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शराब और ड्रग्स माफियाओं के खिलाफ स्वाति मालीवाल का हल्लाबोल

स्वाती मालीवाल ने सूरज पार्क और सुल्तानपुरी क्षेत्र के 6 घरों से अवैध शराब बिकते हुए पकड़ी. साथ ही शराब बेचने वाली कई महिलाओं और पुरुषों को गिरफ्तार करवाया. साथ ही आयोग ने इन मामलों में मौके पर ही विभिन्न थानों के एसएचओ को नोटिस भी जारी कर दिया.

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स्वाति मालीवाल (फाइल फोटो)
स्वाति मालीवाल (फाइल फोटो)

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दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल 24 फरवरी से 8 मार्च तक पद यात्रा पर हैं. इस बीच उनसे कई महिलाओं और लड़कियों ने शिकायत की, उन्होंने बताया कि बीट अफसर शराब और ड्रग्स बेचने वालों से हफ्ता वसूल करते हैं. इस मामले को और ज्यादा समझने के लिए आयोग उन बस्तियों में गया और वहां का जायज़ा लिया. आयोग का दावा है कि उन क्षेत्रों में होने वाली अवैध शराब और ड्रग्स की बिक्री से महिलाएं और लड़कियां बहुत ही असुरक्षित माहौल में रह रही थीं.

साथ ही आयोग की अध्यक्ष ने कई परिवारों और लड़कों से बात की जो ड्रग्स ले रहे थे, इसके आदी हो गए थे. स्वाती मालीवाल ने सूरज पार्क और सुल्तानपुरी क्षेत्र के 6 घरों से अवैध शराब बिकते हुए पकड़ी और शराब बेचने वाली कई महिलाओं और पुरुषों को गिरफ्तार करवाया. आयोग ने इन मामलों में मौके पर ही विभिन्न थानों के एसएचओ को नोटिस भी जारी कर दिया. ये कारवाई दिल्ली के कृष्णा नगर, त्रिलोकपुरी, जहांगीरपुरी, भलस्वा डेरी, सुल्तानपुरी, आरके पुरम और अन्य जगहों पर की गई.

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दिल्ली में अवैध शराब और ड्रग्स की खुली बिक्री के मामले में और साथ ही पुलिस और राजनेताओं की मिलीभगत पर आयोग ने पुलिस आयुक्त से 10 दिन में जवाब मांगा है.

महिलाओं पर घरेलू हिंसा

आयोग की यात्रा के दौरान मीरा बाग इलाके में उन्हें सैकड़ों महिलाओं और लड़कियों का साथ मिला जो अपने हाथों में बेलन लेकर साथ चलीं. उनका संदेश साफ था कि अगर पति आपको पीटता है तो उसको वापस पीटो. यात्रा के दौरान स्वाति मालीवाल कई घरेलू हिंसा की पीड़ित महिलाओं से मिलीं, आयोग ने घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना के सभी लंबित मामलों पर दिल्ली के सभी पुलिस उपायुक्त को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

आयोग को यह जब पता चला कि 2012 से 2016 तक 15,698 मामलों में से केवल 5,573 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया गया था और दिल्ली पुलिस ने घरेलू हिंसा के मामले में झूठी शिकायत दर्ज करने के लिए किसी भी शिकायतकर्ता के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया है. इस पर आयोग ने पुलिस से कहा है कि जांच अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए ट्रेनिंग दें और 182 सीआरपीसी का इस्तेमाल करने के बारे में उनको जागरूक करें, ताकि लोगों में यह भ्रम न फैले कि घरेलू हिंसा के ज्यादातर केस झूठे हैं जबकि सांख्यिकी रूप से यह सच नहीं है.

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