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अगले 4 दिन तक भी नहीं मिलेगी दिल्लीवालों को स्मॉग से निजात

राजधानी दिल्ली समेत उत्तर पश्चिम भारत के तमाम इलाकों में कोहरे के साथ प्रदूषण मिक्स होने की वजह से स्थिति गंभीर हो गई है. मौसम विभाग का कहना है कि इस स्थिति में फिलहाल किसी खास सुधार की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है.

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दिल्ली में बढ़ा प्रदूषण
दिल्ली में बढ़ा प्रदूषण

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राजधानी दिल्ली समेत उत्तर पश्चिम भारत के तमाम इलाकों में कोहरे के साथ प्रदूषण मिक्स होने की वजह से स्थिति गंभीर हो गई है. मौसम विभाग का कहना है कि इस स्थिति में फिलहाल किसी खास सुधार की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है.

ऐसा अनुमान है उत्तर-पश्चिम भारत के तमाम इलाकों में हवा कमोबेश थमी रहेगी और इस वजह से वातावरण में मौजूद वायु प्रदूषण यहीं पर बना रहेगा इसके अलावा दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर-पश्चिम भारत में हवाएं ऊपर से नीचे की तरफ बैठ रही है वैज्ञानिक भाषा में इसको एंटी साइक्लोनिक कंडीशन कहा जाता है इस स्थिति में वायु प्रदूषण की मिक्सिंग हाइट काफी नीचे आ चुकी है और दीपावली की आतिशबाजी की वजह से पैदा हुआ प्रदूषण पहले से ही मौजूद खेतों को जलाने से पैदा हुए धुएं में मिलकर और घातक असर दिखा रहा है इन स्थितियों में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि दिल्ली एनसीआर मैं स्मॉग की घटक की स्थिति अगले 4 दिनों तक बनी रहेगी.

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पिछले 4 दिनों से गैस चेंबर बनी हुई है दिल्ली
दिल्ली और आसपास के इलाकों में हल्के कोहरे के साथ घना धुंआ मिक्स हो चुका है और इसकी वजह से यहां पर वातावरण में हर तरफ स्मॉग छाया हुआ है. प्रदूषण के स्तर की बात करें तो यहां पर फेफड़ों के लिए घातक पीएम 2.5 कणों की मात्रा सामान्य स्तर के मुकाबले 10 गुणों से ऊपर जा पहुंची है वही पीएम 10 की बात करें तो राजधानी के ज्यादातर इलाकों में इसका स्तर सामान्य के मुकाबले 8 गुने से लेकर 12 गुना तक पहुंचा हुआ है. इन हानिकारक कणों की वजह से दिल्ली के वातावरण में सतह पर ओजोन गैस भी बन रही है इन सबके बीच राजधानी में चल रही मोटर गाड़ियों की वजह से कई इलाकों में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा भी सामान्य से ऊपर रिकॉर्ड की जा रही है कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है की राजधानी दिल्ली पिछले 4 दिनों से गैस चेंबर बना हुआ है.

आंखों से नहीं दिखते ये कण
दिल्ली एनसीआर में पिछले 4 दिनों से जिस तरह का घातक वायुप्रदूषण देखा जा रहा है वह वाकई में चिंताजनक है पर्यावरण के जानकार डॉक्टर फैयाज खुदसर के मुताबिक पीएम 2.5 की मात्रा सामान्य के मुकाबले 10 गुना होना बहुत हानिकारक है. इन कणों को इस नाम से इसलिए पुकारा जाता है क्योंकि इनका आकार 2.5 माइक्रोन से भी कम होता है यह कितने महीन कण होते हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की इन्हें आंखों से नहीं देखा जा सकता.

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गंभीर मरीजों के मरने का खतरा बढ़ा
हर व्यक्ति में स्वशन प्रणाली के तहत नाक के अंदर बाल होते हैं इन बालों का काम होता है कि सांस के जरिए धूल के कण फेफड़े में ना जाने पाएं लेकिन पीएम 2.5 कण इतने महीन होते हैं की इनको नाक भी फेफड़ों में जाने से रोक नहीं पाती है. लिहाजा यह कण हर एक आदमी के फेफड़ों में जमा हो रहे हैं और इनसे हमारी सांस लेने की क्षमता बुरी तरह से प्रभावित हो रही है खास बात यह है इस वजह से होने वाला नुकसान किसी भी तरह से कम नहीं किया जा सकता है. यह प्रदूषण बच्चे बूढ़े और जवानों को एक तरह से ही प्रभावित कर रहा है राजधानी दिल्ली के वायु प्रदूषण में अस्थमा के मरीज दिल के मरीज गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मरीज और आईसीयू में अपना इलाज करा रहे मरीज सबसे जल्दी नुकसान उठाने वाले लोग हैं. राजधानी दिल्ली में जिस तरह का घातक वायु प्रदूषण है उसमें गंभीर मरीजों के मरने का खतरा कई गुना बढ़ गया है.

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