आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की लाभ पद मामले में सदस्यता रद्द हो चुकी है. सदस्यता को पुन: प्राप्त करने के लिए पार्टी हर तरीके से हाथ-पैर मारती नजर आ रही है. मंगलवार को पार्टी के अयोग्य विधायकों ने अपनी नई याचिका के साथ दोबारा दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया. हाई कोर्ट ने इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है.
बता दें कि इन अयोग्य विधायकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के उस नोटिफिकेशन को रद्द करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है, जिसकें बाद दिल्ली सरकार के ये विधायक पूर्व विधायक बन गए हैं.
कोर्ट में होने वाली सुनवाई है बेहद अहम
कोर्ट बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई करेगा. कल होने वाली सुनवाई बेहद अहम होगी क्योकि मामला संवैधानिक सर्वोच्च पद से जुडा हुआ है ओर राष्ट्रपति के आदेश से जुडा हुआ है. जो अकसर कम ही देखने को मिलती है. इस याचिका में केन्द्र सरकार को भी पार्टी बनाया गया है.
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20 में से 8 पूर्व विधायकों ने लगाई है याचिका
लिहाजा अगर कोर्ट इस याचिका पर लम्बी सुनवाई के लिए तैय़ार हुआ तो लॉ मिनिस्टरी भी इस मामलें में अपना पक्ष रखेगी. लेकिन अगर हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली तो फिर आखिरी कानूनी दरवाजा सुप्रीम कोर्ट ही होगा. मदन लाल समेत करीब 8 पूर्व विधायकों की ये याचिका लगाई है. अगर हाईकोर्ट में बुधवार को कोर्ट में सुनवाई से कुछ राहत की उम्मीद जगी तो बाकी विधायक भी इस सुनवाई का हिस्सा बनेंगे.
पहले भी लगाई थी याचिका
इससे पहले इन अयोग्य विधायकों ने सोमवार को, हाईकोर्ट में बीते शुक्रवार को लगाई अपनी याचिका को वापस ले लिया था. क्योकि चुनाव आयोग के वकील ने कोर्ट को बताया कि आप विधायकों के कोर्ट का रुख करने से पहले ही राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सिफारिशों पर अपनी मुहर लगा चुके थे. लिहाजा ये याचिका निष्क्रिय हो गई है. जिसके बाद आप के अयोग्य विधायकों ने ये याचिका वापस ले ली थी.
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रविवार को राष्ट्रपति ने ठहराया था अयोग्य
बता दें कि रविवार दोपहर को चुनाव आयोग की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को लाभ का पद रखने के मामले में अयोग्य ठहरा दिया था. चुनाव आयोग पहले ही इन विधायकों को अयोग्य ठहरा चुका था. इसके बाद 'आप' ने चुनाव आयोग की सिफारिश के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था. जहां हाई कोर्ट ने आप के विधायकों को निर्वाचन आयोग की सिफारिश के खिलाफ अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया था.