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Delhi MCD Election: दिल्ली एमसीडी चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले उठी यह मांग

दिल्ली में निगम चुनाव अप्रैल में होने की संभावना है. दिल्ली बीजेपी से जुड़े सूत्रों ने कहा है कि 10 मार्च को यूपी चुनाव के रिजल्ट के बाद 12 मार्च को आलाकमान के साथ बैठक है. इसमें दिल्ली के नगर निगम चुनाव टालने और तीनों निगमों को एक करने का निर्णय हो सकता है.

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Delhi MCD Election
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • एमसीडी चुनाव की टालने की उठी मांग
  • चुनावों को 6 महीने तक टालने की कोशिश

दिल्ली में निगम चुनाव अप्रैल में होने की संभावना है लेकिन उससे पहले ही उसे टालने की मांग उठ गई. उत्तरी दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति में चर्चा के दौरान पूर्व स्टैडिंग कमेटी के डिप्टी चेयरमैन विजेंद्र यादव ने कहा कि , तीनों निगमो को एक किया जाए और  6 महीने बाद हो निगम चुनाव. 

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यह मांग करने वाले विजेंद्र मनोनीत निगम पार्षद है. वह पहले कभी आम आदमी पार्टी में हुआ करते थे. जब ये विषय उठाया गया तो नॉर्थ दिल्ली स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन जोगीराम जैन ने कहा ये सभी के मन में है. दिल्ली बीजेपी से जुड़े सूत्रों ने कहा है कि  10 मार्च को यूपी चुनाव के रिजल्ट के बाद 12 मार्च को आलाकमान से बैठक तय है. ऐसे में दबी जुबान में कुछ पार्षदों का कहना है कि आलाकमान के सामने निगम चुनावों का टालने और 6 महीने बढ़ाने का मसला भी रखा जाएगा. पार्षदों और बीजेपी के नेता आधिकारिक तौर पर इसे कहने से बच रहे लेकिन उनको उम्मीद है कि 12 मार्च को होने वाली बैठक में दिल्ली के नगर निगम चुनाव टालने और तीनों निगमों को एक करने का निर्णय हो सकता है. 

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रोटेशन का क्या होगा

राज्य निर्वाचन आयोग के ताजा रोटेशन के बाद कई महिला सीटे सामान्य हो गई तो कईयों को आरक्षित होने की मार पड़ी. इसका असर हुआ सत्ता धारी बीजेपी के कुछ महिला पार्षदो को छोड़ दें तो कोई भी पुराना पार्षद इस बार रिपीट नही हो रहा. मौजूदा मेयरों, स्टैडिंग कमेटी चेयरमैन के टिकट भी कट गए हैं. ऐसे में तीनों निगम एक हुए तो रोटेशन दुबारा से करना होगा जो कि कुल 272 वार्ड के आधार पर होगा जाएगा तब कईयों को बड़ी  राहत मिलेगी. आम आदमी पार्टी ने रोटेशन से पहले सर्वे कराया था ऐसे में कईयों के रिपोर्ट कार्ड ठीक नही थे लिहाजा वो भी चाह रहे कुछ ऐसा हो जिससे वो टिकट की दावेदारी कर सकें. 

 
तीनों निगमों के एक होने से क्या फायदा होगा  

2012 में जब निगम के तीन फाड़ करके ईस्ट, साउथ और नॉर्थ एमसीडी बनाया गया इसके पीछे मंशा थी दिल्ली के लोगों के काम आसानी से होंगे लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा. 12 ज़ोन वाली एमसीडी में पहले 1 कमिश्नर हुआ करता था जो कि बंटने के बीद तीन हो गए. स्टाफ ऑफिस बेययर सभी बढ़ गए. लेकिन यहीं से बोझ बढ़ा और निगमों में फंड क्रंच हो गया। रही सही कसर दिल्ली सरकार और बीजेपी की आपसी खींचतान से और बढ़ गई. लिहाजा सैलरी संकट गहराने लगा और मामला कोर्ट तक पहुंच गया. तीनों निगमो के एक होने से कमाई और खर्च अलग-अलग नही बल्कि यूनिफाइड होगा लिहाजा कर्मचारियों को सैलरी मिल सकेगी.

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