केंद्रीय जांच ब्यूरो ने दिल्ली जल बोर्ड को सीवरेज उपकरणों की आपूर्ति में कथित रूप से धोखाधड़ी और जालसाजी के पांच मामले दर्ज किए हैं, जिनमें एक निजी कंपनी के साथ ही आठ कार्यकारी इंजीनियर और छह जूनियर इंजीनियर को नामित किया गया है.
सीबीआई के एक प्रवक्ता ने बताया, 'ये मामले कथित रूप से नकली, घटिया मोटर पंपों, गियर बॉक्स और मशीनरी, मल शोधन संयंत्रों में इस्तेमाल किए जाने वाले कलपुजरे को अनाप-शनाप कीमतों पर खरीददारी आदि से शामिल हैं. इनमें आपूर्तिकर्ता ने फर्जी और नकली दस्तावेजों के आधार पर खुद को विनिर्माता कंपनी का अधिकृत डीलर बताकर ये धोखाधड़ी की.'
ऐसा आरोप है कि दिल्ली जल बोर्ड ने मुंबई स्थित कंपनी ऐसेनप्रो को उपकरणों की आपूर्ति के लिए मंजूरी दी थी. सूत्रों ने बताया कि दिल्ली जल बोर्ड के कार्यकारी इंजीनियरों ने वर्ष 2009. 12 के दौरान कीर्ति नगर स्थित मेट्रो प्रोजेक्ट एंड सेल्स सर्विसेज के मालिक रमन गुप्ता के साथ कथित रूप से आपराधिक सांठगांठ की, जिसने ऐसेनप्रो के क्षेत्रीय प्रबंधक के पत्रों की नकल तैयार करवायी और अपनी कंपनी को दिल्ली में ऐसेनप्रो उपकरणों का अधिकृत डीलर घोषित किया.
सीबीआई ने दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद में 21 स्थानों पर मारे गए छापों में इस प्रकार के सौ से अधिक पत्र बरामद किए हैं, जिनमें अलग-अलग प्रकार से हस्ताक्षर किए गए थे. सूत्रों ने बताया कि इन पत्रों के आधार पर गुप्ता ने कथित रूप से ऐसेनप्रो के ट्रेडमार्क वाले उपकरणों की आपूर्ति की जो नकली बताए जाते हैं. गुप्ता ने छह करोड़ रुपये मूल्य के ये उपकरण जल बोर्ड के पांच उप संभागों कोंडली, केशोपुर कोरोनेशन पार्क, महारानी बाग और वजीराबाद को दिए.
सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसी ने गुप्ता और उसकी कंपनी तथा आठ कार्यकारी इंजीनियरों बनवारी लाल भारती, इस्लाम खान, जे पी गर्ग, एससी वशिष्ठ, शीशराम सिंह, जी पी सिंह, आरके भल्ला और जेके अरोड़ा तथा जल बोर्ड के छह जूनियर इंजीनियरों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप लगाए हैं. जलापूर्ति तथा जल बोर्ड को मीटरों की आपूर्ति संबंध तीन सरकारी. निजी भागीदारी मामलों की पहले ही सीबीआई जांच कर रही है और इस संबंध में उसने चार प्रारंभिक जांच दर्ज की हैं.