दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने चयन आधारित क्रेडिट अंतरण योजना (सीबीसीएस) पर आगे बढ़ने का निर्णय लिया है. इसे विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की रजामंदी हासिल किए बगैर ही अगले शैक्षणिक सत्र से लागू किया जाएगा.
सभी संकायों के डीन को पिछले 29 अप्रैल को भेजे गए आधिकारिक पत्र में डीयू के संयुक्त रजिस्ट्रार (अकादमिक) ने उन्हें निर्देश दिया कि इसे लागू करने की तैयारियां शुरू करें.
रजिस्ट्रार का यह पत्र कुलपति और डीनों के बीच इसे लागू करने को लेकर हुई 23 अप्रैल की बैठक के बाद आया है.
इस पत्र में कहा गया है, 'मेरी आप सब को सलाह है कि आप सभी स्नातक पाठ्यक्रमों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के ढांचे के अनुरूप ढालने की तैयारियां करें. विस्तृत दिशा-निर्देश, पाठ्यक्रम का ढांचा और उन्नीस स्नातक कार्यक्रमों का मसौदा मॉडल पाठ्यक्रम जो आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है उसे शुरू करने से पहले सावधानीपूर्वक उसपर गौर कर लें.'
सीबीसीएस छात्रों को उच्च शिक्षण संस्थानों में निर्बाध गतिशीलता की अनुमति देता है और उनके द्वारा अर्जित किए गए क्रेडिट के अंतरण को सुनिश्चित करता है. हालांकि, विश्वविद्यालय की सर्वोच्च निर्णय करने वाली कार्यकारी परिषद का कहना है कि यह मामला परिषद में नहीं लाया गया है.
- इनपुट भाषा