शीर्ष उपभोक्ता फोरम ने दिल्ली जल बोर्ड को आदेश दिया है कि वह पूर्व राज्यपाल रह चुके एयर चीफ मार्शल (अवकाशप्राप्त) ओ पी मेहरा को 30,000 रुपये का भुगतान करे. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने पानी के अवैध बिल भेजने की वजह से दिल्ली जल बोर्ड को यह आदेश दिया है. इसके साथ ही आयोग ने राज्य और जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश के खिलाफ दायर दिल्ली जल बोर्ड की समीक्षा याचिका खारिज भी कर दी. इस आदेश में महाराष्ट्र और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल मेहरा को मुआवजा दिए जाने की व्यवस्था दी गई थी.
एनसीडीआरसी ने इसलिए याचिका खारिज कर दी क्योंकि मामले को आगे बढ़ाने के लिए दिल्ली जल बोर्ड की ओर से कोई पेश नहीं हुआ था.
न्यायमूर्ति के एस चौधरी की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने व्यवस्था देते हुए कहा कि दो राज्यों के पूर्व राज्यपाल और अवकाशप्राप्त एयरचीफ मार्शल को मुआवजा दिए जाने के फैसले में उसे कोई अनियमितता नजर नहीं आती.
दिल्ली जल बोर्ड ने दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के उस फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की थी जिसमें एक जिला अदालत द्वारा दी गई व्यवस्था को बरकरार रखा गया था.
जिला अदालत की व्यवस्था में दिल्ली जल बोर्ड को आदेश दिया गया था कि वह अवैध बिलों के, मेहरा द्वारा किए गए 26,750 रुपये के भुगतान की राशि उन्हें वापस करे और 30,000 रुपये मुआवजा भी उन्हें दे. राज्य आयोग ने जिला अदालत की व्यवस्था बरकरार रखते हुए कहा था ‘एक अवकाशप्राप्त एयर चीफ मार्शल और दो राज्यों के पूर्व राज्यपाल होने के बावजूद अगर वह लंबे समय से दिल्ली जल बोर्ड के कारण हुई परेशानी का हल नहीं पा सकते तो आम आदमी की हालत क्या होगी, यह अनुमान लगाया जा सकता है.
जिला फोरम का आदेश मेहरा की इस याचिका पर आया कि वर्ष 1999 में उनके आवास पर लगाए गए पानी के दो मीटर शुरू से ही समस्याग्रस्त रहे और बार बार शिकायत करने के बाद उन्हें वर्ष 2004 में बदला गया.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस अवधि के दौरान उन्हें केवल एक ही कनेक्शन से पानी मुहैया कराया गया लेकिन बिल एड-हॉक आधार पर दोनों मीटर के आए और उन्होंने इस आशंका के चलते दोनों बिलों का भुगतान किया कि बिल न भरने पर कहीं मीटर न कट जाए.