Street vendors Removed in Delhi: राजधानी दिल्ली में फेरीवालों को हटाया जा रहा है. सरोजनी नगर मार्केट (Sarojini nagar market today news) से इसकी शुरुआत हो चुकी है.
ये सब कुछ दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के एक आदेश के तहत हो रहा है. जिसमें एजेंसियों को कहा गया है कि अवैध पटरी वालों को बाजारों से हटाया जाए. सरोजनी नगर मार्केट में 600 से ऊपर वेंडर हैं, इनमें सिर्फ 242 लोग ही तहबाजारी के तहत बैठे हैं, यानि 242 लोग ऐसे हैं जो दुकान की एवज में पैसा दे रहे हैं .
सरोजनी नगर मार्केट में करीब 25 सालों से वेंडिंग कर रही कंचन ने पटरी वालों को संगठित करने के लिए धरना भी दिया था. तब केंद्र की पहल पर स्ट्रीट अधिनियम एक्ट 2014 आया. अब हाईकोर्ट के ताजा आदेश के बाद कंचन फूट-फूट कर रो पड़ीं . उनके सामने परिवार के पालन पोषण का बड़ा सवाल खड़ा हो गया है.
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दिल्ली हाईकोर्ट का ये ऑर्डर अवैध वेंडर्स को हटाने के लिए है. स्ट्रीट वेंडर एसोसिएशन की वकील ऋचा का कहना है इंडिया गेट, सरोजनी नगर, सीपी,आईएनए की मार्केट का सर्वे भले ही एनडीएमसी ने पूरा करने की बात कही हो लेकिन इन बाजारों में अवैध और वैध स्टेटस स्पष्ट है ही नहीं. वैध और अवैध की कोई परिभाषा नहीं है. क्योंकि एजेंसियो की तरफ से सर्वे अभी तक हुआ ही नहीं है. यही वजह है कि स्ट्रीट वेंडर एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ रिट दायर करेगा.
इसके लिए ऋचा ने एनडीएमसी को जिम्मेदार ठहराया जो 2018 से पटरी वालों का सर्वे ही नही कर पाई. जबकि एनडीएमसी के अधिकारी ने कहा कहा कि वे उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करेंगे और विक्रेताओं के पुनर्वास की अभी कोई योजना नहीं है, लेकिन जल्द ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा.
2014 के वेंडर एक्ट का नहीं हो रहा पालन
लाजपत नगर जोन टाउन कमेटी मेंबर श्रीराम ने कहा कि 2014 के वेंडर एक्ट का पालन नही हो रहा है. वेंडर्स को सोची समझी साज़िश के तहत हटाया जा रहा है. स्ट्रीट अधिनियम एक्ट 2014 ये कहता है कि जब तक एक-एक वेंडर का सर्वे ना हो और टाउन वेंडिंग कमेटी व्यवस्थित ना कर दे, तब तक किसी भी वेंडर को उसकी जगह से हसे हटाया नहीं जा सकेगा. लेकिन इस एक्ट की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. बीते दिनों सीपी की ट्रेडर एसोसिएशन ने भी पटरी फेरी वालों के खिलाफ अदालत का रुख किया था.