दिल्ली में एमसीडी चुनाव से पहले राजनीतिक दलों को एक बार फिर अनाधिकृत कॉलोनियों की याद आने लगी है. एक ओर कांग्रेस जहां इस मुद्दे पर रैली करेगी, तो वहीं सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने यह साफ कर दिया कि पार्टी इसे एमसीडी चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाएगी. दरअसल दिल्ली की तीनों मुख्य पार्टियां बीजेपी, कांग्रेस और आप यह अच्छी तरह से जानती है कि दिल्ली सरकार या फिर एमसीडी की सत्ता तक पहुंचने का रास्ता अनाधिकृत कॉ़लोनियों से ही होकर गुजरता है.
दरअसल अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करते को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है, जिसके बाद यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया. दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन इस मुद्दे पर कहते हैं, 'कांग्रेस पार्टी जब सत्ता में थी तो इस पर बस प्रोविजनल सर्टिफिकेट बांटें और उसके बाद कुछ नहीं किया. अब जब सत्ता से बाहर है, तो अनाधिकृत कॉलोनियों के मुद्दे पर रैलियां कर रही है.
जैन ने अनाधिकृत कॉलोनियों के मामले को लेकर कांग्रेस के साथ बीजेपी पर भी ठीकरा फोड़ा. सत्येंद्र जैन कहते हैं, केजरीवाल सरकार ने पिछले साल ही इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी थी, लेकिन केंद्र सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया. अब हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है, तो सरकार कह रही है कि अनाधिकृत कॉलोनियों को जल्द ही नियमित कर दिया जाएगा.
इस मामले में जैन के आरोपों पर बीजेपी भी कैसे चुप रहती. दिल्ली बीजेपी के प्रभारी और पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू कहते हैं कि केजरीवाल सरकार की सबसे बड़ी समस्या यह है कि मुद्दों को सुलझाने की बजाये आरोप लगाने में बहुत मजा आता है. वह कहते हैं, 'अनाधिकृत कॉलोनी का मामला कोई रातोंरात पैदा नहीं हुआ और ना ही बीजेपी ने इसे बनाया है. केजरीवाल के वादों के पिटारे में अनाधिकृत कॉलोनी का मुद्दा था, जिस पर यकीन करते हुए लोगों ने उन्हें 70 में से 67 सीटें दी. लेकिन सरकार में आने के बाद उन्होंने इन इलाकों में ना तो कोई सूविधा दी और ना ही इन्हें नियमित करने को लेकर गंभीरता दिखाई. हाईकोर्ट में केंद्र सरकार इसका जरूर जवाब देगी. लेकिन मैं पूछता चाहता हूं कि केजरीवाल सरकार का काम समस्या का समाधान निकालना है या फिर बस आरोप लगाना.'
दरअसल साल 2015 में हुए दिल्ली विधानसभा के चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी को सबसे ज्यादा वोट अनाधिकृत कॉलोनियों से मिले थे. ऐसे में उसे एमसीडी चुनावों में भी जीत का परचम लहराने के लिए इन इलाकों में फिर वैसे ही समर्थन की दरकार है. इसी को लेकर केजरीवाल सरकार जोरशोर से यह मुद्दा उठा रही है.
आंकड़ों पर गौर करें तो राजधानी में इस वक्त 1600 से ज्यादा अनधिकृत कॉलोनियां हैं. इससे पहले साल 2008 में कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 1200 से अधिक अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का प्रोविजनल सर्टिफिकेट बांटा था. वहीं उसने साल 2012 में 895 कॉलोनियों को नियमित करने की अधिसूचना भी जारी कर दी थी, लेकिन तकनीकी खामियों की वजह से इन कॉलोनियों का नियमित करने की कवायद कागजों में ही अटकी पड़ी है. ऐसे में अब हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से इन कॉलोनियों को नियमित करने की दिशा में की गई कार्रवाई पर चार हफ्ते के अंदर रिपोर्ट देने का कहा है. इसका मतलब यह है कि नगर निगम चुनाव से पहले ही हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी, जिसे दिल्ली सरकार पूरी तरह भुनाने की तैयारी करेगी.