भीषण हालात से निपटने के लिए प्रयास भी उतने ही भीषण करने पड़ते हैं. प्रदूषण कम करने के लिए दिल्ली सरकार का ताजा प्रयास भी कुछ ऐसा ही है. केजरीवाल सरकार चाहती है कि दिल्ली में एक दिन सम नंबर और अगले दिन विषम नंबर की गाड़ियां चलें. कुछ लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया है तो कुछ ने इसे अव्यावहारिक बताया है.
फिलहाल बहस छिड़ी है कि यह फैसला कितना सही है और यह लागू भी हो पाएगा या नहीं. लेकिन इस बहस के नीचे एक सवाल भी दबा है- दिल्ली को कार चाहिए या सेहत? हालांकि इसका फैसला तो दिल्ली को ही करना है, लेकिन किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले कुछ आंकड़ों पर गौर करना भी जरूरी है.
दिल्ली की हवा कितनी साफ
एयर क्वालिटी इंडेक्स दिल्ली के चार इलाकों से हवा की क्लालिटी बताता है. इसमें तीन इलाकों की हवा तो बेहद गंभीर है. सिर्फ मंदिर मार्ग ही ऐसा इलाका है, जहां की हवा बेहद खराब की श्रेणी में है.
क्या है पैमाना
0-50 तकः अच्छी हवा
51-100: संतोषजनक
101-200: नुकसानदायक
201-300: बेहद नुकसानदायक
300 से ज्यादाः बेहद खतरनाक
दिल्ली में कितनी कारें
2012-13 के इकॉनॉमिक सर्वे ऑफ दिल्ली के आंकड़ों के मुताबिक राजधानी की सड़कों पर रोजाना 70 लाख 40 हजार गाड़ियां रोजाना चलती हैं. हर दिन 1200 नई गाड़ियां सड़क पर आ रही हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो आज ती तारीख में दिल्ली में रोजाना 77 लाख से ज्यादा गाड़ियां दौड़ रही हैं. वैसे, दिल्ली सरकार बता रही है कि रोजाना 84 लाख गाड़ियां शहर में चल रही हैं . इनमें 30 लाख कारें हैं. यानी एक तिहाई.
70% प्रदूषण गाड़ियों से ही, 17 साल में 50% बढ़ा
दिल्ली में 1970-71 में जितना प्रदूषण होता था उसमें गाड़ियों की हिस्सेदारी सिर्फ 23 फीसदी थी. 2001 में यह बढ़कर 72 फीसदी हो गई. 1971 में औद्योगिक प्रदूषण 56 फीसदी था, जो 2001 में घटकर 20 फीसदी रह गया. यानी दिल्ली में आज जो प्रदूषण है उसकी सबसे बड़ी वजह गाड़ियां ही हैं. दिल्ली के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक 1990 से 2007 तक गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण 50 फीसदी बढ़ा है.
लेकिन एक दिन में 60% कम भी हुआ प्रदूषण
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायर्न्मेंट (CSE) के मुताबिक दिल्ली में कार फ्री डे पर 60 फीसदी प्रदूषण कम हो गया था. यह गिरावट सिर्फ लाल किले से इंडिया गेट तक सात किलोमीटर तक कारें न चलाने पर दर्ज की गई थी. हालांकि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट के मुताबिक उस एक दिन में प्रदूषण 45 फीसदी कम हुआ था.
...तो सांस लेने लायक बन सकती है दिल्ली
यदि दिल्ली की सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों की संख्या आधी रह जाए और कार फ्री डे को आधार मान लिया जाए तो यह तय है कि एक दिन में करीब 30 फीसदी प्रदूषण कम हो सकता है. ऐसी स्थिति में दिल्ली की आबोहवा कुछ बेहतर हो सकती है और दिल्ली से दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर होने का दाग भी हट सकता है. गौरतलब है कि 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया था.