसल पंजाब सरकार के वकील ने कहा था कि पंजाब में 40 फीसदी पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है. कोर्ट की फटकार के बाद पंजाब सरकार ने कहा कि हम इस बाबत भी कदम उठा रहे हैं.
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच के समक्ष वकील अपराजिता सिंह ने कहा कि प्रदूषण से निपटने के लिए आईआईटी द्वारा दिए गए सुझाव को व्यापक तरीके से लागू किए जाने की जरूरत है.
पराली जलाने की घटनाएं बंद हों: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब से दो टूक कहा कि पराली जलाने की घटना बंद हों. यहां हर कोई समस्या का एक्सपर्ट है. लेकिन समाधान किसी के पास नहीं है. जस्टिस कौल ने कहा कि आप देख रहे हैं कि दिल्ली में कितने बच्चे स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं.
पंजाब सरकार के वकील से जस्टिस कौल ने कहा कि हमें इसकी परवाह नहीं है कि आप इसे कैसे करते हैं. ये रुकना चाहिए. प्रदूषण पर राजनीतिक लड़ाई नहीं हो सकती. केंद्र और राज्य में कौन सत्ता में है, इसके आधार पर लोगों पर बोझ पड़ता है.
केंद्र से कोर्ट ने पूछा- आपने अपने स्तर पर क्या किया?
कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी सवाल पूछे कि आपने अपने स्तर पर क्या किया है? केंद्र सरकार ने कहा कि हमने इस समस्या से निपटने के लिए राज्यों को तीन हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि आंकड़ों से नहीं जमीन पर क्या किया, इसकी जानकारी दें. धान की फसल के बजाय मिलेट यानी मोटे अनाज उगाने को बढ़ावा दिया जा रहा है क्या? इसका प्रचार तो खूब हो रहा है.
कोर्ट ने कहा कि इस समस्या का समाधान या तो अभी कीजिए नहीं तो अगले साल तक इंतजार कीजिए. अगले साल से ये समस्या नहीं होनी चाहिए इसके कड़े उपाय अभी से कीजिए.
सरकारें सख्त कदम उठाएं: सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस कौल ने कहा कि प्रदूषण रोकने के लिए अपने आप से ही सरकारें सख्त कदम उठाएं तो बेहतर है वरना हमने अपना बुलडोजर शुरू किया तो फिर हम रुकेंगे नहीं. जस्टिस कौल ने कहा कि अगर मैं बुलडोजर चलाऊंगा तो अगले 15 दिनों तक नहीं रुकूंगा. हम चाहते हैं कि दिवाली की छुट्टियों से पहले सभी पक्ष मिलकर एक बैठक करें. हम इस समस्या का तत्काल समाधान चाहते हैं. यहां तक कि दिल्ली में बसों के जरिए होने वाले प्रदूषण का प्रतिशत भी बहुत बढ़ चुका है.