दिल्ली दंगों के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट नौ दोषियों के खिलाफ सजा पर आज फैसला सुनाएगी. कोर्ट ने इन आरोपियों को बीते 14 मार्च को दोषी करार दिया था. इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि हिंदू समुदाय की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के उदेश्य के साथ बवाल काटा गया था. कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि पुलिस द्वारा आरोपियों पर जो आरोप लगाए गए हैं, वो पूरी तरह सही साबित होते हैं.
कोर्ट आज जिन दोषियों के खिलाफ सजा का फैसला करेगी उनमें मोहम्मद शहनवाज, मोहम्मद शोएब, शाहरुख, राशिद, आजाद, अशरफ अली, परवेज, फैजल और रशीद शामिल हैं. दरअसल रेखा शर्मा नाम की महिला ने आरोप लगाया था कि तीन साल पहले 24-25 फरवरी को भीड़ ने उनके घर पर हल्ला बोल दिया था. सामान लूटा गया था और ऊपर वाली मंजिल पर जो रूम थे, उनमें आग लगा दी थी. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के दावों को सही माना है और 9 आरोपियों को दोषी पाया.
चार्शशीट में कई चौंकाने वाले दावे
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में कई चौंकाने वाले दावे हुए थे. स्पेशल सेल ने गवाहों और सबूतों के आधार पर दावा किया था कि दंगों के पहले प्लान के तहत तेजाब इकट्ठा करके रखा गया था और साजिश के तहत कानून व्यवस्था संभाल रहे दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों पर उस तेजाब से हमला किया गया था.
खौफनाक साजिश की इनसाइड स्टोरी
बता दें कि 23 फरवरी 2020 को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में दंगों की शुरुआत हुई थी, जो 53 लोगों की मौत के बाद 25 फरवरी को जाकर थमे थे. इन दंगों में पब्लिक और प्राइवेट प्रॉपर्टी का काफी नुकसान हुआ था. नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली जिले के जाफराबाद, सीलमपुर, भजनपुरा, ज्योति नगर, करावल नगर, खजूरी खास, गोकुलपुरी, दयालपुर और न्यू उस्मानपुर समेत 11 पुलिस स्टेशन के इलाकों में 23 फरवरी के बाद दंगाइयों ने जमकर उत्पात मचाया था. दिल्ली पुलिस के मुताबिक दंगों के पीछे बड़ी साजिश थी. दंगों के मास्टरमाइंड जानते थे कि अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे के दौरान दंगों पर इंटरनेशनल मीडिया का ध्यान जाएगा और इससे दुनियाभर में भारत की बदनामी होगी. अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत विजिट के दौरान चक्का जाम का प्लान बनाया गया था. वो भी ऐसे इलाकों में जो कम्यूनल तौर पर बेहद संवेदनशील इलाके थे.
दिल्ली दंगों में कुल 755 FIR दर्ज
दंगों में दिल्ली पुलिस ने 11 पुलिस थाना इलाकों में कुल 755 एफआईआर दर्ज की थीं. दिल्ली में ये अब तक सबसे ज्यादा एफआईआर दर्ज करने का पहला मामला था. यहां तक कि 1984 के दंगों में भी इतनी एफआईआर दर्ज नहीं की गईं थी. 755 मामलों की जांच के लिए क्राइम ब्रांच के अंडर में 3 अलग-अलग एसआईटी टीम गठित की गई थीं.