आम आदमी पार्टी के अध्यापक सेल दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (DTA) ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों के शिक्षकों को वेतन नहीं दिए जाने के मामले की जांच सीएजी से कराने की मांग की है.
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के मुताबिक, आम आदमी पार्टी की सरकार से पहले दिल्ली में जिस की सरकार होती थी, उसी सरकार के लोग कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी में चेयरमैन और कोषाध्यक्ष के पद पर चयनित होते थे. आज इन कॉलेजों में दिल्ली सरकार की गवर्निंग बॉडी तो बनी, लेकिन कॉलेज प्रशासन ने उसे काम नहीं करने दिया.
DTA के संगठन सचिव डॉ मनोज कुमार सिंह ने कहा कि इस मामले की जांच डीयू प्रशासन और कॉलेज स्तर पर भी की जानी चाहिए, लेकिन जांच के चलते शिक्षकों और कर्मचारियों की सैलरी न रोकी जाए. दिल्ली सरकार ने कॉलेज का बजट बढ़ा कर दोगुना (243 करोड़ रुपये) कर दिया है, फिर भी कॉलेज अपने शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन नहीं दे पा रहे हैं.
DTA ने दिल्ली के शिक्षा मंत्री से बातचीत का हवाला भी दिया. उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के जो कॉलेज हैं उनमें तीन स्तर की जांच होती है, सीएजी द्वारा जांच की जाती है, विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जांच की जाती है और कॉलेज का अपना भी एक जांच विभाग होता है. DTA की यह मांग है कि जांच होनी चाहिए, लेकिन साथ ही साथ अध्यापकों और कर्मचारियों की सैलरी न रोकी जाए, उसे तुरंत प्रभाव से आवंटित किया जाए.
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दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के संगठन प्रभारी डॉ हंसराज सुमन ने बताया कि राजधानी में दिल्ली सरकार से संबंधित दो प्रकार के कॉलेज हैं. जिनमे 12 कॉलेज 100 प्रतिशत दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं और 16 कॉलेज ऐसे हैं, जिनको दिल्ली सरकार 5 प्रतिशत ग्रांट देती है.
डॉक्टर हंसराज सुमन ने बताया कि लगभग 40 प्रतिशत कॉलेजों में अभी गवर्निंग बॉडी बनना बाकी है और जिन कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी बन चुकी है, उनमें से भी कई कॉलेजों में विश्वविद्यालय प्रशासन जबरदस्ती अपने लोगों को चेयरमैन और कोषाध्यक्ष के पद पर बैठाने का दबाव बना रहा है. उन्होंने कहा जबकि कानून यह कहता है कि विश्वविद्यालय की ओर से जो 2 लोग गवर्निंग बॉडी के लिए भेजे जाते हैं, वह लोग चेयरमैन या कोषाध्यक्ष के पद पर नहीं बैठाए जा सकते.