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मेट्रो किराया बढ़ने के बावजूद बसों में सफर नहीं करना चाहते दिल्लीवासी

रिपोर्ट के मुताबिक डीटीसी बसों और मेट्रो में लाखों यात्री प्रतिदिन कम होते जा रहे हैं, मगर लोग डीटीसी बसों में सफर नहीं करना चाहते.

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डीटीसी बसें छोड़ कैब का इस्तेमाल कर रहे दिल्लीवासी
डीटीसी बसें छोड़ कैब का इस्तेमाल कर रहे दिल्लीवासी

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दिल्ली में मंगलवार से मेट्रो का किराया बढ़ रहा है और ऐसी आशंका जताई जा रही है कि किराया बढ़ने के चलते मेट्रो की सवारियां कम होंगी. लेकिन एक ताजा सर्वे में चकित करने वाला विरोधाभास सामने आया है.

सर्वे कि मुताबिक लोग मेट्रो का किराया बढ़ने के बावजूद डीटीसी बसों में भी सफर नहीं करना चाहते. दिल्ली में स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग ने यह सर्वे की है. रिपोर्ट के मुताबिक डीटीसी बसों और मेट्रो में लाखों यात्री प्रतिदिन कम होते जा रहे हैं, मगर लोग डीटीसी बसों में सफर नहीं करना चाहते.

'आजतक' की टीम ने रिपोर्ट में सामने आए सभी तथ्यों की पड़ताल की.

स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग ने हालांकि यह सर्वे दिल्ली के क्लाईमेट को लेकर की थी, जिसके जरिए वे इस बात का पता लगाना चाह रहे थे कि आखिर दिल्ली में प्रदूषण इतना क्यों बढ़ता जा रहा है. सर्वे के मुताबिक दिल्ली में अभी 51.6 फिसदी लोग सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते हैं.  लेकिन अब दिल्लीवासी डीटीसी कि बसों में सफर नहीं करते, बल्कि टैक्सी या कैब का इस्तेमाल कर रहे हैं.

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स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग कि रिपोर्ट

स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग में ट्रांसपोर्ट प्लानिंग डिवीजन के अध्यक्ष संजय गुप्ता का कहना है कि दिल्ली 2015-16 में 35 लाख यात्री प्रतिदिन सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब सिर्फ 31 लाख यात्री ही प्रतिदिन सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करते हैं. वह कहते हैं कि अगर दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन को ध्यान में रखकर योजना नहीं बनाई गई तो निजी वाहन बढ़ते जाएंगे.

ट्रैफिक जाम सबसे बड़ी समस्या

लेकिन दिल्ली में लोग आखिर क्यों डीटीसी बसों में सफर नहीं करना चाहते? जब इसकी पड़ताल 'आजतक' कि टीम ने की तो पता चला कि दिल्ली के आनंदविहार बस अड्डे से  रोजाना हजारों डीटीसी बसें निकलती हैं. मगर बस अड्डे पर इतना जाम होता है कि बसों को निकलने में ही 2 घंटे का समय लग जाता है. आनंदविहार बस अड्डे पर रोजाना ही लंबा ट्रैफिक जाम लगा रहता है.

अगर किसी यात्री को बस अड्डे से बाहर निकलने में ही 2 घंटे लग जाएंगे तो कैसे कोई इन बसों में सफर करेगा. लेकिन इसके अलावा और क्या खामियां है डीटीसी बसों में ? आखिर क्यों लोग बसों में नहीं सफर कर रहे ?

डीटीसी के ड्राईवरों और कंडक्टरों खुद इस बारे में आजतक को बताया. डीटीसी बस के ड्राईवरों और कंडक्टरों का कहना है कि बसें कम हैं. जाम की समस्या ज्यादा है. एसी बसों का किराया ज्यादा है. इसिलए लोग कैब का इस्तेमाल कर लेते हैं.

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2030 में क्या होगी दिल्ली की सड़कों की स्थिति

रिपोर्ट में  कुछ आंकड़े तो बेहद चौंकाने वाले हैं. रिपोर्ट के अनुसार, अगर समय रहते डीटीसी बसों में सुधार नहीं किया गया तो 2030 में दिल्ली में ज्यादातर लोग निजी वाहनों से ही यात्रा करेंगे.

- इस समय दिल्ली की सड़कों पर सभी वाहन 1.16 करोड़ ट्रिप लगाते हैं, जो 2030 में बढ़कर 3.60 करोड़ ट्रिप हो जाएगी

- दिल्ली में 2030 में सार्वजनिक परिवहन कुल परिवहन का मात्र 45 फिसदी रह जाएगा

दिल्लीवासियों का डीटीसी बसों में सफर न करने को लेकर कहना है कि वे इसलिए डीटीसी बसों में नहीं यात्रा करते, क्योंकि डीटीसी बसें समय पर नहीं मिलतीं और मिलती भी हैं तो स्टॉप पर नहीं रुकतीं और ट्रैफिक जाम में फंसी रहती हैं.

दिल्ली वालों की पहली पसंद कैब में सफर करना

दिल्ली में अब ज्यादातर लोग कैब का इस्तेमाल करते हैं. लोगों में सफर के लिए कैब के इस्तेमाल की बढ़ते चलन पर कैब इस्तेमाल करने वालों का कहना है कि डीटीसी बसें समय पर नहीं आतीं, जबकि कैब का इस्तेमाल न सिर्फ आसान, सहज और सुकूनदायक रहता है, बल्कि इससे समय भी बचता है. यानी कुल मिलाकर अगर डीटीसी बसों के हालात में सुधार नहीं किया गया तो ऐसे ही डीटीसी बसें बिना यात्रियों के अपना रूट पूरा करती रहेंगी और घाटे में जाती रहेंगी.

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