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दिल्ली को प्राइवेट कंपनी न समझें केजरीवाल : मनोज तिवारी

दिल्ली सरकार के अधिकारों को लेकर सुप्रीम फैसले के बाद राज्य बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर बड़ा हमला बोला है.

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फाइल फोटो
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दिल्ली सरकार के अधिकारों को लेकर सुप्रीम फैसले के बाद राज्य बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि केजरीवाल दिल्ली को प्राइवेट कंपनी न समझें. इसके साथ ही उन्होंने सलाह दी है कि अरविंद केजरीवाल कोर्ट के फैसले को सही ढंग से पढ़ें.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई और राशन को लेकर डोर स्टेप डिलीवरी को जल्द से जल्द लागू करने का आदेश दिया.  

इस बाबत मनोज तिवारी ने कहा कि राशन को लेकर डोर स्टेप डिलीवरी मामला उलझा हुआ है. उन्होंने कहा, केजरीवाल टीवी में चल रही लाइन को लेकर फैसले कर रहे हैं, जबकि 535 पन्नों में सिमटा फैसला नहीं पढ़ रहे हैं. मनोज तिवारी ने आगे कहा कि केजरीवाल दिल्ली को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी न समझें, वर्ना वह अब जेल जाएंगे. इसलिए हम उन्हें समझा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला ध्यान से पढ़ें.

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मनोज तिवारी का कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सिर्फ अपने मतलब की दो लाइन पढ़ते हैं. वो सिर्फ इतना बता रहे हैं कि संविधान के अनुसार कैबिनेट के फैसले एलजी भी मानेंगे लेकिन बाकी लाइन नही पढ़ रहे हैं. इसमें लिखा है कि संसद का कानून सर्वोपरि है.

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्यपाल के बीच काफी लंबे समय से चल रही जंग के बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल दिल्ली में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, एलजी को कैबिनेट की सलाह के अनुसार ही काम करना होगा. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना मुमकिन नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार ही राज्य को चलाने के लिए जिम्मेदार है. फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर खुशी जता दी है, उन्होंने कहा है कि दिल्ली में लोकतंत्र की जीत हुई है. आम आदमी पार्टी लगातार आरोप लगाती रही है कि केंद्र की मोदी सरकार एलजी के जरिए अपना एजेंडा आगे बढ़ा रही है और राज्य सरकार को काम नहीं करने दे रही है.

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