पिछले 3-4 दिनों से देश के अग्रणी दिल्ली विश्व विद्यालय में छात्रों के अलग-अलग गुटों और संगठनों के बीच झड़प की वजह से माहौल में तनाव है. ऐसे में अब डीयू में एक नया विवाद शुरू हो गया है. डूटा यानी कि दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोशिएशन का कहना है कि सरकार यहां कॉलजों को ऑटोनॉमस कर उनकी स्वतंत्रता छीनना चाहती है. आज इसी मसले पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिक्षकों के साथ-साथ छात्रों ने भी जोरदार प्रदर्शन किया. उनके अनुसार ऐसा किया जाना उनकी आजादी पर हमले जैसा है.
यूनिवर्सिटी की ओर से कल प्रपोजल आया
पिछले 2 दिन पहले तक इस प्रक्रिया को लेकर कोई रिपोर्ट नहीं थी. मगर कल अचानक से ही दिल्ली यूनिवर्सिटी की और से एक प्रपोजल आया. इसमें कहा गया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्टीफन कॉलेज को अब पुरी तरह से ऑटोनॉमस किया जाना चाहिए. डूटा ने इसे गंभीर मसला मानते हुए यूनिवर्सिटी के वाइसचांसलर से लेकर एचआरडी मंत्रालय पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं.
डूटा के आरोप....
दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंदर करीब 70 कॉलेज आते हैं. कॉलेजों को ऑटोनॉमस किए जाने पर शिक्षकों की स्वतंत्रता छीन सकती है.
ऑटोनॉमस होने से संस्थान में निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा. शिक्षा के स्तर में भी गिरावट होगी.
कॉलेद किसी के हाथ में जाने की स्थिति में डीयू की शिक्षा की भी व्यवसायीकरण होगा.
छात्रवृत्ति की मदद से पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राएं इससे वंचित हो सकते है. इसके अलावा फीस वृद्धि के भी आसार हैं.
क्या कहती हैं डूटा अध्यक्ष?
डूटा की अध्यक्ष नंदीता नारायण का कहना है कि पीएमओ से लेकर एचआरडी मंत्रालय तक सभी दिल्ली यूनिवर्सिटी पर दबाव बना रहें हैं. यूनिवर्सिटी को इसके लिये विवश किया जा रहा है. वह ऐसी स्थिति में कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात तक करती हैं.