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अवैध निर्माण और जर्जर इमारतें बनी मौत की सबब

एक जर्जर इमारत जमीदोज हुई पन्द्रह लोग हादसे का शिकार बन गये. चौदह लोगों को तो किसी तरह बचा लिया गया लेकिन एक मजदूर को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. वैसे जाफराबाद अकेला ऐसा इलाका नहीं है जहां मौत की इमारतें खड़ी हैं.

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एक जर्जर इमारत जमीदोज हुई पन्द्रह लोग हादसे का शिकार बन गये. चौदह लोगों को तो किसी तरह बचा लिया गया लेकिन एक मजदूर को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. वैसे जाफराबाद अकेला ऐसा इलाका नहीं है जहां मौत की इमारतें खड़ी हैं. दिल्ली आजतक ने ऐसी ही दिल दहला देने वाली कई तस्वीरें देखी हैं.

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बुराड़ी के संत नगर इलाके में पुलिस और एमसीडी की नाक के नीचे धड़ल्ले से अवैध फ्लैट बन रहे हैं. इजाजत तो ढाई मंजिल की है लेकिन बनाने वालों ने पांच मंजिल इमारत खड़ी कर दी हैं. यमुना किनारे के इस इलाके में बेसमेंट गैरकानूनी है लेकिन पूछता कौन है.

शालीमार पैलेस, कौशिक इनक्लेव बस स्टैंड, बुराड़ी बस स्टैंड और नत्थूपुरा मोड़ हर जगह यही हाल है. लेकिन एमसीडी को ये सब नजर ही नहीं आता.

पुरानी दिल्ली में तो हालात और भी बदतर हैं. लाहौरी गेट चौक पर स्थित एक तीन मंजिला जर्जर इमारत झुक चुकी है, लेकिन लोग अब भी इसमें रह रहे हैं. बल्लीमारान की इस इमारत की हालत तो पूरी तरह खस्ता हो चुकी है. कुछ समय पहले इसका एक हिस्सा गिरने से कई लोग घायल भी हुए थे.

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आपको जानकर हैरानी होगी कि अकेले पुरानी दिल्ली में तकरीबन दो सौ इमारतें खतरनाक हालत में हैं जिनमें से करीब 180 में लोग रह रहे हैं. ऐसा नहीं कि एमसीडी अधिकारियों को इसकी जानकारी ना हो लेकिन इंतजार शायद जाफराबाद जैसे कुछ हादसों का है.

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