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दिल्ली का घुट रहा दम, किसके हाथ में है उपाय

देश की राजधानी दिल्ली में सर्दियों का मौसम आने के साथ ही वाय प्रदूषण का स्तर चिंताजनक रूप से गंभीर बना हुआ है. बीच में कुछ दिनों तक हवा चलने और बारिश होने से हवा की गुणवत्ता में कुछ सुधार दर्ज किया गया था, लेकिन स्थिति फिर से खराब हो चुकी है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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देश की राजधानी दिल्ली में सर्दियों का मौसम आने के साथ ही वाय प्रदूषण का स्तर चिंताजनक रूप से गंभीर बना हुआ है. बीच में कुछ दिनों तक हवा चलने और बारिश होने से हवा की गुणवत्ता में कुछ सुधार दर्ज किया गया था, लेकिन स्थिति फिर से खराब हो चुकी है.

'सफर' एप्लिकेशन के अनुसार मंगलवार को दिल्ली में एवरेज एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 370 दर्ज किया गया जो कि बहुत खराब श्रेणी में आता है. बता दें 100 से 200 तक के एक्यूआई को 'मध्यम', 201 से 300 तक के एक्यूआई को 'खराब', 301 से 400 तक को 'बहुत खराब' और 401 से 500 तक को 'गंभीर' श्रेणी में रखा जाता है. ऐसी स्थिति में घर में रहने की सलाह दी जाती है. आजतक की टीम ने लोगों से बात की और जानना चाहा कि दिल्ली के प्रदूषण को लेकर वे क्या सोचते हैं.

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मेट्रो या प्राइवेट वाहन?

"सड़क पर चलने वाले पेट्रोल और डीजल  के वाहनों से धुंआ उठता है जिससे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड  ज्यादा मात्रा में अंदर जाती है. इसलिए मैं इलेक्ट्रिक वाहन में चलने को बेहतर समझता हूं. दिल्ली में केवल मेट्रो ही ऑप्शन है." ये कहना है 35 साल के सचिन सिंघल का जो कि मालवीय नगर के रहने वाले हैं.

उन्होंने आगे बताया, "लगातर चल रहे इस पॉल्यूशन से छाती में तकलीफ तो हो ही रही है और एक स्वस्थ आदमी को भी सांस लेने में दिक्कतें हो रही है. कोहरे के समय में ज़्यादा दिक्कत है. रोड पर ट्रेवल करना ज़्यादा सेफ नहीं है. बेहतर है मेट्रो लें, इससे हम तो बचेंगे ही, दिल्ली भी बचेगी."

"दिल्ली में घुसते ही आंखों में जलन होने लगती है, गला खुश्क होने लगता है और खांसी आने लगती है." ये सिम्पटम्स किसी डॉक्टर ने नही बताए, बल्कि ये कहना दिल्ली आने वाले अनेक पर्यटकों और यहां से रोज़ 'अप डाउन' करने वाले वर्कर्स का. ज़्यादातर लोगों ने कहा, "दिन के समय ज़्यादा महसूस होता है पॉल्यूशन का प्रकोप बजाय सुबह और शाम के. मेट्रो में जाने से ट्रैफिक और पॉल्यूशन दोनों से बच जाते हैं."

"मेट्रो बेटर ऑप्शन है. मेट्रो नहीं होती दिल्ली में तो यहां तो सांस लेना भी मुश्किल हो जाता, हर आदमी को गैस सिलेंडर लेकर घूमना पड़ता." ये कहना है लक्ष्मी नगर में रहने वाले नवनीत का.

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मास्क से क्या फायदा, सब जगह हवा खराब

इन दोनों हेल्थ एक्सपर्ट्स ने खासकर N 95 मास्क का प्रयोग करने की सलाह दी है. सड़क पर 10 में से 4 लोग ही आपको से मास्क लगाए दिखेंगे. जब हमने लोगों से इसके बारे में पूछा तो नाना प्रकार के जवाब मिले.

दीपिका 27 साल की है और ईस्ट दिल्ली में रहती हैं. उनका ऑफिस सीपी में है, जहां हमने उनसे बात की. उनका कहना है, "हर समय मास्क लगाना मुश्किल होता है. मेरा ऑफिस यहीं है. मैं लंच के लिए बाहर निकलती हूं. उसमें मास्क लगाना मुश्किल लगता है. थोड़ी ताज़ा हवा खाने का मन होता है पर दिल्ली में वो है ही कहां."

जनपथ पर खरीदारी करने आए एक परिवार से हमने जब बात कि तो हेड ऑफ फैमिली का कहना था, "हम सबने मोबाइल में पॉल्यूशन चेक करने के लिए ऐप डाइनलोड किया है, सब जगह Unhealthy Weather दिखाता है. मास्क लगाकर निकलने से क्या फायदा, जब सब जगह एक जैसी स्थिति है. हमारे प्रधानमंत्री सुबह उठ के योगा करते हैं, उन्हें मालूम है कि हवा पॉल्यूशन फ्री होनी चाहिए. उम्मीद है, वो इस बारे में कुछ करेंगे."

अपनी ओर से क्या कर रही है जनता

सरकार पर उंगली उठाने से पहले ज़रूरी है लोग अपनी तरफ से बदलाव के छोटे-छोटे कदम उठाएं. हमने करोलबाग की एक गृहिणी से जाना कि दिल्ली को पॉल्यूशन मुक्त करने के लिए उनका कॉन्ट्रिब्यूशन क्या है तो उनका कहना था, "अपने लॉन में पौधे लगाए गए और सोसाइटी में पेड़ भी लगाते हैं. सड़क पर धूल बैठाने के लिए पानी भी डालते हैं, पर पॉल्यूशन की समस्या इससे कई ज़्यादा बड़ी है. सोचते हैं घर से न निकलें और बच्चों को भी न जाने दें, इतने बुरे हालात हैं बाहर. ज्यादा से ज़्यादा वक़्त घर पर ही बच्चों के साथ बिताएं."

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दीपिका से हमने ये भी  पूछा कि अपने स्तर पर एक ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते आप पॉल्यूशन रोकने के लिए क्या कर रही हैं, तो उनका कहना था, "ज़्यादा से ज़्यादा मेट्रो लेने की कोशिश करती हूं. जिन इलाकों में मेट्रो नहीं जाती वहां तो अपनी गाड़ी ले जाना मजबूरी है. दिवाली पर पटाखे नहीं जलाए, न ही किसी को जलाने दिए. मास्क भी लगाते हैं, पर ये सब तात्काल्कि उपाय हैं, अब हमें स्थायी निवारण चाहिए. पॉल्यूशन से लड़ना लोगों के हाथ में नहीं है, सरकार ही लोगों का और राजधानी का भला कर सकती है."

I.T.O मेट्रो स्टेशन के बाहर मीडिया को देखकर 40 वर्षीय व्यक्ति खुद परेशान होते हुए आए और बोले, "पॉल्यूशन का स्तर बहुत ज़्यादा बढ़ रहा है. हम जो झेल रहे हैं वो तो है ही, आगे आनी वाली पीढ़ी के लिए दिल्ली बहुत गंदा शहर बनता जा रहा है. अपने स्तर पर हम कितना करें, अब सरकार को एक्शन लेना चाहिए. दिल्ली में अवैध रूप से बहुत सारी फैक्ट्रियां चल रही हैं, जिसे सरकार को तुरंत रोकना चाहिए. आम जनता की खातिर अब तो सरकार को जागना चाहिए.

आपको बता दें कि दिल्ली में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा का भी दर्द छलका. दिल्ली में प्रदूषण से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रहे जस्टिस मिश्रा ने कहा कि दिल्ली अब रहने लायक नहीं रही. जस्टिस मिश्रा ने कहा, “शुरू में दिल्ली मुझे आकर्षित करती थी, पर अब रहने लायक नहीं रह गई. मैं रिटायरमेंट के बाद यहां नहीं रहूंगा."

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