दिल्ली सरकार के आंकड़े के मुताबिक जब से महामारी आई है, 92 टीचरों की कोविड ड्यूटी करते हुए मौत हो गई. लेकिन, दिल्ली गवर्नमेंट टीचर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी अजयवीर यादव का दावा है कि मौतौं का ये आंकड़ा अभी और ऊपर जाएगा. मुआवजे के लिए 20 मई को नोडल ऑफिसर बनाया गया है.
वहीं मुआवज़े की क्राइटेरिया में छूट की मांग करते हुए अजयवीर ने कहा अभी तक कोविड ड्यूटी वाले को ही मुआवजा देने की बात कही गई है. जबकि अधिकतर टीचर्स ने इसे नॉर्मल फीवर समझकर ट्रीटमेंट लिया. ऐसे में होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को ढील दी जाए.
कोविड ने उम्र देखकर अटैक नही किया है. कई मृतकों के घर में नौकरी के लिए अभी कोई भी योग्य नही है लिहाजा उस परिवार को जब तक संभव हो सरकार आर्थिक सहायता दे. इस सिलसिले में एसोसिएशन की तरफ से दिल्ली सरकार को पत्र भी लिखा जाएगा.
पटेल नगर निवासी डॉ. वीरेंद्र कुमार अरोड़ा कामर्स सर्वोदय विद्दालय मानसरोवर गार्डन में तैनात रहे जिनकी 26 अप्रैल को मौत हो गई. जबकि दो दिन पहले यानि 23 अप्रैल को उनकी मां चल बसीं. डॉ. वीरेंद्र कुमार अरोड़ा के छोटे भाई डॉ. पंकज अरोड़ा ने बताया कि मौत के बाद फैमिली पेंशन, ग्रैच्युटी के लिए कोशिश शुरू कर दी है. लेकिन सरकार से गुहार है कि सिर्फ कोविड ड्यूटी ही नहीं बल्कि नियमित ड्यूटी पर तैनात टीचर्स को भी मुआवजा मिले.
कई शिक्षकों की हो गई मौत
परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी देकर आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है. डॉ. पंकज अरोड़ा ने कहा कि डॉ. वीरेंद्र कुमार अरोड़ा 9 अप्रैल को आखिरी दफा स्कूल गए. 12 अप्रैल को पॉजिटिव आ गए . वो एग्जामिनेशन की जिम्मेदारी देखते वो बच्चों को लेकर इतने संवेदनशील थे कि वैक्सीन 12 अप्रैल के बाद ही लेना चाहते थे क्योंकि तब स्कूल में एग्जाम चल रहा था. उनका मानना था अगर एग्जाम के दौरान वैक्सीन ली और फीवर हो गया तो बच्चो का लॉस होगा. वो वैक्सीन दो दिन टाल गए और डैमेज हो गया ऐसा लगता है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से प्रशंसा पा चुके गाजीपुर में स्थित स्कूल के वाइस प्रिंसिपल अरविंद कुमार कोविड का शिकार हुए और बाद में उनकी मौत हो गई. अरविंद की छोटी बेटी शांभवी ने कहा कि पापा ही शक्ति थे. अब टूट गई हूं. कोई सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए. हालांकि अभी तक डेथ सर्टिफिकेट नहीं मिला है.
एडिशनल डिस्ट्रिक्ट ड्यूप्टी एजुकेशन डायरेक्टर राम चंद्र सिंघारे ने कहा कि जब से महामारी है तब से 92 टीचरों की मौत हो गई. कोविड ड्यूटी में मौत पर 1 करोड़ का मुआवजा निर्धारित है. जबकि ड्यूटी पर ना होने वाले लोगों को कंपनसेटरी अपॉइंटमेंट मिलेगा. हालांकि इसके बहुत सारे क्राइटेरिया हैं, ऐसे में जिसमें जो फिट फिट बैठेगा उनको दिया जाएगा. आपको बता दें कि डेढ़ साल से लॉकडाउन के दौरान टीचरों ने राशन वितरण, फूड डिस्ट्रिब्यूशन, चालान में ड्यूटी दी है.