नोटबंदी का एक साल होने को है, लेकिन नोटबंदी के बाद शुरु हुई मुहिम एक साल बाद कहीं ठहरी सी नज़र आ रही है. लोग नोटबंदी के बाद कैशलेस और डिजिटल पेमेंट के प्रति जागरुक ज़रूर हुए हैं, लेकिन रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अभी भी कैशलेस होने को तैयार नज़र नहीं आ रहे.
नोटबंदी के एक साल पूरा होने के मौके पर 'आजतक' की टीम कैशलेस इंडिया की हकीकत जानने के लिए जनपथ मार्केट का रुख किया. मकसद था लोगों और दुकानदारों से कैशलेस भुगतान के बारे में जानने का, जिसमें उनसे कैशलेस पेमेंट की आसानी और उसकी स्वाकार्यता के बारे में पूछा गया. जनपथ दिल्ली का एक मशहूर और लोकप्रिय मार्केट है, जहां हर वर्ग के लोग खरीदारी करने आते हैं, भीड़ भरे बाज़ार में खरीदार और दुकानदार दोनों ने कैशलेस व्यवस्था को लेकर खुलकर बात भी की और अपने अनुभव साझा किए.
जनपथ मार्केट में खरीदारी करने आई प्रिया और शैली ने कहा कि वो अपनी ऑनलाइन शॉपिंग की ज्यादातर भुगतान नेट बैंकिंग या कार्ड के ज़रिए करती हैं, लेकिन जब बात मार्केट की आती है तो यहां कैश में ही खरीदारी करना पसंद करती हैं. प्रिया के मुताबिक जनपथ जैसे मार्केट में कैश में डीलिंग करना आसान है, क्योंकि कार्ड या दूसरे तरीके यहां ज्यादा काम नहीं आते. शैली के मुताबिक मार्केट में कैशलेस पेमेंट का विकल्प कम है, खासतौर पर स्ट्रीट मार्केट में, इसीलिए कैश लेकर आना पड़ता है, जब पर्स में कैश हो, तो फिर खरीदारी भी कैश से ही करते हैं.
कैशलेस इंडिया के इस रियलिटी चैक में जो खास बात निकलकर सामने आयी वो ये है कि ज्यादातर युवा कैशलेस पेमेंट में अपने आपको को सुविधाजनक पाते हैं, लेकिन गृहणियां अभी भी कैश लेकर ही मार्केट के लिए निकलती हैं. दूसरी सबसे बड़ी बात दुकानदारों की है, जो कैश में भुगतान लेना ही पसंद करते हैं. दुकानदार सरनजीत कहते हैं कि डिजिटल पेमेंट को लेकर ग्राहक तमाम तरह के असमंजस में रहते हैं, अगर दुकानदार कैश या डिजिटल दोनों का विकल्प ग्राहक को देता है तो ग्राहक कैश का ही विकल्प अपनाता है, हालांकि इसमें दुकानदार की दिलचस्पी भी रहती है, क्योंकि कैश में पेमेंट से उन्हें अपना हिसाब किताब रखने में आसानी होती है.