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ऑपरेशन पटाखा: बैन के बावजूद दिल्ली की हवा में जहर घोलने की तैयारी, घपलेबाजी का हुआ पर्दाफाश

दिल्ली में पटाखों की ब्रिक्री पर बैन जरूर है, लेकिन दिवाली के मौके पर लोग कहीं ना कहीं से जुगाड़ कर अपने लिए इन पटाखों का इंतजाम कर ही रहे हैं. धड़ल्ले से हर नियम तोड़ा जा रहा है, बिना किसी डर के पटाखों की एक जगह से दूसरी जगह सप्लाई हो रही है. आजतक ने इसी घपलेबाजी का पर्दाफाश करने के लिए स्टिंग किया

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ऑपरेशन पटाखा (फोटो-AFP, सांकेतिक)
ऑपरेशन पटाखा (फोटो-AFP, सांकेतिक)

दिल्ली में पटाखों की ब्रिक्री पर बैन जरूर है, लेकिन दिवाली के मौके पर लोग कहीं ना कहीं से जुगाड़ कर अपने लिए इन पटाखों का इंतजाम कर ही रहे हैं. धड़ल्ले से हर नियम तोड़ा जा रहा है, बिना किसी डर के पटाखों की एक जगह से दूसरी जगह सप्लाई हो रही है. आजतक ने इसी घपलेबाजी का पर्दाफाश करने के लिए स्टिंग किया

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दिल्ली में भले ही बिना पटाखों वाली दिवाली मनाने का आदेश जारी हुआ हो, लेकिन दिल्ली से चंद किलोमीटर दूर पटाखों की अवैध फैक्ट्रियां धड़ल्ले से पटाखे बनाने और सप्लाई करने में जुटी हैं. भारत में सिर्फ और सिर्फ ग्रीन पटाखे बनाने की इजाज़त है, लेकिन उत्तर प्रदेश के शामली में एक पटाखा फैक्ट्री में ग्रीन पटाखों के नाम पर साधारण पटाखों का प्रोडक्शन बेखौफ चल रहा है. हवा में ज़हर घोलने वाले पटाखे, दम घोंटने वाले अनार बम, सांसें फुलाने वाली फलझड़िया धड़ल्ले से बनाई जा रही हैं, यानी दिवाली पर सबसे प्रदूषणकारी बम-पटाखे इस फैक्ट्री में बिना रोक-टोक बनाए जा रहे हैं. आजतक की स्पेशळ इनवेस्टिगेटिव टीम ने शामली में पटाखा बनाने वाली फैक्ट्री के मालिक से खुफिया कैमरे पर बात की. उसने जो खुलासा किया वो बेहद चौंकाने वाला है. 

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रिपोर्टर- ऐसा लग रहा है कि जैसे खेती हो  

असलम- हां जी खेती ही है ये

रिपोर्टर-ये ग्रीन में तो नहीं है  

असलम- नहीं जी सादी है बस  

रिपोर्टर- कितने की पड़ेगी 

असलम- ये तो मंदी है  

रिपोर्टर-फिर भी  

असलम- 140 रुपये की दस डिब्बी   

रिपोर्टर-ग्रीन मार्क की फुलझाड़ी नहीं 

असलम- जी वो रेड-ग्रीन फुलझाड़ी होगी ..वो हम नहीं बनाते ..हमने नहीं बनाई है

तो पढ़ा आपने कैसे असलम कैमरे पर ये कुबूल कर रहा है...कि उसकी फैक्ट्री में ग्रीन नहीं बल्कि साधारण और प्रदूषण 
करने वाले पटाखे बनाए जा रहे हैं. असलम ने साफ साफ ये माना कि वो ग्रीन पटाखे नहीं बना रहे हैं. हम आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल तक ग्रीन पटाखों की पैरोकारी कर रहे हैं. ग्रीन पटाखे होते तो पारंपरिक पटाखों जैसे ही होते है लेकिन इनके जलने से प्रदूषण कम होता है. साधारण पटाखों की तुलना में ग्रीन पटाखों में 40 से 50 फीसदी तक कम हानिकारक गैसें होती हैं इसकी वजह से पयर्ववरण को बचाया जा सकेगा. और चौंकाने वाली बात ये है......कि तकरीबन एक हज़ार फैक्ट्रियों के पास पटाखा बनाने का लाइसेंस है, और शामली के असलम की फैक्ट्री का नाम उस लिस्ट में भी नहीं है. यानी असलम की फैक्ट्री पूरी तरह से अवैध है. 

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यहां ये समझना जरूरी है कि सिर्फ असलम ही नहीं बल्कि शामली की एक और अवैध फैक्ट्री में जहरीले पटाखे बनाए जा रहे हैं, आजतक की टीम शामली की दूसरी फैक्ट्री के मालिक ज़हीर का भी स्टिंग ऑपरेशन किया. ज़हीर ने भी माना कि वो ग्रीन पटाखे नहीं
बना रहे हैं. 

रिपोर्टर- आजतक ग्रीन पटाखो का चलन चल रहा है न..पटाखे ग्रीन तो है नहीं ये 

जहीर- हां जी ग्रीन तो है नहीं ये इसकी तो आवाज़ होती है जी ..ये ग्रीन नहीं है 

रिपोर्टर- इसको खाली करके  दूसरा भरोगें 

जहीर अदमद- इसको खाली करके..दोबारा तैयार होगा ये..इसलिए इसको खाली कर रहे है. इसको खाली करके डाट लगेगी..फिर मसाला भरा जाएगा..फिर इसमें बत्ती लगेगी ..फिर पन्नी चढ़ेगी..ये तो नए सिरे से तैयार हो रहा है ..गल गए इसलिए खाली करवा रहे है 

रिपोर्टर- ये इससे बड़ा है  

जहीर अदमद- ये इससे बड़ा है  

रिपोर्टर- ये कितने का है 

जहीर- ये तीस रुपये का डिब्बा है

रिपोर्टर- इसकी सही आवाज़ है 

जहीर-इसकी आवाज़ सही होगी..19-20 का फर्क हो बस जी

और यकीनन इन फैक्ट्रियों से पटाखों की खेप दिल्ली-एनसीआर में ध़ड़ल्ले से पहुंच रही होगी. तो इसका खुलासा भी...
आजतक के खुफिया कैमरे पर हो गया...जी हां अकरम और इरफान नाम के दो पटाखा वर्कर ने खुद कुबूल किया कि वो
कैसे अवैध पटाखों की खेप दिल्ली तक सप्लाई कर रहे हैं. 

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अकरम- अनार भरावा देगें....

रिपोर्टर- पैकिंग-वैकिंग दिखा देना.. सब कैसी रहेगी.. 

अकरम- जी लूज में है ये तो  

रिपोर्टर- (पटाखे) दिल्ली भिजवाने का कैसे रहेगा..  

अकरम-चला जायेगा यहां से असानी से  

रिपोर्टर – भिजवा तो दोगें न 

अकरम-नहीं चला तो जायेगा असानी से..यहां से तो गाड़ी में रखवा देगें ..लोनी जाकर उतर जायेगा, वहां से टैम्पो में रखवा कर ले जाओ..  

रिपोर्टर – तो पैंकिंग करके डिब्बे में नहीं दोगे 

इरफान- जी चमकीला कवर तो इस पर चढ़ना पड़ेगा हमारे यहां तो ये ऐसे ही बिकते है . हाथ के बने हुए मशहूर है

अब शामली में धड़ल्ले से ये कारोबार तो चल ही रहा है, लेकिन फिर भी वहां डीएम कहती हैं कि उनके क्षेत्र में सिर्फ ग्रीन पटाखों की ही इजाजत दी गई है. वे कहती हैं कि सिर्फ ग्रीन पटाखों को ही मंजूरी दी गई है. इस बार सिर्फ जिनके पास लाइसेंस है, वे ग्रीन पटाखें ही बेच रहे हैं. लेकिन जमीन की हकीकत इस बयान से बिल्कुल अलग है.

आपने पटाखा फैक्ट्रियों की सच्चाई तो समझ ली,  अब हम आपको बताते हैं कि कैसे पटाखा डीलर आपके घर तक पटाखों की खेप पहुंचाने के लिए तैयार हैं. सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि पटाखा डीलर आजतक के खुफिया कैमरे पर ये भी खुलासा कर रहे हैं कि ग्रीन पटाखे बनाना असंभव है. और कैसे ग्रीन पटाखों के नाम पर धड़ल्ले से साधारण पटाखों की 
खेप सप्लाई की जा रही है.

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दिल्ली से कुछ किलोमीटर दूर यूपी के दादरी में कैसे पटाखों की सप्लाई हो रही है. हर तरह के पटाखे आपको मिल जाएंगे. आजतक के खुफिया कैमरे पर एक पटाखा विक्रेता ये कुबूल करता है कि उसके पास लाइसेंस नहीं है, फिर भी वो अवैध पटाखे बेच रहा है. 

सोनल—करते थे पहले खूब काम करा है 2016 पर लाईसेंस था मेरे पे उसके बाद वो सस्पेंड हो गया मेरे पे   

रिपोर्टर-एनजीटी में  

सोनल-उसके बाद अगले साल करा भी था ..फिर दिक्कते भाई साहब बहुत ज्यादा होने लगी. लाईसेंस खुलेगा तो सर करेंगे दोबाराअप्लाई  

रिपोर्टर- भाई पटाखे एक डर ये रहता है कि चलेंगे या नहीं चलेंगें 

सोनल- वो आप निश्चित रहिए जो मैं दूंगा मुर्गे का फुस चला जाएगा..पर गारंटी है.. जो मैं दूंगा वो फुस नहीं जाएगा.. 

रिपोर्टर- नाजी क्या रेट है ये  

सोनल-1300 रुपये 130 रुपये का डिब्बा 

रिपोर्टर- ये माल ही है क्या  

सोनल- ये तो सैम्पल है यहां पर हम लोगों के तो अब क्या रिलेटल करते नहीं है हमारे अपने जो पुराने ग्राहक है नोएडा, दिल्ली इधर के गाज़ियाबाद के वो करते है जो छोड़ने  के लिए 30-40-50 हजार के ले गए ..बाकी हम होल-सेल करते है रिटेल करते ही नहीं है. वो दिखा रहा थो होल सेल के इरादे से ही दिखा रहा था.

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अब इसी वजह से आजतक ने अपनी पड़ताल में पाया है कि दिल्ली सरकार ने पटाखों पर बैन लगा दिया हो, लेकिन कालाबाज़ारी पटाखों की खेप के साथ मार्केट में घूम रहे हैं. 

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