नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हुई हिंसा में जान-माल का काफी नुकसान हुआ है. स्थानीय लोगों का कहना है कि अभी इलाके में हालात तनावपूर्ण हैं और डर का माहौल है. इस बीच सरकारी व्यवस्था की असंवेदनशीलता से जुड़ा एक मामला भी सामने आया है. ब्रिजपुरी इलाके में मंगलवार को हुई हिंसा में मारे गए 22 साल के राहुल ठाकुर का शव बुधवार दोपहर तक उनके परिजनों को नहीं मिल सका.
मौत के एक दिन बाद भी मां-बाप अपने बेटे का शव पाने का इंतजार कर रहे हैं. उलझाऊ सरकारी प्रक्रियाओं की वजह से मृतक राहुल का परिवार बुधवार को जीटीबी अस्पताल के बाहर उसका शव पाने के लिए इंतजार करता नजर आया. जब आजतक ने इस परिवार से बातचीत की, तो उन्होंने आपबीती सुनाई.
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राहुल के कजिन अमित ने बताया कि उन्हें बुधवार दोपहर तक शव नहीं मिल पाया है. उन्हें अफसरों ने अभी भी इंतजार करने को कहा है. अफसरों की तरफ से बताया गया है कि इस मामले में काफी औपचारिकताएं बाकी हैं, जिसकी वजह से यह देरी हो रही है. अमित ने बताया कि मृतक राहुल की मां अभी तक अपने बेटे का शव नहीं देख पाई हैं.
उनके मुताबिक हालात इतने खराब थे कि राहुल का शव ही इलाके से निकालना मुश्किल था. ऐसे में उनकी मां को भी वहां से लाना बेहद कठिन काम रहा. अमित के मुताबिक बुधवार को राहुल की मां को किसी तरह वहां से लाया गया.
शव वापस ले जाने की भी मुश्किलें
अमित के मुताबिक राहुल के पिता आरपीएफ में तैनात हैं. उनके पिता भी बेटे के शव का इंतजार कर रहे हैं. जांच अधिकारी ने बस यही बताया है कि इस मामले में कई रिपोर्ट बन रही हैं और हायर अथॉरिटीज से क्लियरेंस लिया जा रहा है, जिसकी वजह से देरी हो रही है.
मृतक के परिवार को एक दूसरी बड़ी समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, कोई भी ऑटोवाला हिंसाग्रस्त क्षेत्र में जाने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में राहुल के शव को वो कैसे वापस ले जाएं, यह एक बड़ी दिक्क्त है. परिवार ने अपील की कि शव को ले जाने के लिए कम से कम एंबुलेंस की व्यवस्था की जाए.
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