राष्ट्रपति से अयोग्य ठहराए जाने के बाद आम आदमी पार्टी के 20 पूर्व विधायक हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट का चक्कर काट रहे हैं. तमाम विधायक चुनाव आयोग पर सुनवाई का मौका नहीं देने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में अर्जी देंगे. वहीं कई विधायक सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकीलों से भी राहत पाने के लिए चर्चा कर रहे हैं.
जब लाभ नहीं लिया तो लाभ का पद कैसे?
लक्ष्मी नगर से आम आदमी पार्टी के विधायक नितिन त्यागी ने सोमवार को 'आजतक' से खास बातचीत कहा कि वो राष्ट्रपति की मंजूरी के खिलाफ वकीलों से बात करने हाईकोर्ट आए हैं. नितिन त्यागी ने कहा कि हमें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद है. चुनाव आयोग ने 20 विधायकों की बात नहीं सुनी और न सबूत दिखाने का मौका दिया. विधायकों का मानना है कि सुनवाई का आधार यही होगा कि जब लाभ नहीं लिया तो लाभ का पद कैसे हुआ.
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट की परिभाषा तय हो
संसदीय सचिव के तौर पर लाभ लेने के आरोप को नितिन त्यागी ने ख़ारिज करते हुए कहा कि "ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में कहीं फंसने वाली बात ही नहीं है. चुनाव आयोग को भेजे जवाब में कई विधायकों को प्रॉफिट नहीं देने की बात लिखी हुई है. मेरा मानना है कि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट की परिभाषा तय होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर आज चुनाव हुए तो उसके लिए 100 फीसदी तैयार हैं.
EC ने 20 विधायकों को सुनवाई का मौका नहीं दिया
रोहतास नगर से आम आदमी पार्टी की पूर्व विधायक सरिता सिंह भी राहत की उम्मीद में सोमवार सुबह हाईकोर्ट पहुंची. 'आजतक' से बातचीत में सरिता सिंह ने कहा कि "चुनाव आयोग ने 20 विधायकों को सुनवाई का मौका ही नहीं दिया है. जब शुक्रवार को हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील से पूछा कि क्या सुझाव राष्ट्रपति को भेजा गया है तो वकील ने जानकरी नहीं होने की बात कही. चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट से जानबूझकर जानकरी छुपाई है. लाभ लेने के सवाल पर सरिता सिंह ने कहा कि 3 साल में लाभ लिया होता तो आज हाईकोर्ट ओला कैब से नहीं आतीं और न आज भी किराए के मकान में रहती.
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकीलों से चर्चा
सुप्रीम कोर्ट में वकीलों से सलाह लेने पहुंची चांदनी चौक की पूर्व विधायक अलका लांबा ने कहा कि आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के साथ अन्याय हुआ है. न्याय के लिए न्याय के मंदिर में पहुंच रहे हैं. पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकीलों से चर्चा कर रहे हैं. कोर्ट में अर्जी स्वीकार होते ही सारे सबूत पेश किए जाएंगे. चुनाव आयोग ने जून 2017 के बाद कभी विधायकों को सुनवाई की तारीख नहीं दी.
साथ ही अलका लांबा के वकील निशांत ने 'आजतक' से बातचीत में कहा कि मामले पर प्रतिक्रिया देने अभी जल्दबाज़ी होगी लेकिन मामले को कोर्ट के सामने पेश करने की तैयारी में जुटे हैं. अलका लांबा ने राष्ट्रपति पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि लोकतंत्र पर आज पूरे देश में सवाल खड़े हो रहे हैं. देश का दुर्भाग्य है कि 4 जजों को मीडिया के सामने आना पड़ा. राष्ट्रपति को फैसला लेने की क्या जल्दी थी जबकि विधायकों को उनसे उम्मीद थी. लेकिन राष्ट्रपति हमें सुन लेते तो उन पर विश्वास बरकरार रहता.