scorecardresearch
 

पहले 1978, फिर 2010, अब 2023... यमुना में उफान से दिल्ली पर मंडरा रहा बाढ़ का खतरा!

आसमान से आफत बनकर बरस रही बारिश से कई शहरों में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं. राजधानी दिल्ली में भी सड़कें जलमग्न हो गई हैं. मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली में 24 घंटे में 150 मिमी बारिश हुई है. यानी मौसम में जितनी बारिश होती है, उसकी 20 प्रतिशत पिछले 24 घंटे में ही हो चुकी है. पिछले कई घंटों से हो रही भयंकर बारिश ने दिल्ली को एक बार फिर 1978 और 2010 की याद दिला दी है.

Advertisement
X
दिल्ली में तेजी से बढ़ रहा यमुना का जलस्तर
दिल्ली में तेजी से बढ़ रहा यमुना का जलस्तर

पहाड़ से लेकर मैदानी इलाकों तक बारिश कहर बनकर टूट रही है. तमाम शहर जलमग्न हो गए हैं. सड़कें और पुल तेज पानी के बहाव में बह गए हैं. दूर-दूर तक चारों तरफ सिर्फ पानी ही नजर आ रहा है. लोग घरों में फंस गए हैं. सड़कों पर इतना पानी है कि कार और दुपहिया वाहन डूब गए हैं. राजधानी दिल्ली की बात करें तो पिछले 12 घंटे में 126 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है. पिछले कई घंटों से हो रही भयंकर बारिश ने दिल्ली को एक बार फिर 1978 और 2010 की याद दिला दी है.

Advertisement

दरअसल, मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली में 24 घंटे में 150 मिलीलीटर बारिश हुई है. यानी मौसम में जितनी बारिश होती है, उसकी 20 प्रतिशत पिछले 24 घंटे में ही हो चुकी है. वहीं रविवार को हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से 1 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. इसके चलते दिल्ली सरकार ने बाढ़ की चेतावनी जारी कर दी है. दिल्ली प्रशासन का कहना है कि यमुना में पानी का स्तर मंगलवार तक खतरे के निशान को पार कर जाएगा. लिहाजा यमुना किनारे रहने वाले लोगों के लिए भी अलर्ट जारी किया गया है.

राजधानी में यमुना के जलस्तर में तेजी से इजाफा हो रहा है. इसके चलते दिल्ली के पुराने लोहे के पुल के पास यमुना खतरे के निशान के करीब पहुंच चुकी है. केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के मुताबिक रविवार को दोपहर 1 बजे यहां यमुना का जल स्तर 203.18 मीटर था. चेतावनी स्तर 204.5 मीटर है, जो कि मंगलवार को 205.33 मीटर को पार कर जाएगा. इसके चलते राजधानी के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है और इससे यहां रहने वाले करीब 37,000 लोग प्रभावित हो सकते हैं. वहीं हरियाणा से और अधिक पानी छोड़े जाने पर हालात बदतर हो सकते हैं.

Advertisement

बारिश ने तोड़ा 41 वर्षों का रिकॉर्ड

मौसम विभाग के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में बारिश ने पिछले 41 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. कारण, ये पहला समय है जब 1982 के बाद जुलाई में एक दिन में सबसे ज्यादा 153 मिमी बारिश हुई है. इससे पहले 25 जुलाई 1982 को 169.9 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई थी. वहीं साल 2003 में 24 घंटे में 133.4 मिमी तो 2013 में 123.4 मिमी बारिश दर्ज हुई थी. बारिश का सिलसिला अभी भी रुका नहीं है. अगले कई दिनों तक भी बारिश होने की संभावना जताई गई है. 

Agra was flooded in 1978. What if it happens again?

1978 और 2010 में प्रभावित हुए थे लाखों लोग

साल 1978 का ये वो समय था जब राजधानी में भयंकर बाढ़ आई थी और कई इलाके जलमग्न होने से लाखों लोग प्रभावित हुए थे. तब राजधानी के कई इलाके पूरी तरह से पानी में डूब गए थे और लोगों के घरों में पानी घुस गया था. करीब 43 वर्ग किलोमीटर खेत पानी में डूब गए थे और फसल बर्बाद हो गई थी. इससे संपत्तियों को व्यापक नुकसान हुआ था और और लाखों लोग अपने घरों को छोड़ने को मजबूर हुए थे.

1978 में यमुना के जलस्तर ने तोड़ दिया था रिकॉर्ड

1978 में शहर के कई इलाके पूरी तरह से बाढ़ में घिर गए थे. इसका मुख्य कारण था हरियाणा से आने वाला पानी. तब यमुना में 2 लाख 24 हज़ार 390 क्यूसेक पानी अचानक आ गया था. उस समय लोहे के पुल पर यमुना का स्तर 207.49-मीटर के निशान को छू गया था. ये पहली और आखिरी बार था जब यमुना का स्तर इतने ऊपर तक गया है. हालांकि इसके बाद दो बार और यमुना का स्तर 207 मीटर के निशान को पार कर गया था. वो समय था 2010 (207.11 मीटर) और 2013 (207.32 मीटर). 2010 में यमुना में 2 लाख 26 हज़ार 535 क्यूसेक पानी आया था, जबकि 2013 में 3 लाख 65 हज़ार 573 क्यूसेक पानी पहुंचा था.

Advertisement

जब बाढ़ से दो हिस्सों में बंट गए थे खेत

दिल्ली के गांव सुंगरपुर निवासी देवेंद्र कुमार उस समय को याद करते हुए बताते हैं कि कैसे उनका गांव 1978 की बाढ़ में जलमग्न हो गया था. उन्होंने बताया कि वह उस समय छोटे थे और उनके गांव में अचानक बाढ़ का पानी भर गया था. ये पानी पहले उनके खेतों में पहुंचा था और देखते ही देखते गांव पूरा जलमग्न हो गया. कई-कई फीट पानी भरा हुआ था. आलम ये था कि लोगों को अपने-अपने घरों को छोड़कर सरकारी शिविरों में ठहरना पड़ा था. इस बाढ़ से न सिर्फ उनका घर और सामान बर्बाद हुआ बल्कि खेत भी दो हिस्सों में बंट गए थे. कारण, बाढ़ का पानी उनके खेतों के बीच से गुजरा और आज उनके कुछ खेत यूपी के लोनी क्षेत्र में आते हैं तो कुछ दिल्ली में. इनके बीच से वर्तमान में यमुना गुजरती है.

नोएडा में भी हो गए थे बाढ़ जैसे हालात

1978 और 2010 में यमुना का जलस्तर बढ़ने से सिर्फ दिल्ली ही नहीं, नोएडा भी काफी प्रभावित हुआ था. इसका मुख्य कारण था दिल्ली में बहने वाली यमुना और नालों का नोएडा होकर गुजरना. 1978 के हालातों को याद करते हुए नोएडा के मूल निवासी विनोद शर्मा ने बताया कि दिल्ली पूरी डूबी हुई थी और प्रशासन बाढ़ से निपटने के रास्ते खोज रहा था. इसी प्लान के तहत दिल्ली प्रशासन चिल्ला रेगुलेटर के पास पुस्ता तोड़ने की तैयारी कर रहा था. 

Advertisement

उन्होंने बताया कि तब के नोएडा प्राधिकरण के सीईओ ने ऐसा नहीं होने दिया और वह रातभर अपनी टीम के साथ यहां मुस्तैद रहे. तब दिल्ली की तरफ से कोंडली नहर के घडौली गांव से पहले काट दिया गया. इससे बाढ़ का पानी नोएडा में घुस आया और इससे नोएडा में बसाए जा रहे सेक्टर और कई गांव बाढ़ के पानी में डूब गए थे. 

2010 में यमुना का साफ पानी देख खुश हुए थे नोएडावासी

2010 में राजधानी में आई बाढ़ से जहां दिल्लीवासी जूझ रहे थे तो नोएडा के लोग खुश नजर आ रहे थे. इसका कारण था यमुना में आया साफ पानी. दरअसल, दिल्ली में जैसे ही यमुना प्रवेश करती है तो इसमें तमाम फैक्ट्रयों का गंदा पानी औऱ केमिकल इसे दूषित बना देते हैं. यहां से ये ओखला होते हुए नोएडा में प्रवेश करती है और रायपुर, शहापुर, वाजिदपुर, याकूबपुर होते हुए हिंडन में मिल जाती है. 1978 के बाद 2010 में ये पहला समय था जब यमुना में साफ पानी नोएडावासियों को देखने को मिला था. धार्मिक मान्यता के चलते दूर-दूर से लोग इसमें स्नान करने पहुंचे थे.

सेक्टर-135 स्थित वाजिदपुर गांव के मूल निवासी चेतन बताते हैं कि वे उस समय स्कूल में थे और परिवार के साथ ग्रेटर नोएडा रहते थे. तब उनके पिता पूरे परिवार के साथ गांव आए थे. वैसे तो यमुना हमारे गांव से करीब 2 किमी दूर है, लेकिन तब यमुना का पानी गांव के बिल्कुल करीब था और पुस्ते का लग चुका था. तब हमने धार्मिक मान्यता के मुताबिक परिवार समेत यहां स्नान किया था. हालांकि इसके बाद फिर से यमुना का पानी दूषित और काला हो गया. ये पहला समय था जब हमारी जनरेशन ने यमुना को इतना साफ देखा था.

Advertisement
Advertisement