देशभर में दिवाली की धूम है, लेकिन राजधानी दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध है. इसके चलते न सिर्फ कारोबारियों में निराशा का माहौल है, बल्कि लोग भी पटाखे न खरीद पाने से परेशान हैं. कभी पटाखों की दुकानों से गुलजार रहने वाली पुरानी दिल्ली के सदर बाजार की गलियां इस बार सूनी हैं. दुकानदारों का कहना है कि इस बार तो दिवाली की धूम ही गायब हो गई है.
सदर निष्काम वेलफेयर एसोसिएशन के रमन हांडा ने कहा कि बीते सालों तक यहां लोगों का जमावड़ा रहता था. थोक बाजार से लोग हजारों रुपये के पटाखे खरीदा करते थे. धनतेरस से शुरू होने वाला ये सिलसिला भाई दूज तक चलता था. लेकिन इस बार पटाखों की बिक्री पर बैन की वजह से दुकानें तक नहीं सजी हैं. इससे लाखों का नुकसान भी हो रहा है. हालांकि सजावटी सामान की दुकानें जरूर लगी हैं, जहां लोग दिवाली की खरीदारी कर रहे हैं.
दिल्ली सरकार के आदेश से नाखुश पटाखा निर्माताओं और व्यापारियों ने पटाखों की बिक्री की अनुमति लेने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उन्हें वहां से भी निराशा ही हाथ लगी. जस्टिस संजीव सचदेवा ने विशेष सुनवाई करते हुए कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) और सुप्रीम कोर्ट के आदेश कि पटाखों के भंडारण, परिवहन और बिक्री के लिए किसी प्रकार की अनुमति नहीं दी जाएगी. इसके अलावा दिल्ली सरकार ने इस बात को दोहराते हुए कहा कि ग्रीन पटाखों की बिक्री को भी अनुमति नहीं दी जा सकती. कोई प्रमाण न होने के कारण पुराने पटाखों को ग्रीन लेबल के साथ बेचा जा रहा था.
क्या कहते हैं बिजनेसमैन
दिल्ली फायरक्रैकर्स मैन्युफैक्चरर्स एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन के सदस्य और गुड़िया पटाखे के मालिक राजीव जैन कहते हैं कि नीरी (NEERI), पेसो (PESO) और अन्य विभागों से विचार-विमर्श करने के बाद ही ग्रीन पटाखे तैयार किए गए थे. बावजूद इसके दिल्ली सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है. जबकि इन ग्रीन पटाखों से 30 से 40 फीसदी कम प्रदूषण होता है. उन्होंने कहा कि 36 में से 34 राज्यों ने ग्रीन पटाखों की बिक्री को अनुमति दी है, लेकिन दिल्ली में इनकी बिक्री पर प्रतिबंध समझ से परे है. उन्होंने कहा कि इस काम से हजारों लोगों की जीविका चल रही है, जिन्हें विनयमित भी नहीं किया जा रहा है. ऐसे में उनकी रोजी रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है.
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दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध के बाद आलम ये है कि बड़ी संख्या में दुकानें बंद हो गई हैं. वहीं व्यापारियों का दावा है कि उन्हें स्थानीय नेताओं और पुलिस अधिकारियों से पटाखे घर पर उपलब्ध कराने की लगातार डिमांड आ रही है. एक व्यापारी ने कहा कि हमने अपनी दुकान बंद कर दी है, यहां तक कि बोर्ड भी हटा दिया, क्योंकि पुलिसकर्मी परेशान कर रहे है.
पटाखे खरीदने आईं बुराड़ी निवासी सोनिया गुप्ता ने कहा कि मेरा बेटा पटाखे की जिद कर रहा था, लेकिन यहां तो कुछ भी नहीं मिल रहा है. जो छुटपुट आइटम्स उपलब्ध हैं, 13-14 साल के बच्चे उनसे खेलना तक पसंद नहीं करते. क्या पूरा प्रदूषण दिवाली से ही हो रहा है.
वहीं, सदर बाजार फायरक्रैकर्स ट्रेडर्स एसोसिएशन के हरजीत सिंह छाबड़ा ने कहा कि ग्रीन पटाखों में करोड़ों रुपये बर्बाद हो गए. सरकार का ध्यान वाहनों और पराली से होने वाले प्रदूषण पर नहीं है, लेकिन पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. उन्होंने कहा कि दो साल पहले एसडीएम, मंत्री, सीएम और डॉ. हर्षवर्धन ने इन्हीं ग्रीन पटाखों की तारीफ की थी, लेकिन अब उन्हें ही प्रतिबंधित किया जा रहा है. वहीं पुरानी चांदनी चौक बाजार का हाल भी अलग नहीं है. यहां की गलियों में सजने वाली पटाखे की दुकानें इस बार पूरी तरह से नदारद हैं.
चांदनी चौक मार्केट एसोसिएशन के एक वरिष्ठ प्रतिनिधि ने कहा कि यह स्थान दिवाली की खरीदारी के लिए कभी बड़ा हब हुआ करता था. यहां दिवाली के लिए सभी जरूरी सामान मिल जाएगा, लेकिन सरकार के प्रतिबंध के बाद यहां किसी भी दुकान पर पटाखे नहीं मिलेंगे. वहीं सरकार की सख्ती का आलम ये है कि चांदनी चौक बाजार में पटाखे की एक भी दुकान संचालित न हो, इसके लिए सरकारी एजेंसियां और दिल्ली पुलिस लगातार अभियान चला रही हैं.
प्रदूषण पर प्रतिबंध के लिए कड़े कदम जरूरी
बता दें कि दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर बहुत खराब स्तर पर है, लिहाजा वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है. इसीलिए पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के वकील बालेंदु शेखर ने बताया कि व्यापारियों ने अदालत के आदेशों की गलत व्याख्या की थी. दिल्ली में एक्यूआई की स्थिति बेहद खराब बनी हुई है.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों की अनुमति दी, लेकिन वहां नहीं, जहां एक्यूआई खराब या नीचे है. ग्रीन पटाखों को लेकर अर्जुन गोपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरे देश के लिए है. वहां भी कोर्ट ने कहा है कि खराब या बहुत खराब वायु गुणवत्ता वाले इलाकों में प्रशासन पटाखों पर प्रतिबंध लगा सकता है.
सीएसई सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायर्मेंट के क्लीन एयर कैंपेन के प्रोग्राम मैनेजर अविकल सोमवंशी कहते हैं कि वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, जो कि बेहद हानिकारक है, ऐसे में पटाखों पर प्रतिबंध जरूरी है. उन्होंने कहा कि ग्रीन पटाखों पर भी प्रतिबंध लगाना इसलिए जरूरी हो जाता है कि क्योंकि इसके लिए भी कोई मानक तय नहीं हैं.