पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान का नाम रखे जाने के प्रस्ताव पर राजनीति तेज हो गई है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस पर ट्वीट करते हुए कहा कि नाम बदलने पर भी बीजेपी को वोट नहीं मिलेगा.
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर की ओर से जारी निर्देश के अनुसार उन स्थानों को चिह्नित किया जा रहा है, जिनका नाम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा जाना है. इसी कड़ी में उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने ऐतिहासिक रामलीला मैदान का नाम वाजपेयी के नाम पर रखे जाने को लेकर एक प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे 30 अगस्त को सदन की बैठक में रखा जाएगा.
रामलीला का नाम बदलने के प्रस्ताव पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए चुटकी ली और कहा कि रामलीला मैदान इत्यादि के नाम बदलकर अटल जी के नाम पर रखने से वोट नहीं मिलेंगे. बीजेपी को प्रधानमंत्री जी का नाम बदल देना चाहिए. तब शायद कुछ वोट मिल जाएं क्योंकि अब उनके अपने नाम पर तो लोग वोट नहीं दे रहे.
दूसरी ओर, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष और बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने इस प्रस्ताव पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हम भगवान राम की पूजा करते हैं, इसलिए रामलीला मैदान का नाम बदलने का कोई सवाल ही नहीं उठता, अगर कोई इस तरह का काम करता है तो ठीक है, लेकिन इस पर अमल करना जरूरी नहीं है.
इसके अलावा दिल्ली नगर निगम पार्कों और अस्पतालों के नाम पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के नाम पर रखने का विचार कर रही है.We worship Lord Ram, so there's no question of a change in the name of Ramlila Maidan. If someone says something like that should be done, not necessary that you need to follow it: Manoj Tiwari, Delhi BJP chief on NDMC's proposal to rename Ramlila Maidan after #AtalBihariVajpayee pic.twitter.com/qqRSL8sjzO
— ANI (@ANI) August 25, 2018
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर आदेश गुप्ता कहना है कि वाजपेयी का इस मैदान से पुराना नाता रहा है, इसलिए पांच सदस्य उनके पास रामलीला मैदान का नाम वाजपेयी के नाम पर रखे जाने का प्रस्ताव लाए थे. ये प्रस्ताव 30 तारीख की सदन की बैठक में रखा जाएगा. प्रस्ताव के पास होने के बाद भविष्य में इस मैदान को अटल बिहारी वाजपेयी रामलीला मैदान के नाम से जाना जाएगा.
दिल्ली गेट स्थित राम लीला मैदान का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है. 1975 में इंदिरा गांधी के खिलाफ जयप्रकाश नारायण ने जेपी आंदोलन की शुरुआत यहीं से की थी.