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नोटबंदी से उबरने के लिए दिल्ली का खारी बावली बाजार हुआ कैशलेस

पुरानी दिल्ली का खारी बावली बाजार नोटबंदी से उबरने के लिए तेज़ी से डिजिटल हो रहा है. कहीं पेटीएम एक्सेप्टेड हैं, तो कही डेबिट/क्रेडिट कार्ड के जरिये भुगतान हो रहा है. थोक विक्रेताओं की मानें तो अब 80 फीसदी ख़रीदार कैशलेस पेमेंट कर रहे हैं.

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खारी बावली के करीब 90 फीसदी दुकानों में कैशलेस पेमेंट के ऑप्शन मौजूद हैं
खारी बावली के करीब 90 फीसदी दुकानों में कैशलेस पेमेंट के ऑप्शन मौजूद हैं

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पुरानी दिल्ली का खारी बावली बाजार नोटबंदी से उबरने के लिए तेज़ी से डिजिटल हो रहा है. कहीं पेटीएम एक्सेप्टेड हैं, तो कही डेबिट/क्रेडिट कार्ड के जरिये भुगतान हो रहा है. थोक विक्रेताओं की मानें तो अब 80 फीसदी ख़रीदार कैशलेस पेमेंट कर रहे हैं. कुछ दुकानों में अभी भी किसी तरह का ऑनलाइन पेमेंट ऑप्शन मौजूद नहीं है, लेकिन ऐसे दुकानों की संख्या बेहद कम है.

खारी बावली के 90 फीसदी दुकान हुए कैशलेस
खारी बावली के करीब 90 फीसदी दुकानों में आपको कैशलेस भुगतान के अलग-अलग ऑप्शन मिल जाएंगे. मसालों और ड्राईफ्रुट्स के लिए मशहूर एशिया के सबसे बड़े बाजार के थोक विक्रेताओं की मानें तो कैशलेस भुगतान को बढ़ावा देने से बाज़ार ने रफ़्तार पकड़ी है. इनके मुताबिक नोटबंदी के बाद खाने-पीने की चीज़ों में दाम में कोई खास बदलाव नहीं आया है, लेकिन कारोबार में अब भी 60 फीसदी की गिरावट है.

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दरअसल खारी बावली के थोक बाजार से दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश भर के खुदरा व्यापारी सामान ले जाते हैं. लेकिन नोटबंदी के बाद एकमुश्त सामान ले जाने वाले खुदरा व्यापारी अब जरूरत के सामान को ही प्राथमिकता दे रहे हैं. भुगतान करने के लिए भी व्यापारी ज्यादातर चेक या फिर नेट बैंकिंग को तवज्जो दे रहे हैं.

दिसंबर के दूसरे हफ्ते से सामान्य हुआ कारोबार
मसालों के थोक विक्रेता रामकिशन गोयल के मुताबिक, नोटबंदी का असर नवंबर के महीने में दिखा था, लेकिन दिसंबर के दूसरे हफ्ते से बाजार लगभग सामान्य है. हालांकि पहले की तरह बिक्री नहीं हो रही है, लेकिन होटल, रेस्टोरेंट से लेकर खुदरा व्यापारी तक सभी अब खारी बावली का रुख बेझिझक कर रहे हैं. इसका एक कारण खारी बावली के कारोबारियों का डिजिटल होना भी है.

डेयरी प्रोडक्ट टेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक अरोरा ने बताया कि जरूरी चीजों के थोक बाजार पर नोटबंदी का असर कम दिखा है. शुरुआत में खारी बावली का बाजार भी लगभग ठप हो गया था. लेकिन अब लोगों की जेब में पैसा है, नई करंसी है, लिहाजा खुदरा व्यापारी से लेकर आम पब्लिक तक सभी खाने-पीने की जरूरी चीजें खरीद रहे हैं. इससे खारी बावली बाजार का कारोबार भी रफ्तार पकड़ने लगा है. नोटबंदी का ज्यादा असर लक्जरी आइट्म्स पर पड़ा है. खारी बावली के कारोबारियों को उम्मीद है कि अगले डेढ़- दो महीने में बाज़ार जोर पकड़ेगा.

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मजदूरों की मुश्किलों का नहीं हो रहा हल
हालांकि खारी बावली बाज़ार का एक वर्ग ऐसा भी है, जो अब भी नोटबंदी का शिकार है. कारोबार में गिरावट की वजह से सामान की लोडिंग अनलोडिंग करने वाले मजदूरों के लिए काम पहले के मुकाबले कम हो गया है. ऐसे में उनकी महीने की कमाई भी आधी रह गई है. हाथ ठेला चलाने वाले पप्पू यादव ने बताया कि नोटबंदी से पहले 12 से 15 हजार महीने की कमाई हो जाती थी, लेकिन नोटबंदी के बाद बाजार में भी काम आधा हो गया है. इसलिए कमाई भी लगभग आधी हो गई है.

खारी बावली सर्व व्यापार मंडल के प्रधान राजीव बत्रा के मुताबिक, व्यापारी और खरीदार तो कैशलेस हो रहे हैं, लेकिन खारी बावली के लेबर क्लास के लिए कैशलेस होना आसान नहीं हैं, क्योंकि इनमें से ज्यादातर लोगों के बैंक अकाउंट भी नहीं है. ऐसे में अगर थोक विक्रेता किसी मजदूर को उसका भत्ता देना चाहे तो उसे कैश की ही जरूरत पड़ती है, इसलिए पूरी तरह कैशलेस होने में अभी खारी बावली को काफी वक्त लगेगा.

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