दिल्ली को सपनों का शहर बनाने का सपना फिलहाल अटक गया है. मोदी सरकार ने राजधानी को दुनिया के बेहतरीन शहरों में शुमार करने का जो वादा किया था, फिलहाल वह पूरा नहीं होगा. क्योंकि, मोदी सरकार ने दिल्ली को चमकाने की योजना को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
मोदी सरकार चाहती है कि वो राजधानी को वर्ल्ड क्लास सिटी का दर्जा दे सके. मगर, दिल्ली की केजरीवाल सरकार चाहती है कि वर्ल्ड क्लास से पहले बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाया जाए. सवाल ये है कि पीएम मोदी और सीएम केजरीवाल के बीच दिल्ली की सूरत आखिरकार कैसी होगी?
दिल्ली को संवारने के लिए मोदी सरकार और केजरीवाल सरकार के विजन और प्लानिंग दोनों काफी अलग हैं. दोनों ही सरकारों ने राजधानी के लिए जो योजनाएं पेपर पर तैयार की हैं, उनमें जमीन-आसमान का फर्क है.
दिल्ली को वर्ल्ड क्लास बनाने की प्लानिंग को लेकर अक्टूबर-नवंबर 2014 में मोदी सरकार ने 6 हाई लेवल मीटिंग की. इसमें रेलवे, रोड ट्रांसपोर्ट, रक्षा मंत्रालय समेत 19 मंत्रालय शामिल हुए. दिल्ली सरकार के कई विभाग भी मीटिंग का हिस्सा बने. मोदी सरकार ने 9 प्वॉइंट वाला एजेंडा बनाया. इनमें नई पार्किंग के लिए 10 करोड़ रुपये देने का बजट बना. मेट्रो, रेलवे, बस की कनेक्टिविटी के लिए 2,670 करोड़ का प्लान बना.
साइकिल ट्रैक और उससे जुड़ी सुविधाओं के लिए 2500 करोड़ का प्लान. नई तरह की सड़कें और फुटपाथ के लिए 800 करोड़ का बजट. बेहतरीन बस सुविधा के लिए 2000 करोड़ और बीरआरटी के लिए 1860 करोड़ रुपये का बजट बनाया. फ्लाईओवर और बाईपास के लिए 30, 000 करोड़ रुपये का बजट तैयार हुआ.
इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम के लिए 1200 करोड़, प्लानिंग और मॉनिटरिंग के लिए 10 करोड़ रुपये का बजट. दिल्ली को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने के लिए 41,000 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई. मोदी सरकार ने दिल्ली को संवारने के लिए विधानसभा चुनाव से पहले ही तैयारियां शुरू कर दी थीं. मगर, चुनाव नतीजों में AAP की जीत के बाद सबकुछ ठंडे बस्ते में चला गया.
मोदी सरकार के सपने और 41 हजार करोड़ रुपये की प्लानिंग को केजरीवाल सरकार ने बेमानी करार दिया है. दिल्ली सरकार का कहना है कि केंद्र ने सिर्फ प्लान बनाया, लेकिन पैसा नहीं दिया. 41 हजार करोड़ रुपये की योजनाओं के नाम पर सिर्फ 300 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. ऐसे में वर्ल्ड क्लास दिल्ली का सपना कैसे पूरा होगा?
केजरीवाल सरकार का दावा है कि उसे मोदी के सपनों की नहीं, बल्कि दिल्ली वालों को बुनियादी सुविधाएं दिलाने की फिक्र है. इसीलिए, कामकाज के एक महीने का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए केजरीवाल सरकार ने मोदी के सपनों की दिल्ली का कोई जिक्र नहीं किया था.
दिल्ली सरकार के रुख से साफ है कि राजधानी को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने की दिशा में अभी काम शुरू भी नहीं हुआ है. क्योंकि, केजरीवाल सरकार आम आदमी को अच्छे दिनों का एहसास कराना चाहती है. इसलिए उसकी प्लानिंग के तहत अभी तमाम बुनियादी चीजें को हकीकत में बदला जाएगा. यानी मोदी सरकार के लिए दिल्ली को अपने तरीके से संवारने का सपना पूरा कर पाना आसान नहीं होगा.
ये है मोदी सरकार की प्लानिंग
दिल्ली यूं तो कई मामलों में देश के बाकी शहरों से काफी आगे है. मेट्रो समेत तमाम ऐसी सुविधाएं हैं, जो देश की राजधानी को तरक्की की राह में बढ़ता हुआ दिखा रही हैं. केंद्र सरकार ने दिल्ली में तरक्की और गाड़ियों की रफ्तार बढ़ाने के लिए कुछ खास प्लानिंग की है. मोदी सरकार ने दिल्ली को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने के लिए फ्लाईओवर और एलिवेटेड रोड का जाल बिछाने की प्लानिंग की है.
नजफगढ़ एलीवेटेड रोड करीब 30 किलोमीटर तक बनाने की योजना है. ये रोड 2018 तक पूरी होगी, जिसमें 400 करोड़ रुपये की लागत आएगी. महरौली बदरपुर रोड को नोएडा तक ले जाने की प्लानिंग है. इसके लिए 2750 करोड़ रुपये और 2018 तक काम पूरा करने का टारगेट है. ईस्ट वेस्ट कॉरीडोर बनाने की योजना है. इसके तहत आनंद विहार से नई दिल्ली और पंजाबी बाग तक 2500 करोड़ रुपये खर्च करके स्पेशल कॉरिडोर बनाने की प्लानिंग है.
केंद्र के प्लान के मुताबिक लोधी रोड से मथुरा रोड तक डेढ़ किलोमीटर टनल रोड बनाने की योजना है. टनल रोड बनाने में करीब 600 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इसके अलावा महिपालपुर बाईपास से एनएच 8 तक 630 करोड़ रुपये खर्च करके बेहतर रोड बनाने की योजना है. बारापुला फेज 4 के तहत धौलाकुआं से आसफ अली रोड तक 1000 करोड़ रुपये खर्च करके 6 किलोमीटर रोड बनाने की प्लानिंग है. रोड और फ्लाईओवर से संबंधित करीब 15 प्रोजेक्ट को लेकर मोदी सरकार ने प्लानिंग बनाई है.
ये है केजरीवाल सरकार की प्लानिंग
केजरीवाल सरकार के कामकाज का तरीका मोदी सरकार से कई मायनों में अलग है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का वादा कर रहे हैं. उनका जोर भी तमाम बुनियादी मुद्दों पर ही है. बिजली-पानी जैसे मुद्दों पर वो जनता को सीधे राहत देने का ऐलान पहले ही कर चुके हैं.
अब उनका फोकस दिल्ली के कुछ ऐसे बुनियादी मुद्दों पर है, जिन पर कई साल से कोई ध्यान नहीं दिया गया. केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में 500 नए सरकारी स्कूल खोलने की योजना बनाई है. सेकेंड्री और सीनियर सेकेंड्री एजुकेशन को बेहतर बनाने पर जोर दिया जाएगा. दिल्ली सरकार हायर एजुकेशन गारंटी स्कीम शुरू करेगी. इसके तहत बारहवीं के बाद छात्र या छात्रा को सरकार की गारंटी पर लोन मिलेगा.
दिल्ली में 20 नए डिग्री कॉलेज बनाने की योजना है. नए कॉलेज बनने से एडमिशन की दिक्कतें दूर होंगी. महिला सुरक्षा के लिए सार्वजनिक स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगेंगे. बसों में भी सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. लाखों मुसाफिरों को राहत देने के लिए बस सेवाओं को बेहतर बनाने की योजना है. दिल्ली में पांच साल में पांच हजार नई बसें चलाने की प्लानिंग है. मेट्रो सेवा को दिल्ली के दूर-दराज़ इलाकों में पहुंचाने की योजना है.