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दिशा रवि केसः 'सरकार से असहमति पर सबको जेल में नहीं डाल सकते', कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

दिशा रवि केस में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने ऋग्वेद के एक श्लोक उदाहरण दिया. टूलकिट मामले में गिरफ्तार पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि को निजी मुचलके पर जमानत दी गई, जिसके बाद तिहाड़ जेल से उनकी रिहाई हुई.

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टूलकिट केस में दिशा रवि को मिली जमानत (फाइल फोटो)
टूलकिट केस में दिशा रवि को मिली जमानत (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पटियाला हाउस कोर्ट ने दी सशर्त जमानत 
  • तिहाड़ जेल से हुई दिशा रवि की रिहाई 

किसान आंदोलन से जुड़े टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार की गई क्लाइमेट चेंज एक्टिविस्ट दिशा रवि को मंगलवार को जमानत मिल गई. दिल्ली की एक अदालत ने दिशा रवि को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी तो देर रात तक दिशा तिहाड़ जेल से बाहर भी आ गईं. बेंगलुरु से गिरफ्तार की गई दिशा रवि को जमानत देते हुए पटियाला हाउस कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने कुछ कड़ी टिप्पणियां भी कीं, जो सुर्खियों में बनी हुई हैं.

दिशा रवि को जमानत देते हुए पटियाला हाउस कोर्ट ने टूलकिट मामले में कहा, ‘जिस टूलकिट की बात की जा रही है, उसका किसी तरह की हिंसा से कोई संबंध नहीं दिखता है.’

एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने अपनी टिप्पणी में कहा, ‘किसी लोकतांत्रिक देश में नागरिक सरकार को राह दिखाने वाले होते हैं. वो सिर्फ इसलिए जेलों में नहीं भेजे जा सकते, क्योंकि वो सरकार की नीतियों से असहमत हैं.’ 

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ''देशद्रोह का मामला सिर्फ सरकार के टूटे गुरूर पर मरहम लगाने के लिए नहीं थोपा जा सकता है. विचारों में मतभेद, असहमति, यहां तक कि नापसंद करना भी सरकार की नीतियों में निष्पक्षता लाने के लिए मान्य तरीके हैं. जागरुक और अपने विचारों को लेकर सजग नागरिक हों तो ये उदास और हां में हां मिलाने वाले नागरिक के मुकाबले स्वस्थ और समृद्ध लोकतंत्र की पहचान है."

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...जब अदालत में हुआ श्लोक का जिक्र
अपने फैसले में अदालत की ओर से ऋगवेद का जिक्र किया गया, श्लोक का उदाहरण दिया गया और कहा गया कि अलग-अलग विचारों को रखना ही हमारी सभ्यता का हिस्सा है. अदालत ने ऋग्वेद के जिस श्लोक का जिक्र किया उसका अर्थ था कि ''हमारे पास चारों ओर से कल्याणकारी विचार आते रहें, उन्हें कहीं से बाधित न किया जा सके और अज्ञात विषयों को प्रकट करने वाले हों."

अदालत की ओर से साथ ही टिप्पणी की गई कि फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन में ग्लोबल ऑडियंस को टारगेट करना भी शामिल है, उसमें किसी तरह का कोई बैरियर नहीं हो सकता है. 

नहीं चली दिल्ली पुलिस की दलील
किसान आंदोलन के नाम पर हिंसा भड़काने के आरोप वाले इस टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस ने अदालत को कुछ वेबसाइट्स की जानकारी दी. दिल्ली पुलिस ने वेबसाइट का नाम बताता हुए कहा कि इनके जरिए माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की गई, दिल्ली पुलिस ने इन्हीं का उदाहरण देते हुए दिशा रवि को जमानत ना देने की बात कही. हालांकि, अदालत में दिल्ली पुलिस की दलील नहीं चल सकी. 

दिशा रवि को जमानत देने वाले आदेश में कहा गया है, ‘किसी व्हाट्सएप ग्रुप को बनाना या टूलकिट को एडिट करना ही कोई जुर्म नहीं हो सकता है. क्योंकि इस टूलकिट का किसी PJF से लिंक नहीं मिला है, ऐसे में ये दावा गलत हो जाता है कि उन्होंने कोई जुर्म किया है. 

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13 फरवरी को पुलिस ने किया था गिरफ्तार
आपको बता दें कि दिल्ली पुलिस ने टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस को बेंगलुरु से 13 फरवरी को गिरफ्तार किया था. उसके बाद दिशा रवि को दिल्ली लाया गया, जिसके बाद पुलिस को उनकी कस्टडी मिली. दिल्ली पुलिस का आरोप था कि जिस टूलकिट के जरिए दिल्ली में किसान आंदोलन के नाम पर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई, उसको दिशा रवि ने एडिट किया था.

दिल्ली पुलिस ने साथ ही आरोप लगाया था कि दिशा रवि के जरिए ही ये टूलकिट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग के पास भेजी थी, जिसे बाद में ग्रेटा ने ट्वीट कर दिया था. दिल्ली पुलिस इस मामले में दिशा रवि के अलावा निकिता जैकब और शांतुनु को गिरफ्तार करने की कोशिश में है. 

 

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