दिल्ली दंगों के मामले में UAPA के तहत गिरफ्तार उमर खालिद की जमानत याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने न्यायमूर्ति मृदुल की अध्यक्षता वाली पीठ को वापस भेज दिया है, जो पहले इस याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रोस्टर में बदलाव के कारण मामले को गुरुवार को न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की अध्यक्षता वाली नई पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया.
मामले में पारित पूर्व के आदेशों पर गौर करने पर न्यायमूर्ति गुप्ता ने मामले को शुक्रवार को न्यायमूर्ति मृदुल की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया, जो दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की मंजूरी के अधीन है. न्यायमूर्ति मृदुल की अध्यक्षता वाली मूल पीठ के समक्ष मामला शुक्रवार को आने की संभावना है.
उमर खालिद पर क्या हैं आरोप?
खालिद और कई अन्य लोगों पर फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के 'मास्टरमाइंड' होने के मामले में आतंकवाद विरोधी कानून-यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है. आरोप है कि खालिद की मंशा थी कि देश में दंगे कराकर अशांति फैलाई जाए.
इससे पहले 27 अप्रैल को उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने खालिद के वकील से सवाल किया था कि क्या देश के प्रधानमंत्री के बयान के लिए ‘जुमला’ जैसे शब्द का इस्तेमाल करना ठीक है? हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार की आलोचना करते समय ‘लक्ष्मण रेखा’ का ख्याल रखना जरूरी है. इस बात का ध्यान रखें कि आप देश के संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के लिए कैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
उमर खालिद के वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट को अमरावती में दिया गया खालिद के पूरा भाषण सुनाया. इस पर कोर्ट ने पूछा कि उनके भाषण में पीएम के लिए ‘चंगा’ और ‘जुमला’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया, क्या यह उचित है? इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि चंगा शब्द तो पीएम ने ही अपने भाषण में बोला था.
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