देश के कई राज्यों में वक्फ बोर्ड की जमीनों पर शुरू हुई जंग राजधानी दिल्ली तक पहुंच गई है. केंद्रीय शहरी आवास मंत्रालय ने हाल ही में एक आदेश जारी करते हुए दिल्ली वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया है. इस फैसले को लेकर दिल्ली वक्फ बोर्ड और केंद्र सरकार के बीच विवाद खड़ा हो गया है. आम आदमी पार्टी के ओखला से विधायक अमानतुल्लाह खान दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन हैं. वक्फ बोर्ड चेयरमैन का कहना है कि वह केंद्र सरकार को वक्फ संपत्तियां नहीं लेने देंगे साथ ही केंद्र का यह फैसला गलत है क्योंकि कमेटी के गठन का मामले को अदालत में चुनौती दी गई है और वह विचाराधीन है. ऐसे में जिस कमेटी के गठन पर ही अदालत में सुनवाई हो रही हो वह कैसे कोई फैसला ले सकती है.
शहरी मंत्रालय के फैसले को अदालत में चुनौती देंगे
आजतक से बातचीत करते हुए बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा है कि वह शहरी मंत्रालय के फैसले को अदालत में चुनौती देंगे, साथ ही सरकार से सवाल पूछा है कि यह संपत्तियां पहले से ही बोर्ड की हैं जिसमें मस्जिद कब्रिस्तान शामिल हैं तो आखिर सरकार इन संपत्तियों का करेगी क्या? बोर्ड ने सवाल पूछा है क्या सरकार मस्जिद और कब्रिस्तान चलाएगी या फिर इन पर बुलडोजर चलाया जाएगा?
123 संपत्तियों में मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान शामिल
दिल्ली वक्फ बोर्ड की इन 123 संपत्तियों में मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान भी शामिल हैं. केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के उप भूमि और विकास अधिकारी ने 8 फरवरी को एक पत्र दिल्ली वक्फ बोर्ड को भेजा था जिसमें कहा गया था कि वक्फ बोर्ड से यह 123 संपत्तियां वापस ली जा रही हैं. ये संपत्तियां कनॉट प्लेस, अशोक रोड, मथुरा रोड जैसी दिल्ली के सबसे महंगे और महत्वपूर्ण इलाकों में मौजूद हैं.
हाल ही में इस पर विवाद इसलिए भी खड़ा हुआ था जब बीजेपी की ओर से 2014 की यूपीए सरकार पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाते हुए कहा गया था कि चुनाव के ठीक पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने यह 123 संपत्तियां दिल्ली वक्फ बोर्ड को देने का प्रस्ताव मंजूर किया था.
केंद्र सरकार ने रिटायर्ड जस्टिस एसपी गर्ग की अध्यक्षता में दो समिति और कमेटी बैठाई थी जो वक्फ बोर्ड की नॉन नोटिफाइड वक्फ संपत्तियों यानी वह वक्फ की संपत्तियां जो गैर अधिसूचित हैं उस पर हर विभाग से प्रतिनिधित्व मांगा था, लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्ड की ओर से इस कमेटी के सामने ना तो प्रतिनिधित्व दिया गया ना ही किसी तरह की आपत्ति दर्ज कराई गई.
मामला अदालत में सुनवाई के लिए लंबित
वहीं वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खान का कहना है कि हमने इन संपत्तियों को लेकर हमेशा से आवाज उठाई है और जिसका मामला दिल्ली हाईकोर्ट में रिट याचिका संख्या 1961/2022 लंबित है. अमानतुल्लाह खान का कहना है कि पहले से ही इन संपत्तियों में से कई जगहों पर जमीने केंद्रीय एजेंसियों को निर्माण के लिए दिए गए हैं जिस का मामला भी अदालत में सुनवाई के लिए लंबित है.
डिप्टी लैंड डेवलपमेंट ऑफिसर को जवाब भेजा गया
बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खान ने मंगलवार को बातचीत करते हुए यह बताया कि बोर्ड की तरफ से शहरी मंत्रालय के डिप्टी लैंड डेवलपमेंट ऑफिसर को जवाब भेजा गया है जिसमें यह बताया गया है कि वक्फ बोर्ड ने सरकार द्वारा गठित 2 सदस्य समिति के गठन के खिलाफ पिछले साल जनवरी में एक याचिका दायर की है जो अदालत में अभी भी लंबित है ऐसे में जिस कमेटी के गठन को ही अदालत में चुनौती दी गई है वह अदालत का फैसला आए बिना कैसे कोई फैसला ले सकती है.
सरकार वक्फ बोर्ड की जमीनों पर कब्जा करना चाहती है
बोर्ड के अध्यक्ष का कहना है कि इन संपत्तियों का इस्तेमाल मुस्लिम समाज कर रहा है और बोर्ड की तरफ से ही जिन लोगों की नियुक्ति की गई है वहीं संपत्तियों की देखरेख करते हैं जिससे मिलने वाला धन सरकार को जाता है. बोर्ड की दलील है कि ये जमीन सरकारी हैं और वक्फ भी सरकार का है, लेकिन केंद्र सरकार यहां भी मनमानी कर रही है और जैसे नगर निगम पर अपना कब्जा चाहती थी उसी तरह डंडे के दम पर वह वक्फ बोर्ड की जमीनों पर भी कब्जा करना चाहती है.